गणतंत्र दिवस : सुबह साढ़े सात बजे सरकारी दफ्तरों में फहराया जाएगा तिरंगा

आगामी गणतंत्र दिवस समारोह की तैयारी को लेकर अतिरिक्त जिलापाल विश्वजीत महापात्र की अध्यक्षता में सुंदरगढ़ जिला मुख्यालय में बुधवार को तैयारी बैठक हुई।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 20 Jan 2022 07:58 AM (IST) Updated:Thu, 20 Jan 2022 07:58 AM (IST)
गणतंत्र दिवस : सुबह साढ़े सात बजे सरकारी दफ्तरों में फहराया जाएगा तिरंगा
गणतंत्र दिवस : सुबह साढ़े सात बजे सरकारी दफ्तरों में फहराया जाएगा तिरंगा

जागरण संवाददाता, राउरकेला : आगामी गणतंत्र दिवस समारोह की तैयारी को लेकर अतिरिक्त जिलापाल विश्वजीत महापात्र की अध्यक्षता में सुंदरगढ़ जिला मुख्यालय में बुधवार को तैयारी बैठक हुई। इस वर्ष, पिछले वर्षों की तरह, गृह विभाग द्वारा जारी मार्गदर्शिका के तहत गणतंत्र दिवस पालन किए जाने का निर्णय लिया गया।

बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार 26 जनवरी की सुबह जिला सूचना एवं जनसंपर्क विभाग शहर में माइक के माध्यम से रामधुन बजाया जाएगा। इसके बाद शहर स्थित महापुरुषों के प्रतिमाओं पर माल्यार्पण किया जाएगा। प्रात: 7:30 बजे सभी सरकारी व निजी संस्थानों व शैक्षणिक संस्थानों में संस्था प्रमुख द्वारा राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाएगा। रिजर्व पुलिस ग्राउंड में सुबह 9:30 बजे जिला स्तरीय गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि राष्ट्रीय ध्वज फहराएंगे और अभिवादन लेंगे। कोरोना गाइडलाइन के मुताबिक आम जनता कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाएगी, केवल सीमित संख्या में डॉक्टर, स्वास्थ्यकर्मी, पुलिस, दमकलकर्मी और सफाई कर्मचारी मौजूद रहेंगे। बैठक में निर्णय लिया गया कि कोविड के दौरान उत्कृष्ट योगदान के लिए कोविड योद्धाओं को सम्मानित किया जाएगा। बैठक में परियोजना निदेशक जिला ग्रामीण विकास अभिकरण भैरब सिंह पटेल, सदर उपजिलापाल अभिमन्यु बेहरा, जिला संस्कृति अधिकारी अनिल केरकेटटा और संभागीय अधिकारी उपस्थित रहकर अपने विचार रखे। सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी नंदिनी मुंडारी ने स्वागत भाषण दिया और बैठक की अध्यक्षता की। कश्मीरी पंडितों का शीघ्र पुनर्वास हो : शांतनु : कश्मीर से 32 साल पूर्व निर्वासित चार लाख कश्मीरी पंडितों का शीघ्र पुनर्वास करने की मांग विहिप की ओर से की गई है। विहिप नेता शांतनु कुसुम ने इसके लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है एवं उन्हें कश्मीर में शीघ्र सरकारी नौकरी देकर पुनर्वास कराने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा है कि अपने ही देश में कश्मीरी पंडित शरणार्थी जीवन जीने को विवश हैं। लोकतांत्रिक देश में 32 साल से उनकी समस्या को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। अपना घर बार छोड़ कर जान बचाकर भागे कश्मीरी पंडितों का दुख दर्द समझने वाला कोई नहीं है। उनके शीघ्र पुनर्वास एवं सभी तरह की सरकारी सुविधा व सुरक्षा प्रदान करने का अनुरोध उन्होंने किया है।

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