सीबीआइ घमासानः CVC ने SC को सौंपी जांच रिपोर्ट, अब शुक्रवार को होगी सुनवाई

सीबीआइ विवाद में सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी। आज सीवीसी और सीबीआइ ने कोर्ट को सीलबंद लिफाफों में रिपोर्ट सौंपी है।

By Vikas JangraEdited By: Publish:Mon, 12 Nov 2018 09:07 AM (IST) Updated:Mon, 12 Nov 2018 06:42 PM (IST)
सीबीआइ घमासानः CVC ने SC को सौंपी जांच रिपोर्ट, अब शुक्रवार को होगी सुनवाई
सीबीआइ घमासानः CVC ने SC को सौंपी जांच रिपोर्ट, अब शुक्रवार को होगी सुनवाई

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। केन्द्रीय सर्तकता आयोग (सीवीसी) ने सीबीआइ निदेशक आलोक वर्मा के खिलाफ की गई प्रारंभिक जांच की रिपोर्ट सील बंद लिफाफे में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी। इसके अलावा सीबीआइ के कार्यकारी निदेशक एम नागेश्वर राव की ओर से भी सील बंद लिफाफों में उन आदेशों की सूची कोर्ट को सौंपी गई जो उन्होंने 23 से 26 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट का आदेश होने तक मामलों की जांच और अधिकारियों के स्थानांतरण के बारे मे लिए थे। सुप्रीम कोर्ट मामले पर शुक्रवार को फिर सुनवाई करेगा।

सीबीआई प्रमुख ने दी थी चुनौती 
सीबीआइ निदेशक आलोक वर्मा ने निदेशक पद का कामकाज छीने जाने को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। कोर्ट ने उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए गत 26 अक्टूबर सीवीसी को आदेश दिया था कि वह कैबिनेट सचिव के गत 24 अगस्त के नोट में दिए गये वर्मा पर लगे आरोपों की जांच दो सप्ताह में सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत न्यायाधीश एके पटनायक की निगरानी में पूरी करें और सील बंद लिफाफे में 12 नवंबर तक रिपोर्ट दाखिल करें।

सोमवार को सीवीसी की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई व न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की पीठ को बताया कि कोर्ट के निर्देश के अनुपालन के मुताबिक जस्टिस ए.के. पटनायक की निगरानी में जांच 10 नवंबर तक पूरी हो गई थी।

उन्हें कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल करनी थी लेकिन देर हो गई थी। वह रिपोर्ट नहीं दाखिल कर पाए। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने उनसे कहा कि आप कह रहे हैं देर हो गई थी। रजिस्ट्री रविवार को भी 12.30 बजे तक खुली रही। आखिर कितनी देर तक रजिस्ट्रार बैठे रहते। आप हमें बताते।

सालिसिटर जनरल ने गलती मानी
मेहता ने कहा कि वह अपनी गलती मान रहे हैं कि उन्हें देर हो गई थी। वह किसी पर आरोप नहीं लगा रहे। उन्होंने कोर्ट को सील बंद लिफाफे में साथ लाई गई रिपोर्ट देते हुए कहा कि वह कोर्ट को ये रिपोर्ट सौंप रहे हैं। कोर्ट ने सीवीसी की ओर से दी गई रिपोर्ट रिकॉर्ड पर ले ली।

सीबीआई के वकील ने सौंपी रिपोर्ट
साथ ही सवाल किया कि कार्यकारी निदेशक एन नागेश्वर राव की रिपोर्ट कहां है। इस पर नागेश्वर राव की ओर से पेश वरिष्ठ वकील पी. नरसिम्हा ने भी कोर्ट को सील बंद लिफाफे मे रिपोर्ट सौपी। कोर्ट ने दोनों रिपोर्ट को रिकार्ड पर लेते हुए मामले को 16 नवंबर को फिर सुनवाई पर लगाने का आदेश दिया।

सीजेआई ने कहा, हर फैसला तो नहीं देख सकता
इसी दौरान मामले में एक अन्य याचिकाकर्ता गैर सरकारी संस्था कामन काज की ओर से पेश वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने कोर्ट से कहा कि कोर्ट का आदेश था कि कार्यकारी निदेशक राव कोई नीतिगत फैसला नहीं लेंगे, लेकिन उन्होंने कुछ फैसले लिये हैं। इस पर जस्टिस गोगोई ने कहा कि उनके आदेश का मंतव्य यही था कि कार्यकारी निदेशक कोई बड़ा नीतिगत फैसला नहीं लेंगे लेकिन कोर्ट हर फैसला तो नहीं देख सकता। कोर्ट को आप बताइयेगा तो विचार किया जाएगा।

तभी वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने कहा कि सीबीआइ अधिकारी राकेश अस्थाना के खिलाफ जांच कर रहे उनके मुवक्किल अजय बस्सी का पोर्ट ब्लेयर ट्रांसफर कर दिया गया है। हालांकि कोर्ट ने मामले पर आगे सुनवाई नहीं की और 16 नवंबर तक मामला टाल दिया।

भ्रष्‍टाचार के आरोपों की सीवीसी कर रहा जांच
सीबीआइ निदेशक आलोक वर्मा और नंबर दो राकेश अस्थाना ने एक दूसरे पर परस्पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए शिकायतें की हैं। सरकार ने सीवीसी की सिफारिश पर आरोपों की जांच होने तक दोनों का कामकाज छीनकर छुट्टी पर भेज दिया है और एम नागेश्वर राव को अंतरिम तौर पर निदेशक का कामकाज देखने के लिए अधिकृत किया है।

वर्मा ने कामकाज छीनने को चुनौती देते हुए कहा है कि निदेशक का दो वर्ष का तय कार्यकाल होता है। सरकार ऐसे उनसे काम नहीं छीन सकती। सीबीआइ को सरकार की दखलंदाजी से मुक्त करने की मांग भी की है। राकेश अस्थाना ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर रखी है। नेता विपक्ष और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी वर्मा को हटाने के खिलाफ याचिका की है।

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