'प्रोडक्ट पर स्थानीय भाषा में जानकारी दें एफएमसीजी कंपनियां'

उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने एफएमसीजी सेक्टर की कंपनियों से हिंदी और स्थानीय भाषाओं में उत्पादों पर जानकारी छापने का आग्रह किया है।

By Nancy BajpaiEdited By: Publish:Wed, 10 Oct 2018 09:03 AM (IST) Updated:Wed, 10 Oct 2018 09:03 AM (IST)
'प्रोडक्ट पर स्थानीय भाषा में जानकारी दें एफएमसीजी कंपनियां'
'प्रोडक्ट पर स्थानीय भाषा में जानकारी दें एफएमसीजी कंपनियां'

नई दिल्ली (प्रेट्र)। उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने एफएमसीजी सेक्टर की कंपनियों से हिंदी और स्थानीय भाषाओं में उत्पादों पर जानकारी छापने का आग्रह किया है। मंत्री का कहना है कि ग्राहकों के हित को ध्यान में रखते हुए कंपनियों को स्वत: इस दिशा में प्रयास करना चाहिए।

पासवान ने कहा कि उपभोक्ताओं का हित सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। ऐसे में कंपनियों को उनके मंत्रालय के साथ मिलकर इस दिशा में काम करना चाहिए। उद्योग संगठन फिक्की के एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, 'भारत में बहुत सी भाषाएं बोली जाती हैं। हम अकेले हिंदी को ही प्रोत्साहित नहीं कर सकते। उद्योग जगत को प्रोडक्ट की लेबलिंग के समय हिंदी और उस क्षेत्र में व्यापक रूप से बोली जाने वाली स्थानीय भाषाओं के प्रयोग की दिशा में बढ़ना चाहिए। चीन, जापान और यूरोपीय संघ के देशों में उत्पादों पर लेबल उनकी स्थानीय भाषाओं में लगा होता है। वहीं भारत में हम लगातार इसके लिए अंग्रेजी का ही इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसा लगता है, जैसे हमारे पास अपनी कोई भाषा है ही नहीं।'

केंद्रीय मंत्री ने उदाहरण देते हुए कहा कि पानी की बोतल पर हो सकता है कि सारी जानकारी हिंदी और स्थानीय भाषा में नहीं दे पाएं, लेकिन कम से कम ब्रांड का नाम इन भाषाओं में देना चाहिए। हालांकि मंत्री ने सरकार के स्तर पर ऐसी किसी व्यवस्था को अनिवार्य करने की संभावना से इन्कार किया। उन्होंने कहा कि उद्योग जगत को स्वैच्छिक रूप से यह व्यवस्था अपनानी चाहिए। पासवान ने कहा कि कंपनी की ओर से ग्राहकों को भेजे जाने वाले नोटिस भी स्थानीय भाषाओं में होने चाहिए। उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए सरकार की ओर से उठाए गए कदमों पर पासवान ने बताया कि उत्पादों की सुरक्षा व मानकों का पालन सुनिश्चित करने के लिए नया भारतीय मानक ब्यूरो (बीआइएस) कानून लाया गया है। इसमें यह सुनिश्चित किया गया है कि उत्पादों की गुणवत्ता वैश्विक मानकों से कमतर नहीं हो।

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