ओडिशाः कुदरत के इस करिश्मे को सहेजने की जरूरत Sundergarh News

water safety in sundergarh. ओडिशा के सुंदरगढ़ में कुतरा ब्लाक के गोमारडीही माइंस बस स्टाप के पास के बोरवेल से लगातार निकलने वाला पानी किसी अजूबे से कम नहीं है।

By Edited By: Publish:Sun, 11 Aug 2019 11:10 PM (IST) Updated:Mon, 12 Aug 2019 12:07 PM (IST)
ओडिशाः कुदरत के इस करिश्मे को सहेजने की जरूरत Sundergarh News
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सुनील अग्रवाल, सुंदरगढ़। प्राकृतिक जल स्त्रोत की बात आती है तो सबसे पहले जेहन में झील या झरना का ख्याल ही आता है। लेकिन सिर्फ यही कुदरत का करिश्मा नहीं है, इसके अलावा भी अन्य कई करिश्मे आए दिन होते रहते है। यह बात और है कि इस करिश्मे को सहेजने की ओर शासन प्रशासन का ध्यान कभी नहीं जाता। कुतरा ब्लाक के गोमारडीही माइंस बस स्टाप के पास के बोरवेल को कुदरत का ही नायाब तोहफा कहना गलत नहीं होगा। क्योंकि इससे लगातार निकलने वाला पानी किसी अजूबे से कम नहीं। इसका इस्तेमाल दुकानदारों से लेकर नजदीकी गांव के किसान भी करते है। ऐसे में इसे सहेजने की जरूरत महसूस की जा रही है, ताकि लंबे समय तके अंचल समेत अन्य लोगों को इसका लाभ मिल सके।

पांच साल पहले शुरू करिश्मा अब तक बरकरार
संबलपुर से राउरकेला बीजू एक्सप्रेस वे पर सुंदरगढ़ जिले के कुतरा ब्लाक के गोमारडीही माइंस बस स्टाप के पास कुदरत का यह करिश्मा करीब पांच साल पहले शुरू हुआ, जो अब तक बरकरार है। अब यहां पर साल के 365 दिन 24 घंटे तक लगातार पानी निकलता रहता है।

एक बोरवेल बंद होने पर दूसरे से हुआ करिश्मा
इस सड़क को दो लेन से चार लेन बनाने के दौरान ठेका कंपनी ने यहां पर स्थित एक बोरवेल को बंद करने के बाद राज्य राजपथ से करीब 50 फीट की दूरी पर नया बोरवेल की खुदाई की थी। जिसमें कुछ फीट की खुदाई के बाद ही पानी निकलने पर कंपनी ने खुदाई बंद कर दी। इसके बाद भी इस बोरवेल से लगातार पानी निकलता रहता है।

अंचल के दुकानदारों ने की बोरवेल संरक्षण की बात
इस बोरवेल से लगातार निकलने वाले पानी का ज्यादातर इस्तेमाल बस स्टाप के पास स्थित दुकानदार करते हैं। यहां से निकलने वाले पानी को संरक्षित करने के लिए यहां छोटी नाली बनाकर उसे पास ही स्थित एक तालाब से जोड़ दिया गया है। जिससे इस तालाब में भी साल भर पानी लबालब भरा रहता है। किसानों की जरूरत पूरा करता है बोरवेल : इस बोरवेल से निकलने वाला पानी नाली से होकर पास के तालाब में जमा होता है। एक ओर जहां कुतरा ब्लाक के तुनमुरा पंचायत के किसानों को खेती के लिए पानी की कमी से जूझना पड़ता है। वहीं इस तालाब के पास स्थित खटांग पंचायत के लाखो पाड़ा के किसानों की खेतीबाड़ी के लिये पानी की जरूरत यह बोरवेल पूरी करता है।

कुदरत के करिश्मे को सहेजने में प्रशासन उदासीन
एक ओर जहां केंद्र से लेकर राज्य सरकार जल संरक्षण पर जोर दे रही हैं। लेकिन यहां पर कुदरत के इस करिश्मे को सहेजने में प्रशासनिक उदासीनता देखी जा रही है। हालांकि इस बोरवेल से लगातार बहता पानी का कुछ हिस्सा तालाब में संरक्षित होता है तो कुछ पानी खेती-बाड़ी में इ्स्तेमाल होता है। इसके बाद भी यहां से लगातार बहता पानी बेकार हो जाता है, इस पानी को 100 फीसद तक संचित कर उसे पाइप लाइन या अन्य विधि द्वारा इसका पूरी तरह से इस्तेमाल किया सके।

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