मायावती बोलीं- सवर्णों को आरक्षण का समर्थन करेगी BSP, भाजपा पर कसा ये तंज

मायावती ने इस फैसले को भाजपा की राजनीतिक चाल करार देते हुए सवाल किया कि सरकार ने ये फैसला पहले क्‍यों नहीं किया? मायावती ने मोदी सरकार के इस फैसले को गरीब सवर्णों के लिए राजनीतिक छलावा बताया।

By Tilak RajEdited By: Publish:Tue, 08 Jan 2019 10:39 AM (IST) Updated:Tue, 08 Jan 2019 11:53 AM (IST)
मायावती बोलीं- सवर्णों को आरक्षण का समर्थन करेगी BSP, भाजपा पर कसा ये तंज
मायावती बोलीं- सवर्णों को आरक्षण का समर्थन करेगी BSP, भाजपा पर कसा ये तंज

नई दिल्‍ली, जेएनएन। बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने सवर्णों को आर्थिक आधार पर 10 फीसद आरक्षण देने के मोदी सरकार के फैसले का समर्थन किया है। हालांकि मायावती ने इस फैसले को भाजपा की राजनीतिक चाल करार देते हुए सवाल किया कि सरकार ने ये फैसला पहले क्‍यों नहीं किया? मायावती ने मोदी सरकार के इस फैसले को गरीब सवर्णों के लिए 'राजनीतिक छलावा' बताया।

मायावती ने प्रेस कॉन्‍फ्रेंस के दौरान कहा, 'हम सरकार के आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के आरक्षण देने के कदम का स्वागत करते हैं। हम इस बिल का संसद में समर्थन करेंगे। लेकिन सवाल ये उठता है कि मोदी सरकार ने पहले ऐसा क्यों नहीं किया? लोकसभा चुनाव से ठीक पहले लिया गया ये फैसला हमें सही नीयत से लिया गया फैसला नहीं लगता है। ये मोदी सरकार का 'चुनावी स्‍टंट' लगता है। गरीब सवर्णों को आरक्षण रानीतिक छलावा लगता है। अच्‍छा होता अगर भारतीय जनता पार्टी ये फैसला अपना कार्यकाल खत्‍म होने से ठीक पहले नहीं, बल्कि कार्यकल के शुरू होते ही ले लेती।

केंद्र की मोदी सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले बड़ा दांव चलते हुए सवर्णों वर्ग के गरीबों के लिए सरकारी नौकरी और शिक्षा में 10 फीसद आरक्षण के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। एससीएसटी एक्‍ट पर मोदी सरकार के फैसले के बाद सवर्ण जातियों में नाराजगी और हाल के विधानसभा चुनाव में तीन राज्‍यों में मिली हार के मद्देनजर इसे अगड़ों को अपने पाले में लाने की कोशिश के तौर पर देखा जा सकता है।

सवर्णों को आरक्षण पर किसने क्‍या कहा..?
नीतिश कुमार(जदयू)- सामान्‍य वर्ग के गरीबों को आरक्षण देने के फैसले का मैं स्‍वागत करता हूं। इससे गरीव सवर्णों को विकास की मुख्‍यधारा में लाने में मदद मिलेगी।

रामदास अठावले(केंद्रीय मंत्री)- आरक्षण को ले‍कर दलितों और सवर्णों के बीच कई बार टकराव हो चुका है। यह फैसला मोदी सरकार का मास्‍टर स्‍ट्रोक है। इससे सवर्णों और पिछेड़ वर्ग के बीच असमानता खत्‍म होगी।
विजय सांपला(केंद्रीय मंत्री)- मोदी सरकार का यह एक ऐतिहासिक कदम है। इस फैसले का उन लोगों पर कोई असर नहीं पड़ेगा, जिन्‍हें इस समय आरक्षण मिल रहा है।

विनय सहस्‍त्रबुद्धे (भाजपा उपाध्‍यक्ष)- आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को आरक्षण के फैसले के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई। यह सामाजिक न्‍याय का दायरा बढ़ाने की दिशा में एक महत्‍वपूर्ण कदम है।

सुधाकर रेड्डी (माकपा महासचिव)- गरीब सवर्णों का आरक्षण महज एक चुनावी जुमला है। इसके बदले सरकार को निजी क्षेत्रों में आरक्षण के लिए प्रयास करना चाहिए।

अरविंद केजरीवाल (आप)- गरीब सवर्णों को आरक्षण के फैसले का आप समर्थन करती है। इसे कानून बनाने का लिए सरकार को संसद का सत्र बढ़ा देना चाहिए। अन्‍यथा यह चुनावी स्‍टंट माना जाएगा।

उमर अब्दुल्ला (नेशनल कॉन्फ्रेंस)- सवर्ण जाति के गरीबों के लिए आरक्षण का फैसला। लगता है कि लोकसभा चुनाव के लिए बिगुल बज चुका है।

असदुद्दीन ओवैसी (एआइएमआइएम)- आरक्षण दलितों के साथ ऐतिहासिक अन्‍याय को सही करने के लिए है। संविधान आर्थिक आधार पर आरक्षण की अनुमति नहीं देता है।

अशोक गहलोत (राजस्‍थान के मुख्‍यमंत्री)- आर्थिक रूप से पिछड़ों को 14 फीसद आरक्षण दिया जाना चाहिए। इसके लिए 1998 में ही मुख्‍यमंत्री रहते हुए मैंने केंद्र की तत्‍कालीन वाजपेयी सरकार को पत्र लिखा था।

तेजस्‍वी यादव (राजद नेता)- आ‍रक्षण आर्थिक स्थिति बेहतर करने का जरिया नहीं है। यह सामाजिक रूप से पिछड़े लोगों के प्रतिनिधित्‍व के लिए है। यदि सरकार सामान्‍य वर्ग के गरीबों की स्थिति सुधारना चाहती है, तो 15 लाख व नौकरी देनी चाहिए।

ममता बनर्जी (पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री)- मेरा सवाल है कि क्‍या चुनाव के नाम पर कोई सरकार जनता को ठग सकती है। सरकार को स्‍पष्‍ट करना चाहिए कि यह लागू होगा या नहीं? यह कानूनी रूप से वैध है या नहीं?

सरकार ऐसे देगी सवर्णों को आरक्षण
मोदी सरकार सवर्णों को आरक्षण देने के लिए जल्द ही संविधान में बदलाव करेगी। इसके लिए संविधान के अनुच्छेद 15 और अनुच्छेद 16 में बदलाव किया जाएगा। दोनों अनुच्छेद में बदलाव कर आर्थिक आधार पर आरक्षण देने का रास्ता साफ हो जाएगा। बता दें कि पिछले साल जब सुप्रीम कोर्ट ने SC/ST एक्ट में बदलाव करने का आदेश दिया था तब देशभर में दलितों ने काफी प्रदर्शन किया था। इसको देखते हुए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का फैसला बदल दिया था। ऐसा माना जा रहा था कि मोदी सरकार के इस फैसले से सवर्ण काफी नाराज हो गए, दलितों के बंद के बाद सवर्णों ने भी भारत बंद का आह्वान किया था।

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