Exclusive Interview: हर राज्य को मानना होगा नया श्रम कानून : संतोष गंगवार

श्रम मंत्री संतोष गंगवार के अनुसार नए श्रम कानूनों में श्रमिकों की नियुक्ति के लिए लचीलापन सरल प्रावधान पारदर्शी एवं उत्तरदायी निरीक्षण व्यवस्था संस्थानों में बेहतर औद्योगिक वातावरण के प्रावधान व समयबद्ध सीमा में विवादों के निस्तारण इत्यादि के प्रावधान किए गए हैं।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Wed, 07 Oct 2020 09:43 PM (IST) Updated:Wed, 07 Oct 2020 09:45 PM (IST)
Exclusive Interview: हर राज्य को मानना होगा नया श्रम कानून : संतोष गंगवार
केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष गंगवार की फाइल फोटो।

 हाल ही में नए श्रम कानून से जुड़ी तीन संहिताओं को संसद के दोनों सदनों में पारित किया गया। नए कानूनों को लेकर उपजे तीखे विरोध में श्रम कानूनों पर कुछ विपक्षी दलों का तेवर तो मंद हो गए हैं, लेकिन विरोध जारी है। ऐसे में दैनिक जागरण के विशेष संवाददाता राजीव कुमार से बातचीत में केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष गंगवार साफ कहते हैं कि यह कानून कारोबार में सहूलियत के साथ श्रमिकों को भी कई प्रकार की सुविधाएं देगा। जो इसके विरोध में खड़े हैं, वे श्रमिकों और उद्योगों के विरोध में खड़े हैं। पेश हैं बातचीत के प्रमुख अंश :

प्रश्न : श्रम कानून को मानने के लिए राज्य कितना बाध्य हैं? अगर राज्य इन्हें मानने से इन्कार कर देते हैं तो केंद्र की इतनी बड़ी कवायद का क्या फायदा होगा?

- हमारे संविधान के अनुसार श्रम एक समवर्ती सूची का विषय है, जिस पर जरूरत के मुताबिक केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारें कानून बना सकती हैं। केंद्र सरकार द्वारा 29 केंद्रीय श्रम कानूनों को चार श्रम संहिताओं में समाहित किया गया है। अब ये नए श्रम कानून जिस दिन से लागू होंगे, उस दिन से सभी राज्यों पर समवर्ती सूची के विषयों के अनुरूप ये बाध्यकारी होंगे। हर राज्य को इन्हें मानना होगा। सही तरीके के क्रियान्वन होगा तो राज्यों को भी इसका लाभ दिखेगा।

प्रश्न : नए श्रम कानून से देश की मैन्यूफैक्चरिगं में कितना बड़ा बदलाव आएगा? मेक इन इंडिया और मेक फॉर व‌र्ल्ड को कितना फायदा होगा?

- श्रम कानूनों में श्रमिकों की नियुक्ति के लिए लचीलापन, सरल प्रावधान, पारदर्शी एवं उत्तरदायी निरीक्षण व्यवस्था, संस्थानों में बेहतर औद्योगिक वातावरण के प्रावधान व समयबद्ध सीमा में विवादों के निस्तारण इत्यादि के प्रावधान किए गए हैं। अब रजिस्ट्रेशन, लाइसेंस लेने के लिए बार-बार सरकारी दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने पडेंगे तथा तय समयसीमा में आपको सभी अनुमतियां, जहां तक संभव हों, एक ऑनलाइन व्यवस्था के द्वारा प्राप्त होंगी। इन सभी प्रयासों के द्वारा देश में बड़ी फैक्ट्री और मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर को लगाने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा।

प्रश्न : देश के सभी जिलों में ईएसआइसी अस्पताल की सुविधा का प्रावधान किया गया है। क्या कोई समयसीमा तय की गई है कि कब तक सभी जिलों में यह सुविधा हो जाएगी?

- देश के सभी 740 जिलों में ईएसआइसी अस्पताल का प्रावधान हमने सामाजिक सुरक्षा संहिता में किया है। ईएसआइसी के तहत अनेक लाभ इंश्योर्ड व्यक्तियों को दिए जाते हैं। इनमें मृत्यु होने पर परिवार को पेंशन, मातृत्व लाभ, बेरोजगारी भत्ता एवं स्वास्थ्य सेवाएं शामिल हैं। ईएसआइसी द्वारा सभी जिलों में या तो अस्पताल की स्थापना की जाएगी या जिलों में प्राइवेट अस्पतालों से करार करके या आयुष्मान-भारत और ईएसआइसी के बीच सामंजस्य के माध्यम से ये सुविधाएं दी जाएंगी।

प्रश्न: संहिता में उद्योगों के लिए एक लाइसेंस और एक रिटर्न का प्रावधान है। क्या राज्य इसके लिए राजी हो गए हैं?

- वर्तमान में उद्योगों के लिए आठ रजिस्ट्रेशन, तीन या चार लाइसेंस एवं कई रिटर्न और रजिस्टर रखने की अनिवार्यता है। अब इन चार संहिताओं के अंतर्गत संस्थान को एक रजिस्ट्रेशन और एक लाइसेंस लेना होगा तथा रिटर्न और रजिस्टरों की संख्या में बहुत कमी की गई है। राज्य सरकारें भी अनुपालन की इस सरलता के लिए सहमत होंगी, क्योंकि इससे राज्यों में नये उद्योगों को लगाने में सरलता होगी तथा रोजगार सृजन होगा।

प्रश्न : देश के सभी असंगठित श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा की गारंटी की बात की गई है। इसे संभव बनाने के क्या नियम बनाए गए हैं और इसे लागू कैसे किया जाएगा?

- ऐसे संस्थान जहां 10 से कम श्रमिक कार्य कर रहे हों, उनको भी अब स्वेच्छा से ईएसआइसी का सदस्य बनने का विकल्प दिया गया है। ऐसे संस्थान जहां 20 से कम श्रमिक हैं और स्वरोजगार वाले श्रमिक भी ईपीएफओ की सुविधा ले सकेंगे। एक सामाजिक सुरक्षा फंड का प्रावधान भी किया गया है। इस फंड के द्वारा असंगठित क्षेत्र में काम कर रहे श्रमिकों, ठेके पर काम करने वाले तथा प्लेटफार्म श्रमिकों के लिए, सामाजिक सुरक्षा की योजनायें बनायी जाएंगी।

प्रश्न : महिला श्रमिकों के लिए विशेष प्रावधान किया गया है? उसे नहीं मानने पर क्या कार्रवाई होगी?

- नए श्रम कानूनों के तहत वेतन संहिता के द्वारा यह सुनिश्चित किया गया है कि महिलाओं को पुरुषों के बराबर ही वेतन प्रदान किया जाए। ये प्रावधान सभी कंपनियों पर लागू होंगे। वेतन संहिता में ही इन प्रावधानों के उल्लंघन को गंभीर दंडनीय अपराध का दर्जा दिया गया है।

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