अमेरिका अौर पाकिस्तान के दोस्ती- दुश्मनी की कहानी, जानिए- क्यों बढ़ी दूरियां

पहले अमेरिका ने पाकिस्तान की आर्थिक मदद रोकने की घोषणा की। पलटवार में पाकिस्तान ने अमेरिका को दी जाने वाली सैन्य और खुफिया मदद रोकने का एलान कर दिया है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Thu, 11 Jan 2018 09:52 AM (IST) Updated:Thu, 11 Jan 2018 05:53 PM (IST)
अमेरिका अौर पाकिस्तान के दोस्ती- दुश्मनी की कहानी, जानिए- क्यों बढ़ी दूरियां
अमेरिका अौर पाकिस्तान के दोस्ती- दुश्मनी की कहानी, जानिए- क्यों बढ़ी दूरियां

नई दिल्ली (जेएनएन)। आज अमेरिका और पाकिस्तान के रिश्ते ऐतिहासिक धरातल पर हैं। कभी आतंकवाद के खिलाफ अमेरिकी मुहिम में सबसे बड़ा सहयोगी पाकिस्तान अब एक दूसरे को फूटी आंख नहीं सुहा रहे हैं। पहले अमेरिका ने पाकिस्तान की आर्थिक मदद रोकने की घोषणा की। पलटवार में पाकिस्तान ने अमेरिका को दी जाने वाली सैन्य और खुफिया मदद रोकने का एलान कर दिया है।

इतिहास गवाह है कि जैसे ही दोनों में से किसी एक का स्वार्थ पूरा होता है, दूसरे को दूध में पड़ी मक्खी की तरह निकाल फेंकता है। इस बार भी ऐसा ही हुआ है। दोनों देशों के संबंधों के उतार चढ़ाव पर एक नजर ...

-1950 में तत्कालीन सोवियत संघ जैसे कम्युनिस्ट खतरे से लड़ने में दोनों साथ थे। 

- 1958 में पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति इस्कंदर मिर्जा ने अमेरिकी सहमति पर ही मार्शल लॉ लगाया।

- पाकिस्तान की खस्ता राजनीतिक और आर्थिक हालत को सुधारने के लिए पूर्व आर्मी चीफ जनरल अयूब खान ने कम्युनिस्ट कार्ड खेलकर अमेरिका से खूब उगाही की। अमेरिका से मिले हथियार और धन से सेना का विस्तार किया।

-1979 में अमेरिका को अफगानिस्तान में सोवियत के खिलाफ साथी की जरूरत महसूस हुई। दशकों तक अमेरिका ने जिया उल हक को सिर आंखों पर बैठाया।  

-1989 में जैसे अमू दरिया के पार जनरल बोरिस ग्रोमोव के टैंकों के गड़गड़ाहट थमी और सोवियत की हार हुई, अमेरिका ने अपना बोरिया बिस्तर बांध लिया।

11 सितंबर, 2001 को वल्र्ड ट्रेड सेंटर पर आतंकी हमले के बाद अमेरिका ने आतंकवाद के खिलाफ मुहिम छेड़ी। अलकायदा को सरपरस्ती देने वाले तालिबान को सबक सिखाने के लिए पाकिस्तान के तत्कालीन सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ से दोस्ती गांठी। दोस्ती के एवज में लड़ाकू विमान सहित कई युद्धक साजो- सामान और करोड़ों डॉलर बतौर नजराना पेश किया।

- अमेरिका के वॉर ऑन टेरर में पाकिस्तानी मदद के एवज में 2003 में अमेरिका ने उसका एक अरब डॉलर का कर्ज माफ किया। 

- दिसंबर 2007 में अमेरिका ने आरोप लगाया कि उसके द्वारा की जा रही वित्तीय मदद का प्रयोग वह आतंक के खिलाफ न करके भारत के खिलाफ हथियार जुटाने में कर रहा है। 2009 में मुशर्रफ ने भी यही कुबूला।

- 2009 में हिलेरी क्लिंटन ने आतंकियों के खिलाफ पाक सेना की जंग पर बयान दिया कि शांति और सुरक्षा की जंग में हम पाकिस्तानी लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं। पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी 2009 में पाक की वाहवाही की।

- अमेरिका द्वारा 2011 में ओसामा बिन लादेन को मारने के बाद पाकिस्तान ने अपने आतंकवाद निरोधी दस्ते का 50 करोड़ डॉलर का प्रशिक्षण कार्यक्रम रद कर दिया। खफा अमेरिका ने 30 करोड़ डॉलर की सैन्य आर्थिक मदद रोकी।

- 2012 में अमेरिका की मदद के आरोप में पाक ने डॉक्टर शकील अफरीदी को 33 साल की सजा सुनाई। अमेरिकी कांग्रेस ने 3.3 करोड़ डॉलर की मदद रोकने की मांग की। 

- अगस्त 2017 में डोनाल्ड ट्रंप ने नई अफगान नीति घोषित की। साथ ही पाक को आतंकी संगठनों का मददगार बताया।  

जमीनी रास्ते इस्तेमाल करता है अमेरिका 

अमेरिका अफगानिस्तान में मौजूद अपने सैनिकों तक रसद सामग्री और गोला बारूद पहुंचाने के लिए पाकिस्तान के जमीनी रास्ते इस्तेमाल करता है। मीडिया रिपोर्टों  के मुताबिक कराची बंदरगाह से अफगानिस्तान तक सड़क के रास्ते ट्रकों से सामान पहुंचाने के लिए अमेरिका प्रति ट्रक 18 सौ डॉलर तक रकम अदा करता है।  

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