सरकार हर मुद्दे पर चर्चा को तैयार, किसान नेताओं ने बातचीत से पहले दिखाया अड़ियल रुख

सरकार के साथ बुधवार 30 दिसंबर को होने वाली पूर्व निर्धारित वार्ता से ठीक पहले आंदोलनकारी किसान नेताओं के अड़ियल रुख से सुलह की पहल को धक्का लगा है। संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार को पत्र लिखकर अपनी मंशा जाहिर कर दी है।

By Arun kumar SinghEdited By: Publish:Tue, 29 Dec 2020 06:26 PM (IST) Updated:Wed, 30 Dec 2020 07:00 AM (IST)
सरकार हर मुद्दे पर चर्चा को तैयार, किसान नेताओं ने बातचीत से पहले दिखाया अड़ियल रुख
नॉर्थ ब्लॉक में किसानों के मसले पर गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (GOM) की बैठक

सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। सरकार के साथ बुधवार, 30 दिसंबर को होने वाली पूर्व निर्धारित वार्ता से ठीक पहले आंदोलनकारी किसान नेताओं के अड़ियल रुख से सुलह की पहल को धक्का लगा है। संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार को पत्र लिखकर अपनी मंशा जाहिर कर दी है। उनका कहना है कि वे तीनों नए कृषि कानूनों को रद करने और एमएसपी की लीगल गारंटी के एजेंडे पर ही बातचीत करेंगे। सरकार को कृषि कानूनों को रद करने के तौर तरीके पर ही चर्चा करनी होगी। वार्ता की पूर्व संध्या पर किसान संगठनों के अपनाए गए इस रुख से वार्ता की सफलता पर संदेह के बादल एक बार फिर छाने लगे हैं। सरकार के साथ यह वार्ता बुधवार को दो बजे विज्ञान भवन में होनी है। किसान संगठनों की वार्ता की पेशकश को सरकार ने आगे बढ़कर स्वीकार किया था। सरकार ने विवादित मुद्दों के सभी पक्षों पर विस्तार से चर्चा करने और समस्या के समाधान की पहल की है। किसानों के अडि़यल रुख के बावजूद सरकार को वार्ता में समाधान की पूरी उम्मीद है।

वार्ता से पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर, रेल, वाणिज्य व खाद्य मंत्री पीयूष गोयल ने गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात कर वार्ता में उठने वाले मुद्दों और उनके समाधान के बारे में चर्चा की। सरकार किसानों की शंकाओं के समाधान को लेकर गंभीर है। लेकिन वार्ता से पूर्व किसान संगठनों के ताजा रुख से सुलह की कोशिशों को धक्का लगा है।

संयुक्त किसान मोर्चा तीनों कानून रद करने पर अड़ा

संयुक्त किसान मोर्चा में शामिल 40 किसान संगठनों की ओर से सरकार को भेजे गए पत्र में बुधवार की बैठक में आने का बुलावा स्वीकार करते हुए अपना एजेंडा स्पष्ट किया गया है। इसमें उन्होंने तीनों कानूनों को रद करने और स्वामीनाथ आयोग की सिफारिश के मुताबिक एमएसपी की लीगल गारंटी को शामिल किया गया है। इसके साथ बिजली बिल संशोधन विधेयक और एनसीआर और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता बनाए रखने के लिए जारी अध्यादेश से किसानों को बाहर करने को शामिल किया गया है।

लीगल गारंटी पर बात बनने की संभावना बहुत कम

सोमवार को दोनों पक्षों की बातों से लगा कि वार्ता खुले मन और अडि़यल रुख छोड़कर होगी। कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने अपने पत्र में कहा है कि नए कानूनों के सभी प्रावधानों पर एक-एक कर विचार-विमर्श किया जा सकता है। किसानों के हितों को नुकसान पहुंचाने वाले प्रावधानों को संशोधित किया जा सकता है। आंदोलन कर रहे किसान संगठन अगर कानूनों के प्रावधानों पर चर्चा तक करने को राजी नहीं हुए तो वार्ता के आगे बढ़ने के रास्ते बंद हो सकते हैं। इसी तरह एमएसपी की गारंटी देने जैसे प्रावधानों में सरकार के लिखित भरोसा देने के प्रस्ताव को मान सकते हैं। लेकिन सरकार से लीगल गारंटी मांगने पर बात बनने की संभावना बहुत कम है।

किसान नेताओं ने की पवार से मुलाकात

आंदोलनकारी किसान नेताओं ने एनसीपी नेता व पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार से मंगलवार को मुलाकात कर उनसे भी इन मुद्दों पर राय मशवरा किया। इससे पूर्व आंदोलनकारी किसान संगठनों की लंबी बैठक में 30 दिसंबर की बैठक में उठाए जाने वाले मुद्दों पर चर्चा की गई। बैठक में ज्यादातर किसान नेताओं की राय इन्हीं मुद्दों पर कायम रहने की थी, जिन्हें पत्र के रूप में सरकार को भेजा गया है।

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