26/11 के नायक पर लिखी बेटी ने किताब: आइपीएस अधिकारी के अलावा भी बहुत कुछ थे हेमंत करकरे

शहीद की बेटी जुई करकरे नवारे ने हेमंत करकरे अ डॉटर्स मेम्वायर नामक किताब में लिखा है कि उनके पिता पुलिस अधिकारी ही नहीं थे बल्कि बेहतरीन इंसान भी थे।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Mon, 25 Nov 2019 11:14 PM (IST) Updated:Tue, 26 Nov 2019 07:16 AM (IST)
26/11 के नायक पर लिखी बेटी ने किताब: आइपीएस अधिकारी के अलावा भी बहुत कुछ थे हेमंत करकरे
26/11 के नायक पर लिखी बेटी ने किताब: आइपीएस अधिकारी के अलावा भी बहुत कुछ थे हेमंत करकरे

मुंबई, प्रेट्र। 26/11 के मुंबई हमले की 11वीं बरसी की पूर्व संध्या पर उसके नायक पूर्व आइपीएस अधिकारी हेमंत करकरे के विराट व्यक्तित्व को उन पर लिखी एक किताब के जरिये याद किया गया। शहीद की बेटी जुई करकरे नवारे ने 'हेमंत करकरे : अ डॉटर्स मेम्वायर' नामक किताब में लिखा है कि उनके पिता सिर्फ एक आदर्श आइपीएस अधिकारी ही नहीं थे, बल्कि सामाजिक कार्यकर्ता, पारिवारिक व्यक्ति, कलाकार और बेहतरीन इंसान भी थे।

हेमंत करकरे एक आदर्श पुलिस अधिकारी थे

यहां सोमवार को आयोजित किताब के विमोचन समारोह में आइटी इंजीनियर नवारे ने कहा, 'उन्होंने अपने पूरे जीवन में कई भूमिकाएं अदा कीं। वह एक आदर्श पुलिस अधिकारी थे। उन्होंने वैश्विक स्तर पर अपने देश का प्रतिनिधित्व किया। वह सामाजिक कार्यकर्ता और कलाकार भी थे।' नवारे ने कहा कि यह किताब एक सामान्य लड़के के असामान्य बनने की प्रेरक कहानी है।

26 नवंबर 2008 को मुंबई में आतंकी हमले में 166 लोगों की मौत हुई थी

उल्लेखनीय है कि 26 नवंबर 2008 को आतंकियों ने मुंबई के ताज होटल व अन्य जगहों पर हमला कर दिया था। तब हेमंत करकरे मुंबई आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) के प्रमुख थे। वह बुलेटप्रूफ जैकेट पहनकर खुद आतंकियों से लोहा लेने निकल पड़े थे और उनसे मुकाबला करते हुए शहीद हो गए थे। इस हमले में विदेशी नागरिकों समेत 166 लोग मारे गए थे और 300 से ज्यादा घायल हुए थे।

26/11 का हर क्षण याद है : लेफ्टिनेंट कर्नल

26 नवंबर 2008 को देश की आर्थिक राजधानी मुंबई पर हुए आतंकी हमले से पूरा देश सिहर उठा था। आज उस हमले को 11 वर्ष पूरे हो गए हैं। लगभग 60 घंटों तक सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच हुई इस मुठभेड़ में सैकड़ों जानें गईं। आतंकियों ने छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस, लियोपोल्ड कैफे, ताज और ओबेरॉय ट्राइडेंट होटल, कामा अस्पताल और नरीमन हाउस को निशाना बनाया था। मुंबई पुलिस ने दिलेरी से इन आतंकवादियों का सामना किया। अगले दिन सुबह एनएसजी कमांडो ने इस मिशन की कमान संभाल ली थी।

