सुप्रीम कोर्ट में बोला केंद्र, खदान में फंसे मजदूरों को बचाने में आ रहीं दिक्कतें

सरकार ने बताया कि 355 फीट गहरी यह खदान चूहों के बिलों की भूल भुलैया की तरह है जिसका कोई ब्लूप्रिंट नहीं है।

By Manish NegiEdited By: Publish:Fri, 04 Jan 2019 09:56 PM (IST) Updated:Fri, 04 Jan 2019 09:56 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट में बोला केंद्र, खदान में फंसे मजदूरों को बचाने में आ रहीं दिक्कतें
सुप्रीम कोर्ट में बोला केंद्र, खदान में फंसे मजदूरों को बचाने में आ रहीं दिक्कतें

नई दिल्ली, प्रेट्र। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में बताया कि मेघालय की अवैध कोयला खदान में 13 दिसंबर से फंसे 15 मजदूरों को बचाने में उसे काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सरकार ने बताया कि 355 फीट गहरी यह खदान चूहों के बिलों की भूल भुलैया की तरह है जिसका कोई ब्लूप्रिंट नहीं है।

जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस एस. अब्दुल नजीर की पीठ को सरकार ने बताया कि यह खदान नदी के किनारे हैं और खदान में हो रहे नदी के पानी का रिसाव बचाव अभियान में बाधक बन रहा है। पीठ ने टिप्पणी की कि फंसे हुए लोगों को बचाने के लिए शुरुआत में कोई गंभीर प्रयास नहीं किए गए, लेकिन अब ऐसा लगता है कि अधिकारी प्रयास कर रहे हैं। अदालत ने केंद्र और मेघालय सरकार को आदेश दिया कि वे सात जनवरी तक स्थिति रिपोर्ट पेश करें जिसमें बचाव अभियान के लिए उठाए गए कदमों और उसकी प्रगति का ब्योरा हो। शीर्ष अदालत एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें खनिकों को बचाने के लिए तत्काल कदम उठाए जाने की मांग की गई है।

पंप लगाने का काम जारी
उधर, मेघालय के पर्वतीय ईस्ट जेंतिया जिले के लुम्थारी गांव में पानी निकालने के लिए उच्च क्षमता के 13 पंप 'रेट होल' खदान के मुहाने पर पहुंचाए गए हैं। लेकिन इनमें से सिर्फ तीन को ही शुरू किया जा सका है। बचाव अभियान के प्रवक्ता आर. सुस्नगी ने बताया कि तीन अन्य पंपों को भी शुरू करने की तैयारी की जा रही है। बचाव अभियान शुरू करने के लिए नौसेना और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल के गोताखोरों ने खदान में पानी का स्तर वर्तमान 160 फीट से घटाकर 100 फीट तक लाने का आग्रह किया है।

फंसे खनिक के पिता ने जताई खदान में जाने की इच्छा
कोयला खदान में फंसे एक मजदूर मोनिरुल इस्लाम के पिता सोलिबर रहमान ने पानी निकलने के बाद खुद नीचे जाने की इच्छा जताई है। वह खुद भी 30 साल तक कोयला खनिक रह चुके हैं। उन्होंने कहा, 'मैं ट्रिक्स जानता हूं.. खदानों में कैसे ऊपर चढ़ते हैं और कैसे नीचे उतरते हैं। पानी निकलने के बाद एक बार मैं वहां जाना चाहता हूं। मेरा बेटा वहां है और मुझे उसे देखने जाना है।' सरकार पर बचाव अभियान में देरी करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि पानी निकालने के लिए पहले दिन से ही उच्च क्षमता वाले पंपों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए था। बता दें कि इस खदान में 13 दिसंबर की सुबह पानी भरने से 15 खनिक अंदर ही फंस गए थे, जबकि पांच चमत्कारिक रूप से बच निकले थे।

chat bot
आपका साथी