गुजरात में कांग्रेस को हराने में कांग्रेसियों का हाथ, धोखेबाजों से ऐसे निपटेंगे राहुल
गुजरात चुनाव में कांग्रेस के करीब 35 नेताओं ने पार्टी के खिलाफ काम किया। राहुल के सामने दगाबाज नेताओं के नाम का खुलासा।
अहमदाबाद (शत्रुघ्न शर्मा)। गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस भले ही भाजपा को कड़ी चुनौती देने में कामयाब रही हो, लेकिन उसे सत्ता का सुख नसीब नहीं हुआ। कांग्रेस की इस हार की वजह पार्टी के ही कुछ नेताओं को माना गया। अब गुजरात चुनाव में कांग्रेस को हराने वाले अपनी ही पार्टी के तीन दर्जन नेताओं की पहचान आलाकमान ने कर ली है। पार्टी के प्रभारी अशोक गहलोत ने इसकी रिपोर्ट कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को सौंप दी है। कांग्रेस से इन नेताओं को पार्टी से निकालने के बजाए युवाओं को मौके देकर पार्टी में इनकी उपेक्षा की रणनीति बनाई है।
- गुजरात के 35 कांग्रेसियों ने ही डुबाई नैया
- दगाबाज नेताओं की कांग्रेस ने की पहचान
- परेश धनानी के साथ अन्य युवाओं को भी मौका
गुजरात में बहुमत से 12 सीट दूर रही कांग्रेस
गुजरात चुनाव में बहुमत से 12 सीट दूर रही कांग्रेस का मानना है कि वरिष्ठ नेताओं को तथा उनके चहेतों को टिकट नहीं मिलने से प्रदेश कांग्रेस के ही करीब 35 नेताओं ने पार्टी के खिलाफ काम किया। अपने इलाकों में वे पार्टी का प्रचार व प्रसार करने से बचते रहे, जिसके चलते कांग्रेस ने गुजरात तक पहुंचने से पहले ही दम तोड़ दिया। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को सौंपी गई इन नेताओं की सूची के बाद पार्टी आलाकमान ने आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए ऐसे नेताओं के खिलाफ कार्रवाई का फैसला टाल दिया है, लेकिन इन नेताओं को हासिए पर डालने की रणनीति अपनाई जाएगी।
कांग्रेस के दगाबाज नेताओं के नाम का खुलासा
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री व गुजरात कांग्रेस के प्रभारी अशोक गहलोत ने प्रदेश कांग्रेस के नेताओं के साथ हुई बैठक में इन दगाबाज नेताओं के नाम का खुलासा किया तथा पार्टी को इनसे सावधान रहने की भी नसीहत दी। विपक्ष के नवनिर्वाचित युवा नेता परेश धनानी को आगे बढ़ने के इशारे के साथ पार्टी ने भविष्य में ओर नए युवाओं को तरजीह देने का मन बनाया है।
गहलोत ने प्रभारी की कमान संभालने के बाद पार्टी के पूर्व दिग्गज नेता शंकरसिंह वाघेला के रूठने व मनाने के खेल को खत्म कर पार्टी के अन्य नेताओं को साफ संकेत दिए थे। कुछ नेताओं ने चुनाव में टिकट की दरखास्त की पर उन्होंने अपने पैमाने पर खरे उतरने वालों को ही टिकट दिलाई। इसके अलावा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भरतसिंह सोलंकी से नाराज कई नेताओं ने भी अंदरखाने भाजपा से हाथ मिला लिया था। कांग्रेस की इस रिपोर्ट में ऐसा कहा गया है जिससे आलाकमान चौंक गया। कुछ प्रत्याशियों ने अपनी हार के लिए इन नेताओं को जिम्मेदार बताते हुए कहा कि उन्हें बार-बार प्रचार के लिए कहा गया लेकिन वे कभी राहुल गांधी के रोड शो में लगे होने तो कभी व्यस्त होने का बहाना कर प्रचार से भी कन्नी काट गए।
इस रणनीति के साथ धोखेबाजों से निपटेगी कांग्रेस
कांग्रेस अब ऐसे नेताओं को बाहर तो नहीं करेगी लेकिन इनके बजाए युवा चेहरों को तरजीह दी जाएगी, ताकि पंद्रह महीने बाद होने वाले लोकसभा चुनाव में ये नेता पार्टी को लाभ पहुंचा सकें। गौरतलब है कि इस चुनाव में पार्टी के करीब दस बड़े नेताओं को हार का मुंह देखना पड़ा। इनमें पूर्व केन्द्रीय मंत्री तुषार चौधरी, कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता शक्तिसिंह गोहिल, पूर्व अध्यक्ष अर्जुन मोढवाडिया, पूर्व अध्यक्ष सिद्वार्थ पटेल आदि भी शामिल हैं। यही वजह है कि इस बार कांग्रेस अपनी ही पार्टी को दगा देने वालों को सबक सिखाने के मूड में है लेकिन पार्टी से बाहर निकालकर नहीं साथ रखकर।