शौचालय को तरस रही देवगांव चेकगेट बस्ती

देश में जहां एक ओर 'स्वच्छता ही सेवा' पखवाड़ा चल रहा है व

By JagranEdited By: Publish:Sun, 16 Sep 2018 06:12 PM (IST) Updated:Sun, 16 Sep 2018 06:12 PM (IST)
शौचालय को तरस रही देवगांव चेकगेट बस्ती
शौचालय को तरस रही देवगांव चेकगेट बस्ती

जागरण संवाददाता, राउरकेला : देश में जहां एक ओर 'स्वच्छता ही सेवा' पखवाड़ा चल रहा है वहीं राउरकेला महानगर निगम में अभी भी कई ऐसे इलाके हैं जहां खुले में शौच लोगों की मजबूरी बनी हुई है। निगम वार्ड 3 की देवगांव चेकगेट बस्ती की दास्तां कुछ ऐसी ही है। यहां के लोग बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। जबकि 'स्वच्छ भारत अभियान' चलाकर लोगों को खुले में शौच से मुक्ति दिलाने के लिए शौचालय बनवाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। सरकार आर्थिक मदद भी दे रही है। लेकिन जहां तक इस चेकगेट बस्ती का सवाल है, वहां पर अब तक स्वच्छ भारत अभियान पहुंच नहीं सका है। बस्ती के लोगों के घरों में शौचालय न होने से वे खुले में शौच जाने के लिए मजबूर हैं। खासकर महिलाओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इस बस्ती के लोगों का कहना है कि शौचालय बनाने के लिये कई बार निगम के कर्मचारी आवेदन फार्म भरवा कर ले तो गए हैं, लेकिन यहां पर शौचालय बनाने का काम वहीं तक सीमित होकर रह गया है। यदि बस्ती के लोगों के घरों में शौचालय बनाने में सहयोग करने के साथ सामुदायिक शौचालय भी बना दिया जाए तो कम से कम खुले में शौच जाने से मुक्ति तो मिलेगी।

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हमारी बस्ती में शौचालय न होने से हमें शौच के लिए बाहर जाना पड़ता है। वैसे यहां पर राउरकेला महानगर निगम के कर्मचारियों ने बस्ती के लोगों से शौचालय बनवाने के लिए एक साल पहले फार्म तो भरवाया था। लेकिन हमारी बस्ती में एक भी शौचालय नहीं बन पाया है।

- कमला सोलेय।

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इस बस्ती में शौचालय न होने से खासकर हम महिलाओं को काफी तकलीफ होती है। शौचालय बनाने के लिए पैसा सीधे हमारे खाते में आने के लिए हम से आधार कार्ड, राशन कार्ड तथा बैंक पासबुक का जेरोक्स लिया जा चुका है। लेकिन हमारे खाते में अभी तक एक धेला भी नहीं पहुंचा है।

- ¨रकी थापा।

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हम लोगों से कहा जाता है कि आप लोग शौचालय बनाने का काम शुरू करिए, जिसके बाद इसका सारा पैसा आपके खातों में पहुंच जाएगा। लेकिन हम तो दिहाड़ी मजदूरी करते है तो हमारे पास इतना पैसा कहां है कि हम अपने पैसों से शौचालय बनाने का काम शुरू कर सकें।

- नमिता महानंदी।

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बस्ती में किसी के पास अपना व्यक्तिगत शौचालय नहीं है। सामुदायिक शौचालय तक नही है। ऐसी सूरत में बस्ती के लोगों को शौच के लिए बाहर जाना पड़ता है। जिससे इस समस्या का समाधान करने के लिए प्रशासन को ध्यान देना चाहिए।

- अंजली मुंडा।

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