श्रीलंका में राजनीतिक संकट भारत के लिए खतरे की घंटी

राजपक्षे और सिरिसेन पूर्व राजनीतिक सहयोगी रहे हैं। सिरिसेन राजपक्षे सरकार में स्वास्थ्य मंत्री थे। मतभेद बढ़ने के बाद वह राजपक्षे की पार्टी से अलग हो गए थे

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Tue, 30 Oct 2018 09:43 AM (IST) Updated:Tue, 30 Oct 2018 09:48 AM (IST)
श्रीलंका में राजनीतिक संकट भारत के लिए खतरे की घंटी
श्रीलंका में राजनीतिक संकट भारत के लिए खतरे की घंटी

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रिपाल सिरिसेन ने प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को बर्खास्त कर पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को उनके स्थान पर नियुक्त किया है। हटाए गए प्रधानमंत्री ने कहा कि उनके पास बहुमत साबित करने को पर्याप्त संख्या बल है।

इसलिए राष्ट्रपति ने आगामी 16 नवंबर तक संसद को निलंबित कर दिया ताकि उनके समर्थित राजपक्षे अविश्वास प्रस्ताव के लिए जरूरी संख्या बल जुटा सकें। हालांकि रविवार को स्पीकर ने विक्रमसिंघे को ही प्रधानमंत्री बताया और संसद के निलंबन पर सवाल उठाया। मौजूद समय में पड़ोसी देश श्रीलंका में दो पीएम एक साथ मौजूद हैं।

उठापटक की पृष्ठभूमि
श्रीलंका राजपक्षे के शासन में चीन के करीब आया। बीजिंग ने अरबों डॉलर की बड़ी परियोजनाओं में निवेश किया है। हालांकि विक्रमसिंघे की सरकार ने देश पर बढ़ते कर्ज से हलकान होती अर्थव्यवस्था को देखते हुए कुछ चीनी परियोजनाओं को रद कर दिया था। विकल्प के तौर पर उसने भारत की ओर देखना शुरू किया। देश में राष्ट्रपति चुनाव अगले साल होने वाले हैं और राजपक्षे के जीतने की उम्मीद है। माना जा रहा है कि अर्थव्यवस्था की सुस्ती को देखते हुए संविधान में बदलाव करके राष्ट्रपति बनने की दो बार की अधिकतम सीमा को भी बढ़ाया जा सकता है।

पुराने समीकरण, नयी राजनीति
राजपक्षे और सिरिसेन पूर्व राजनीतिक सहयोगी रहे हैं। सिरिसेन राजपक्षे सरकार में स्वास्थ्य मंत्री थे। मतभेद बढ़ने के बाद वह राजपक्षे की पार्टी से अलग हो गए थे और 2015 में उन्हें सत्ता से बेदखल कर दिया था।

क्या होगा आगे
मामला अदालत में खत्म होने की उम्मीद है। क्योंकि श्रीलंका का संविधान राष्ट्रपति को प्रधानमंत्री नियुक्त करने की इजाजत तो देता है, लेकिन उन्हें हटाने का अधिकार नहीं देता है। उन्हें तभी हटाया जा सकता है जब वह 225 सीटों वाली संसद का विश्वास खो दें।

राष्ट्रपति पक्ष की दलील
यूपीएफए का सरकार से समर्थन वापस लेते ही कैबिनेट का अस्तित्व खत्म हो गया। ऐसे में जब कोई कैबिनेट नहीं होती तो कोई प्रधानमंत्री नहीं होता है। तब राष्ट्रपति के पास उस व्यक्ति को प्रधानमंत्री बनाने का अधिकार होता है जिसके पास बहुमत होता है।

राष्ट्रपति सर्वशक्तिमान
भारत के विपरीत और फ्रांस की तर्ज पर यहां सेमी प्रेसीडेंशियल डेमोक्रेसी है। राष्ट्रपति सबसे प्रभावशाली राजनीतिक ताकत होता है। प्रधानमंत्री राष्ट्रपति के डिप्टी के रूप में कार्य करता है और कैबिनेट का नेता होता है।

सदन की स्थिति
राजपक्षे के युनाइटेड पीपुल्स फ्रीडम अलायंस (यूपीएफए) के 95 सांसद हैं। विक्रमसिंघे के युनाइटेड नेशनल फ्रंट के पास 106 सांसद हैं। राजपक्षे को 113 के जादुई आंकड़े तक पहुंचने में 18 सांसदों की और जरूरत है।

विक्रमसिंघे खेमे का पक्ष
सिरिसेन ने संविधान के अनुच्छेद 46 (2) के अनुसार गैरसंवैधानिक काम किया है। प्रावधान के अनुसार बहुमत वाले प्रधानमंत्री को राष्ट्रपति नहीं हटा सकता है।

श्रीलंका में राष्ट्रपति बनाम प्रधानमंत्री
2015 में संविधान के 19वें संशोधन के तहत राष्ट्रपति अपने विवेक से प्रधानमंत्री को पद से नहीं हटा सकते हैं।वहां प्रधानमंत्री को तभी हटाया जा सकता है या तो वे इस्तीफा दे दें या फिर उनके सभी कैबिनेट मंत्री हटा दिए जाएं या फिर प्रधानमंत्री की संसद सदस्यता छीन ली जाए। प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति केवल मंत्री को हटा सकते हैं। 

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