भारतीय संस्कृति में महिला मां का स्वरूप

शिशु विद्या मंदिर हमारी परंपरा व संस्कृति को बचाए रखने में अहम भूमिका निभा रही है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 11 Oct 2018 07:34 PM (IST) Updated:Thu, 11 Oct 2018 07:34 PM (IST)
भारतीय संस्कृति में महिला मां का स्वरूप
भारतीय संस्कृति में महिला मां का स्वरूप

जागरण संवाददाता, झारसुगुड़ा : शिशु विद्या मंदिर हमारी परंपरा व संस्कृति को बचाए रखने में अहम भूमिका निभा रही है। मेरा यह सौभाग्य है कि मैं आज इस विद्यालय में बच्चों के साथ कुछ समय बिता सका। बच्चों से बात कर मुझे अत्यंत प्रसन्नता हुई। ये बातें गुरुवार को झारसुगुड़ा सरस्वती शिशु विद्या मंदिर, ¨हदी विभाग में राज्यपाल गणेशीलाल ने कही।

राज्यपाल ने कहा कि एकात्मिकता विकास का मूल्य लक्ष्य है। विनम्रता का मतलब सरल शांत होना नहीं है। यह अहम केंद्रित से वसुधा केंद्रित तक है। दुश्मन भी जब हमारे पास आता है और कुछ मांगता है तो उसे बिना किसी संकोच के हमें प्रदान करना व उसके साथ उस समय मित्र सा व्यवहार करना ही विनम्रता है। राज्यपाल ने कहा कि भारत की संस्कृति में महिला को मां के रूप में देखा जाता है जबकि विदेशों में औरत भोग की वस्तु के रूप में देखी जाती है। विभिन्नता में अनेकता ही भारत की संस्कृति है। इस मौके पर राज्यपाल के प्रधान सचिव मधुसूदन पाढ़ी, जिलाधीश विभूति भूषण पटनायक, एसपी अश्वनी महंती, स्कूल परिचालन समिति के अध्यक्ष विशाल बोंदिया, सचिव अंकित अग्रवाल, संस्थापक सचिव दिनेश जैन, ¨प्रसिपल बाबूलाल साहू प्रमुख उपस्थित रहे। स्कूल परिचालन समिति के विनोद केजरीवाल, सुभाष संघई, राजा वैद, वंदना मुंद्रड़ा, कुनू महाराणा ने राज्यपाल को स्मृति चिन्ह व शाल भेंटकर उनका सम्मान किया। इस मौके पर राज्यपाल ने स्कूल के साइंस रूम के लिए आधारशिला रखी तथा स्कूल को एक लाख रुपये प्रदान करने की घोषणा की। इस मौके पर आठ स्कूल के प्रतिनिधि, प्रधानाचार्य सहित एसएस खंडेलवाल, नंदकिशोर प्रधान, प्रधानाचार्य नित्यानंद खमारी, सरबहाल शिशु मंदिर के डॉ. सरोज कुंवर, सुब्रत त्रिपाठी, अशोक साकुनिया, सुरेश गांधी, डॉ. प्रभात जैन, सुभाष छितानी, नरेश नायक सहित छात्र छात्राएं उपस्थित थे।

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