नरीमन हाउस में एनएसजी टीम का नेतृत्व किया था

नरीमन हाउस में एनएसजी टीम का नेतृत्व करने वाले रिटायर्ड ले. कर्नल संदीप सेन का कहना है कि इस मिशन का हर क्षण उन्हें याद है। यह पहली बार था, जब वे शहर के बीचोंबीच लड़ाई लड़ रहे थे और पूरी दुनिया इसे लाइव देख रही थी। वह 26/11 हमले पर बन रही वेब सीरीज 'द सीज : छब्बीस ग्यारह' से बतौर कन्सल्टेंट जुड़े हैं। यह शो लेखक संदीप उन्नीथन की किताब पर आधारित है। ले. कर्नल ने कहा, 'सेट पर रीटेक होते हैं, लेकिन हमारे काम में रीटेक नहीं होते हैं।'

आतंकियों का सफाया करना हमारा काम है

उन्होंने कहा कि आदेश मिलते ही हम नरीमन हाउस में तीन बजे के आसपास पहुंचे थे। रात में ही समीप की बिल्डिंग खाली करा ली और आतंकियों को मार गिराया।' उन्होंने कहा कि वह बचपन से ही सेना में जाना चाहते थे। सेना से एनएसजी में शामिल हुए। कोई नहीं चाहता कि देश पर कोई आपदा आए, लेकिन देशवासियों को बचाना और आतंकियों का सफाया करना हमारा काम है। हम दुश्मन से सीमा पर नहीं लड़ते हैं। देश के भीतर जो आतंकवादी हैं, उनसे लड़ते हैं।

इसलिए 'होटल मुंबई' में देव पटेल बने सिख

26/11 पर बनी फिल्म 'होटल मुंबई' इसी हफ्ते 29 नवंबर को रिलीज होगी। इस फिल्म में 'स्लमडॉग मिलेनियर' के अभिनेता देव पटेल के साथ अनुपम खेर मुख्य भूमिका में हैं। फिल्म में अनुपम खेर शेफ हेमंत ओबराय की भूमिका में हैं। वहीं देव सिख वेटर अर्जुन का किरदार निभा रहे हैं। उनका यह किरदार होटल के कुछ कर्मचारियों के अनुभवों के आधार पर गढ़ा गया है। हमले के समय होटल के स्टाफ ने अपनी जान की परवाह न करते हुए मेहमानों की जान बचाई थी। फिल्म से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, देव के कहने पर ही निर्देशक एंथनी मरास उनके किरदार को सिख बनाने पर तैयार हुए। ऐसा कर देव सिख समुदाय के प्रति पूर्वाग्रह को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं। अमेरिका पर हुए आतंकी हमले (9/11) के बाद लोगों में सिखों के प्रति गलतफहमी पैदा हो गई थी। अपने किरदार के माध्यम से उन्होंने उसे ही दूर करने का प्रयास किया है।

मुझे अब नहीं रोना है : आशीष चौधरी

मुंबई आंतकी हमले में कई लोगों ने अपनों को खोया। 11 साल बाद भी उनकी यादें अपनों के साथ हैं। अभिनेता आशीष चौधरी की बहन मोनिका और जीजा अजीत ओबेरॉय ट्राइडेंट होटल में हुए हमले के दौरान वहीं थे। दोनों की मौत के बाद आशीष बहन के दोनों बच्चों का लालन-पालन कर रहे हैं। वर्ष 2008 के उस हमले ने आशीष की जिंदगी पूरी तरह से बदलकर रख दी थी। हमले के बाद चार साल तक फिल्मों में काम नहीं किया था। आशीष कहते हैं, 'पहले मैं इस बारे में बात नहीं करता था, लेकिन अब सोचता हूं कि एक मैं ही नहीं हूं जो इस दुख से गुजरा है। कई लोगों ने अपनों को खोया है। मेरे साथ जो भी हुआ वह किसी के साथ न हो। मैं आज अपने परिवार को देखकर बहुत खुश होता हूं। मैंने एक घर बनाया है, जहां हम सब एक साथ हैं। हम सभी एक साथ सात बेडरूम वाले घर में रहते हैं।'

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