सुंदरगढ़ के श्मशान बंधुओं की मुरीद हुई दुनिया

कोरोना संक्रमण काल में मानवता भी तार-तार हो रही है। संक्रमित व्यक्ति को उसके स्वजन भी कंधा नहीं दे पा रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 07 May 2021 07:26 AM (IST) Updated:Fri, 07 May 2021 07:26 AM (IST)
सुंदरगढ़ के श्मशान बंधुओं की मुरीद हुई दुनिया
सुंदरगढ़ के श्मशान बंधुओं की मुरीद हुई दुनिया

जागरण संवाददाता, राउरकेला : कोरोना संक्रमण काल में मानवता भी तार-तार हो रही है। संक्रमित व्यक्ति को उसके स्वजन भी कंधा नहीं दे पा रहे हैं। ऐसे अपनी जान की बाजी लगाकर सुंदरगढ़ के चार श्मशान बंधु लगातार शवों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं। केवल कोरोना मरीज ही नहीं बल्कि लावारिस शवों का अंतिम संस्कार भी 15 साल से करते आ रहे हैं। इनके इस महान कार्य की देश ही नहीं बल्कि दुनिया में भी प्रशंसा की जा रही है। अमेरिका व इंग्लैंड से प्रशंसा के संदेश आ रहे हैं एवं प्रोत्साहन के साथ-साथ सहायता देने का भरोसा भी मिल रहा है।

इंग्लैंड में रहने वाले प्रवासी जोहार परिवार की ओर से वाट्सएप संदेश में चारों श्मशान बंधुओं की प्रशंसा की गई है। जोहार परिवार के सदस्य अंकन पटेल, श्रीराम पंडा, देवाशीष मिश्र, उत्तम कुमार त्रिपाठी आदि ने श्मशान बंधु सिद्धांत पंडा से संपर्क कर इस महान कार्य के लिए प्रशंसा करने के साथ ही इस तरह के कार्य के लिए विदेश में रहकर अपने को ओड़िया होने का गौरव महसूस होने की बात कही है। संयुक्त राज्य अमेरिका में रहने वाले ओड़िया परिवार तथा सुनारी पाड़ा निवासी संतोष कुमार दास ने भी श्मशान बंधुओं के इस प्रयास की प्रशंसा की है तथा चारों को अपना सलाम कहा है। इस बीच विदेश के विभिन्न संगठनों ने भी इस महान कार्य में उन्हें शामिल करने की इच्छा जताई है। स्वर्गद्वार के विकास, गरीब एवं असहाय लोगों का अंतिम संस्कार करने के साथ सहायता करना चाह रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि श्मशान बंधु सिद्धांत पंडा, मनोज एवं शिशिर डेढ़ दशक से असहाय लोगों का अंतिम संस्कार करते रहे हैं। चिता सजाना, दाह संस्कार करना, मृतक के स्वजनों को अस्थि प्रदान करने का काम करते आ रहे हैं। धीरे-धीरे शहर में भिक्षुक, दिव्यांग, असहाय व्यक्ति व लावारिश शव के संस्कार के लिए उनकी तलाश होने लगी। पुलिस प्रशासन के अनुरोध पर यह काम करते रहे हैं। एक साल पहले तक तीन लोग थे अब उनके साथ कमलेश भी जुड़ गए हैं एवं यह सेवा कर रहे हैं। एक कोरोना मरीज का अंतिम संस्कार करने के लिए किसी के आगे नहीं आने पर उनकी मदद ली गई थी। तब से श्मशान बंधु पीछे नहीं हटे हैं। मई महीने में तीन दिन के अंदर 34 शवों का अंतिम संस्कार ये कर चुके हैं। दो मई को 12, तीन मई को 12 एवं चार मई को 10 शवों का अंतिम संस्कार श्मशान बंधुओं के हाथों हुआ है। इनमें से अधिकतर एनटीपीसी कोविड अस्पताल के हैं। वे यह सेवा निश्शुल्क प्रदान कर रहे हैं एवं इसके लिए जिला प्रशासन से इन्हें राष्ट्रीय स्तर का सम्मान दिलाने का अनुरोध किया जा रहा है।

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