लाठीकटा ब्लाक में डेढ़ साल में हाथियों ने ली आठ लोगों की जान

जंगल के नष्ट होने के कारण भोजन की तलाश में हाथी गांवों की ओर रुख कर रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 04 Jul 2022 04:03 AM (IST) Updated:Mon, 04 Jul 2022 04:03 AM (IST)
लाठीकटा ब्लाक में डेढ़ साल में हाथियों ने ली आठ लोगों की जान
लाठीकटा ब्लाक में डेढ़ साल में हाथियों ने ली आठ लोगों की जान

लाठीकटा ब्लाक में डेढ़ साल में हाथियों ने ली आठ लोगों की जान

जागरण संवाददाता, राउरकेला : जंगल के नष्ट होने के कारण भोजन की तलाश में हाथी गांवों की ओर रुख कर रहे हैं। वन विभाग, हाथी सुरक्षा वाहिनी तथा ग्रामीणों की सहायता से किसी तरह हाथियों को खदेड़ने का प्रयास किया जा रहा है। हाथी एक ओर से खदेड़े जाने पर दूसरी ओर जाते हैं फिर वह लौट कर वहीं आते हैं। इससे जहां धान समेत अन्य फसल की हानि हो रही है। वहीं, लाठीकटा ब्लाक क्षेत्र में ही डेढ़ साल के अंदर हाथियों के हमले में आठ लोगों की जान जा चुकी है। बूढ़ीकुदर, कनरसुआं, पटबेड़ा आदि स्थानों पर सोलर फेंसिंग लगा है पर देखरेख के अभाव में यह काम नहीं कर रहा है। एरगेड़ा वन संरक्षण समिति के सदस्यों ने धन जन की सुरक्षा के लिए वन मंडल अधिकारी को सोलर फेंसिंग के लिए अनुरोध किया है। सुंदरगढ़ जिले के लाठीकटा ब्लाक के हाथीबंधा क्षेत्र एलिफेंट कारिडोर में शामिल है। इस क्षेत्र से होकर हाथियों का आना जाना जारी है। साल के अधिकतर महीने हाथियों का झुंडा इलाके में रहते हैं। वन विभाग को इसकी जानकारी होने के बावजूद उन्हें खदेड़ना संभव नहीं हो रहा है। इससे धान के अलावा केला, कटहल आदि फल एवं सब्जी की खेती को भी नुकसान हो रहा है। हाथियों के हमले में डेढ़ साल में आठ लोगों की जान गई है। 23 सितंबर 2020 को रुटकूपीड़ी गांव में बिरसी कुजूर 14 अक्टूबर 2021 को पुचुटोली में तिलक सिंह, पांच नवंबर को कुचेइता गांव की मोनिका मुंडा, 19 नवंबर को मलगां के गांदरू ओराम तथा कनरसुआं गांव के कार्तिक भूमिज, 2 दिसंबर 2021 को जराटोला गांव में संबारी मुंडार, 30 मई 2022 को तुंडुकोचा गांव में सुकरा खड़िया, 1 जुलाई की रात को मुंडाटोला में अमनेसिया सिंदूर की हाथी के कुचलने से मृत्यु हुई है। हाथी के हमले में कई लोग जख्मी भी हुए हैं। वन विभाग की ओर से हाथियों को ग्रामीण क्षेत्र में आने से रोकने के लिए जगह जगह सोलर फेंस लगाए गए हैं पर इसकी देखरेख नहीं होने के कारण यह काम नहीं कर रहा है। बुढीकदर, कनरसुआं, पटबेड़ा में सोलर फेंस खराब होने के कारण हाथी गांव में घुस रहे हैं। बार बार धान की फसल को नुकसान होने के कारण कुछ लोग जंगल क्षेत्र में खेती करना भी छोड़ दिए हैं। एरगड़ा क्षेत्र में हाथी का उत्पात अधिक होने के कारण इस क्षेत्र के लोग आतंकित हैं। डीएफओ से मिलकर उन्होंने स्थिति से अवगत कराया गया है तथा इसका समाधान करने की मांग की गई है।

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