Chhattisgarh Politics: छत्तीसगढ़ में कुम्हलाए कमल को फिर खिलाएंगे 'विष्णु'

2014 के लोकसभा चुनाव में जीत के बाद छोड़ी थी अध्यक्ष की कुर्सी विधानसभा के बाद नगरीय निकाय पंचायत चुनाव में मिली पार्टी को हार।

By Sanjeev TiwariEdited By: Publish:Wed, 03 Jun 2020 01:01 AM (IST) Updated:Wed, 03 Jun 2020 01:01 AM (IST)
Chhattisgarh Politics: छत्तीसगढ़ में कुम्हलाए कमल को फिर खिलाएंगे 'विष्णु'
Chhattisgarh Politics: छत्तीसगढ़ में कुम्हलाए कमल को फिर खिलाएंगे 'विष्णु'

मृगेंद्र पांडेय, रायपुर। छत्तीसगढ़ में प्रदेश भाजपा की कमान विष्णुदेव साय को सौंपकर पार्टी नेतृत्व ने उनके संगठनात्मक क्षमता पर दांव खेला है। विष्णु के सामने राज्य में चुनाव दर चुनाव कुम्हलाते गए कमल को फिर खिला देने की चुनौती है। उन्हें तीसरी बार पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया है।

वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में जीत के बाद विष्णुदेव मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में मंत्री बनाए गए थे। मंत्री बनने के बाद विष्णुदेव ने प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी छोड़ी। इसके बाद से ही पार्टी को लगातार हार का सामना करना पड़ा। विष्णुदेव के अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को करारी हार मिली। पार्टी के सिर्फ 15 विधायक चुनाव जीत पाए। उपचुनाव में यह संख्या घटकर 14 हो गई। रमन सरकार के दो मंत्री बृजमोहन अग्रवाल और अजय चंद्राकर को छोड़ सभी दिग्गज चुनाव हार गए थे। बस्तर और सरगुजा में पार्टी का सूपड़ा साफ हो गया। जशपुर में जहां तीनों सीट पर भाजपा विधायक थे, वहां कांग्रेस का कब्जा हो गया।

विधानसभा चुनाव के बाद हुए लोकसभा चुनाव में पार्टी की कमान आदिवासी नेता विक्रम उसेंडी को सौंपी गई। लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी के करिश्मे के कारण पार्टी के नौ सांसद जीतने में सफल हुए। लोकसभा चुनाव की जीत का असर छह महीने भी नहीं टिका। पार्टी को नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा।

राज्य गठन के बाद पहली बार भाजपा एक भी नगर निगम में अपना महापौर बनाने में सफल नहीं हो पाई। कोरबा नगर निगम में संख्या बल में ज्यादा होने के बाद भी कांग्रेस का महापौर चुना गया। ठीक इसी तरह पंचायत चुनाव का परिणाम भी भाजपा के पक्ष में नहीं आया। इसके बाद से ही निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेंडी को पद से हटाने की चर्चा शुरू हो गई थी।

रमन खेमे की एक बार फिर मजबूती वापसी

छत्तीगसढ़ में सत्ता गंवाने के बाद से पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के विरोधी खेमे को पहले नेता प्रतिपक्ष के चयन में मात मिली, अब प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी भी उनके पाले में नहीं आई। प्रदेश में विधानसभा चुनाव, नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव की हार के बाद रमन विरोधी खेमे में केंद्रीय संगठन के सामने प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए मजबूती से दावेदारी पेश की थी, लेकिन आखिरी समय में फैसला डॉ रमन के पक्ष में आया। रमन के करीबी विष्णुदेव को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया। राज्य गठन के बाद से अब तक 12 साल आदिवासी नेताओं के हाथ में प्रदेश अध्यक्ष की कमान थी।

अब तक के प्रदेश अध्यक्ष

अध्यक्ष-                            कार्यकाल

ताराचंद साहू-जनवरी 2001 से फरवरी 2002

लखीराम अग्रवाल- फरवरी 2002 से जुलाई 2002

डॉ रमन सिंह-जुलाई 2002 से दिसंबर 2003

नंदकुमार साय-दिसंबर 2003 से नवंबर 2004

शिव प्रताप सिंह-नवंबर 2004 से अक्टूबर 2006

विष्णुदेव साय- अक्टूबर 2006-मई 2010

रामसेवक पैकरा-मई 2010 से जनवरी 2014

विष्णुदेव साय-जनवरी 2014 से अगस्त 2014

धरमलाल कौशिक-अगस्त 2014 से मार्च 2019

विक्रम उसेंडी-मार्च 2019 से जून 2020

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