NPR पर देश में आम सहमति बनाना जरूरी, भय दूर होने के बाद ही प्रक्रिया शुरू करने की सिफारिश

संसदीय समिति ने एनपीआर (राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर) से जुड़ी आशंकाओं को दूर करने क्रिप्टो करेंसी और डार्कनेट के विस्तार पर चिंता जताई।

By Shashank PandeyEdited By: Publish:Fri, 06 Mar 2020 09:39 AM (IST) Updated:Fri, 06 Mar 2020 09:46 AM (IST)
NPR पर देश में आम सहमति बनाना जरूरी, भय दूर होने के बाद ही प्रक्रिया शुरू करने की सिफारिश
NPR पर देश में आम सहमति बनाना जरूरी, भय दूर होने के बाद ही प्रक्रिया शुरू करने की सिफारिश

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। संसदीय समिति ने लोगों की एनपीआर (राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर) से जुड़ी आशंकाओं को दूर करने के लिए सभी राज्यों के बीच आम सहमति कायम की जरूरत बताई है। इस सिलसिले में आधार का डेटा लेने की सलाह गृह मंत्रालय को दी गई है। कांग्रेस सांसद आनंद शर्मा की अध्यक्षता वाली गृह मंत्रालय से संबद्ध स्थायी समिति ने राज्यसभा में पेश अपनी रिपोर्ट में यह सुझाव दिया है। कहा है कि 2020-21 के एनपीआर को अद्यतन या अपडेट करने के लिए अप्रैल से शुरू होने वाली प्रक्रिया में मंत्रालय को आधार के डेटा के इस्तेमाल की संभावनाओं पर विचार करना चाहिए।

साथ ही सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को एनपीआर से जुडे़ मुद्दों के बारे में पूरी तरह आश्वस्त करना चाहिए। ताकि एनपीआर को लेकर सभी राज्यों में पूर्ण स्पष्टता के साथ राष्ट्रीय सहमति कायम हो सके और किसी भी व्यक्ति के मन में इसे लेकर कोई आशंका न रहे। इससे एनपीआर की प्रक्रिया को भलीभांति संपन्न करने में मदद मिलेगी।

क्रिप्टो करेंसी पर चिंता

सुप्रीम कोर्ट ने भले ही क्रिप्टो करेंसी के उपयोग की इजाजत दे दी हो। लेकिन समिति ने क्रिप्टो करेंसी के साथ डार्कनेट मार्केट के विस्तार पर गहरी चिंता जताई है। समिति का मानना है कि क्रिप्टो करेंसी का उपयोग नशीली दवाओं के तस्करों द्वारा किया जाता है। वे आपस में संवाद के लिए एन्कि्रप्टेड सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करते हैं, ताकि कोई उसे सुन या समझ न सके। ऐसे लेनदेन का पता लगाना तथा उसे जब्त करना मुश्किल है। इसलिए समिति ने सिफारिश की है कि खुफिया एजेंसियों को ड्रग ट्रैफिकिंग के रास्तों की गहन जांच-पड़ताल करनी चाहिए। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के अधिकारियों को उपयुक्त प्रशिक्षण के जरिये दवाओं की तस्करी रोकने के तरीकों की हर जानकारी दी जानी चाहिए।

सशस्त्र बलों को जोखिम भत्ता

समिति के अनुसार सेना की तरह ही केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल दुर्गम, पर्वतीय और बर्फीले इलाकों में तैनात किए जाते हैं। इसलिए उन्हें भी सैनिकों की भांति जोखिम व कठिनाई भत्ता पाने का हक है। जोखिम वालेदुर्गम क्षेत्रों में तैनात सभी बलों के जवानों को एक जैसे भत्ते मिलने चाहिए। इससे इन जवानों का मनोबल बढ़ाने में मदद मिलेगी।

समय से हो भर्ती संसदीय समिति ने केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में रिक्तियों पर चिंता प्रकट करते हुए कहा है कि भर्ती प्रक्रिया इस प्रकार तैयार होनी चाहिए जिससे भर्ती करने वाली एजेंसियों को पूर्व में पूरी सूचना मिल जाए। भर्तियों में वनवासी एवं सुदूर क्षेत्रों के युवाओं को पर्याप्त मौके मिलने चाहिए।

कश्मीर के लिए विकास

मिति ने नवगठित जम्मू-कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश में सड़क, रेल, हवाई व संचार संपर्क के अलावा बिजली, स्कूल-कॉलेज, अस्पताल, उद्योग व भंडार गृह के विकास के लिए एजेंसी बनाने की सिफारिश की है। भौतिक और दक्षता विकास, प्रशिक्षण के कार्यक्रमों को चलाने के लिए प्लानिंग बोर्ड व निवेश एजेंसी गठित किए जाने की जरूरत बताई है।

समिति ने स्कूलों एवं कालेजों में छात्रों को आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण देने के लिए एनसीसी की तर्ज पर डीएमटीसी (डिजास्टर मैनेजमेंट एंड ट्रेनिंग कोर) शुरू किए जाने की सिफारिश भी की है।

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