राहुल से लेकर आशाराम बापू पर चले व्यंग्य बाण

जागरण संवाददाता, राउरकेला : दैनिक जागरण के कवि सम्मेलन में बुधवार की शाम गीत, गजल व मुक्तक के साथ हा

By JagranEdited By: Publish:Thu, 24 May 2018 06:13 PM (IST) Updated:Thu, 24 May 2018 06:13 PM (IST)
राहुल से लेकर आशाराम बापू पर चले व्यंग्य बाण
राहुल से लेकर आशाराम बापू पर चले व्यंग्य बाण

जागरण संवाददाता, राउरकेला : दैनिक जागरण के कवि सम्मेलन में बुधवार की शाम गीत, गजल व मुक्तक के साथ हास्य-व्यंग्य की जमकर फुहार हुई। इसमें कवियों ने राहुल गांधी से लेकर दिग्विजय ¨सह, निर्मल बाबा से लेकर आशाराम बापू पर ऐसे-ऐसे व्यंग्य बाण छोड़े कि श्रोता हंसते-हंसते लोटपोट हो गए। खासकर सम्मेलन के अंतिम चरण में कवि डॉ. विष्णु सक्सेना की चार-चार पंक्तियों की मुक्तकों ने श्रोताओं को ऐसा लुभाया कि भंज भवन वंस मोर, वंस मोर.. से गुंजायमान हो गया।

दिल्ली से आये कवि गजेंद्र सोलंकी ने स्वरचित कविता अमर रहे वैभव तुम्हारा मान, करेंगे हर इक सांस पर यशगान, मेरे देश के बसइया, हिंदी को बचाओ रे.. के जरिये खूब तालियां बटोरी। कल मिले न मिले प्यार गवाही के लिये, कोई कोना न बचे स्याही के लिये.. कविता को भी श्रोताओं ने सराहा। इसके बाद मोदी नगर, उत्तर प्रदेश के कवि बलबीर ¨सह खिचड़ी ने श्रोताओं के मनोरंजन की बागडोर संभाली। इनकी कविता देश भक्त और कोई भक्त बन सको न सको, पति भक्त बनना नारी का सम्मान है, राष्ट्र का सम्मान है। एंजोय करने वाले को कभी इंजोग्राफी नहीं करानी पड़ती, हंसने वाला आदमी कभी गुनाह नहीं कर सकता., श्रोताओं की पसंद रही। वहीं टीवी पर आनेवाले बाबाओं पर भी कटाक्ष का उनका अनूठा अंदाज श्रोताओं को रास आया। इसके बाद लखनऊ की कवियत्री डॉ. सुमन दुबे कवि सम्मेलन की शान बनीं। इनके गीत आगाज किया है तो अंजाम भी लिख देना, भेजे हैं कबूतर तो पैगाम भी लिख देना.., उम्मीद की जुगनू लेके तेरे दर पे आयी हूं, एक शाम मुहब्बत का मेरे नाम भी लिख देना.., हम दिल नहीं रखते, जज्बात भी रखते हैं, जुल्फों में बरसात भी रखते हैं, जो फूल समझते हैं, उनको ये खबर दे दो, हम कांटों से निभाने की औकात भी रखते हैं.., गीत ने श्रोताओं को विभोर कर दिया। वहीं मैं सुमन, मैं सुमन शीर्षक के साथ खुद को परिभाषित करने की उनकी अदा भी श्रोताओं की तालियों की गड़गड़ाहट का कारण बनी। इसके बाद राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त कवि डॉ. सुरेश अवस्थी ने हास्य-व्यंग्य के बाण छोड़कर श्रोताओं को ऐसा घायल किया कि उनके होठों पर आह-आह के स्थान वाह-वाह ने ली। खासकर कुंवारे युवक को शादी के लिए जेब में राहुल गांधी के स्थान पर दिग्विजय ¨सह के फोटो रखने से बुढ़ापे तक शादी होने की सलाह, संतान के लिए बेडरूम में नरेंद्र मोदी के स्थान पर लालू यादव का फोटो रखने के परामर्श पर आधारित व्यंग्य ने श्रोताओं को खूब गुदगुदाया। इसके समेत नोटबंदी, बाबा बंदी के साथ पत्नी बंदी पर आधारित हास्य व्यंग्य की रचनाओं को भी खूब तालियां मिली। अंत में कवि डॉ. विष्णु सक्सेना की चार-चार पंक्तियों के मुक्तकों ने श्रोताओं का दिल जीत लिया। खासकर प्यास बन जाऊं तो शबनम खरीद सकता हूं, जख्म मिल जाये तो मरहम खरीद सकता हूं, ये मानता हूं कि दौलत नहीं कमा पाया, लेकिन तुम्हारा हरेक गम खरीद सकता हूं.. के साथ अन्य मुक्तकों ने वंस मोर, वंस मोर कहने पर श्रोताओं को विवश कर दिया।

chat bot
आपका साथी