पाकिस्तान में हर साल 1000 हिंदू लड़कियों का होता है धर्मांतरण, इसे रोकने का कोई कानून नहीं
मिनहाज उल कुरान नामक संस्थान खुलेआम दूसरे धर्म की लड़कियों का इस्लाम के तहत निकाह कराने का काम करती है।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। पाकिस्तान से आये दिन हिंदू लड़कियों के अगवा होने और फिर जबरन उन्हें इस्लाम कबूल करवाकर उनका निकाह करने की सूचनाएं आती रहती हैं। वहां के सभी प्रमुख राजनीतिक दल इसे एक बड़ी समस्या मानते हैं, लेकिन कट्टर इस्लामिक संगठनों के सामने कोई कदम नहीं उठा पाते। एक अनुमान के मुताबिक वहां हर साल 1000 हिंदू लड़कियों को अगवा कर उनका जबरन धर्मांतरण व फिर शादी की जाती है।
पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अमरनाथ मोतुवल ने कुछ दिनों पहले कहा था कि सिर्फ सिंध राज्य में हर महीने 20 से 25 हिंदू लड़कियों का वहां जबरन धर्मातरण कर शादी करने की सूचनाएं मिलती हैं। ज्यादातर मामलों की कोई रिपोर्ट नहीं लिखी जाती।
जनवरी, 2019 में अनुषा कुमारी का अपहरण किया गया और फिर किसी मुस्लिम युवक से उसकी शादी की गई। वर्ष 2017 में दो हिंदू लड़कियों रवीता मेघवार और आरती कुमारी और सिख युवती प्रिया कौर का मामला पाकिस्तान की मीडिया ने काफी उठाया था, लेकिन उसका कोई असर नहीं हुआ। इन सभी को अपहरण किया गया और फिर इनका निकाह मुस्लिम युवकों से किया गया।
पाकिस्तान की मूवमेंट फॉर पीस एंड सोलिडिरिटी नाम की एक एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट कहा कि हर वर्ष 1000 अल्पसंख्यक धर्म की लड़कियों का अपहरण व जबरन शादी की जा रही है। पाकिस्तान की मीडिया ने ही यह खुलासा किया कि उमरकोट स्थित सरहंदी और मीरपुरखास की बारचुंदी शरीफ नाम के धार्मिक स्थल से ही दूसरे धर्म की लड़कियों को जबरन मुस्लिम बनाने का काम होता है।
मिनहाज उल कुरान नाम की वहां की संस्थान खुलेआम दूसरे धर्म की लड़कियों का इस्लाम के तहत निकाह कराने का काम करती है। धर्म बदलने के बाद ये लड़कियां लोक लाज की डर से अपने घर भी नहीं लौटती और फिर अपहरण करने वालों के पक्ष में ही बयान देती हैं। इस वजह से पीडि़तों को पुलिस से कोई मदद नहीं मिलती।
सबसे ज्यादा ये घटनाएं सिंध प्रांत में होती हैं, जहां वर्ष 2016 में इसके खिलाफ एक कानून बनाने की कोशिश भी हुई थी। सिंध विधान सभा में इस कानून के पारित होने के बावजूद वहां के गवर्नर ने उसे मंजूरी नहीं दी। बाद में जमात-ए-इस्लामी जैसे कट्टरपंथी संगठनों ने इसके खिलाफ लामबंदी की और इसे स्थगित कर दिया गया।
पाकिस्तान के पूर्व पीएम नवाज शरीफ के कार्यकाल में भी जबरन धर्मातरण करने के खिलाफ बिल लाया गया था, लेकिन उसे पारित नहीं कराया जा सका। पाकिस्तान के पंजाब राज्य की सरकार ने भी कोशिश की, लेकिन जमीनी तौर पर कुछ नहीं हुआ।