रसायनिक खाद का अत्यधिक प्रयोग जहर समान : साहू

सन 1965 में हरित क्रांति के नाम से आया हाईब्रिड धान आज किसानों के लिए खतरा बन गया है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 22 Sep 2019 06:36 PM (IST) Updated:Sun, 22 Sep 2019 06:36 PM (IST)
रसायनिक खाद का अत्यधिक प्रयोग जहर समान : साहू
रसायनिक खाद का अत्यधिक प्रयोग जहर समान : साहू

संवाद सूत्र, झारसुगुड़ा : सन 1965 में हरित क्रांति के नाम से आया हाईब्रिड व शंकर धान आज किसानों के लिए खतरा बन गया है। इससे अन्य देसी धान ही गायब हो गये। धान में कीड़ों से बचाव के लिए कीटनाशक व रसायनिक खाद का अत्यधिक प्रयोग ने किसानों को चक्रव्यूह मे फंसा दिया है। इसका उदाहरण पंजाब राज्य के भटिडा का किसनपुर है जो आज जहर गांव के नाम से जाना जा रहा है। घर घर मे लोग कैंसर से पीड़ित है। इनके इलाज के लिए कैंसर ट्रेन चल रही है। कुछ ऐसी ही स्थिति ओडिशा में चावल का गढ़ कहे जाने वाले बरगढ़ मे भी दिखने लगी है। आधुनिक खेती व अधिक पैदावार के चक्कर मे किसान चक्रव्यूह में फंस गए हैं। अगर किसानों इस चक्रव्यूह से निकलना है तो उन्हे देसी धान बीज व जैविक खेती व खाद ही एकमात्र विकल्प है। एलएन कालेज में आयोजित देसी धान, बीज व चावल की प्रदर्शनी में जैविक खेती की उपयोगिता विषयक संगोष्ठी में बरगढ़ जिले के किसान व बीज योद्धा सुदाम साहू ने यह बात कही।

इस संगोष्ठी में कर्ज मुक्त किसान, जहर मुक्त खेती व आत्मनिर्भर किसान का स्लोगन किसानों की मदद कर रहा है। राज्य के 14 जिलों के किसान इसी दिशा में काम कर रहे हैं। उन्होंने जैविक खेती को बचाए रखने के लिए चल रहे प्रयास को सफल बनाने सभी से पूरी निष्ठा से काम करने पर जोर दिया। प्राचार्य चिरव्रत दत्ता की अध्यक्षता मे आयोजित इस संगोष्ठी में कृषि निदेशक एस केरकेट्टा आदि ने भी अपने विचार रखे। लैयकरा की ग्रामीण महिला किसान रंभा किसान व बरगढ़ के किसान सुदाम साहू को सम्मानित किया गया। संगोष्ठी का संचालन अर्थशास्त्र विभाग के प्राध्यापक तपन कुमार बारिक ने किया। डॉ. सरोज कुंवर की अध्यक्षता में चले दूसरे सत्र में किसानों को सम्मान देने के साथ सिचाई सुविधा, औद्योगिक प्रदूषण से खेतों की सुरक्षा, बैंक के सहज लोन, कोल्ड स्टोरेज व बाजार की व्यवस्था आदि विषयों पर अतिथियों का फोकस रहा।

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