Bahuda yatra 2020: रथ के ऊपर सोना वेश में सुसज्जित किए गए श्री विग्रह, घर बैठ भक्तों ने किये महाप्रभु के दर्शन

Bahuda yatra 2020 बाहुड़ा यात्रा में वीरवार को तीनों रथ के ऊपर ही कड़ी सुरक्षा के बीच सोना वेश सजाया गया। शुक्रवार को सम्पन्न की जाएगी अधरपणा नीति।

By Babita kashyapEdited By: Publish:Fri, 03 Jul 2020 07:45 AM (IST) Updated:Fri, 03 Jul 2020 07:45 AM (IST)
Bahuda yatra 2020: रथ के ऊपर सोना वेश में सुसज्जित किए गए श्री विग्रह, घर बैठ भक्तों ने किये महाप्रभु के दर्शन
Bahuda yatra 2020: रथ के ऊपर सोना वेश में सुसज्जित किए गए श्री विग्रह, घर बैठ भक्तों ने किये महाप्रभु के दर्शन

भुवनेश्वर/पुरी, जेएनएन। बाहुड़ा यात्रा में भाई बलभद्र, बहन सुभद्रा संग मौसीबाड़ी (गुंडिचा मंदिर) से निज धाम (श्रीमंदिर) लौटे महाप्रभु श्रीजगन्नाथ जी, प्रभु बलभद्र, देवि सुभद्रा जी को तीनों रथ के ऊपर ही कड़ी सुरक्षा के बीच गुरुवार को सोना वेश सजाया गया। महाप्रभु के इस वेश के दौरान महाप्रभु के रथ से लेकर पूरे बड़दांड (श्रीमंदिर के सामने चौड़ा रास्ता) में चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा बल के जवान मुस्तैद रहे।

जानकारी के मुताबिक प्रभु बलभद्र जी को श्री पयर, श्रीभुज, किरिटि, ओड़ियानी, कुण्डल, चन्द्रसूर्य, आड़कानी, घागड़ामाली, कदम्बलमाली, तिलक-चन्द्रिका और त्रिखण्डिका, कमरपट्टी से सजाने के साथ उनके हाथ में हल और मूशल शोभायमान हो रहे थे। महाप्रभु श्री जगन्नाथ जी को स्वर्ण श्रीभुज, श्री पयर, किरिटी, आड़कानी, त्रिखंडिका, कमरपट्टी और सोने के विभिन्न माली जैसे हरिणामाली, ओड़ियानी पहने थे। श्रीभुज में सोने का चक्र और चांदी का शंख धारण किए थे। वहीं देवी सुभद्रा को किरिटी, ओड़ियानी, खागड़ामाली, कदम्बमाली, सोने की सेवतीमाली में विभुषित किया गया था। दो तड़गी देवी का आयुध था। 

 सोने के वेश में सजाये गये महाप्रभु 

श्री विग्रहों को इस अनुपम वेश में सजाने के लिए आज सुबह ही महाप्रभु के रत्न भंडार (बाहर) को खोला गया था। इसमें से आभूषण निकालकर महाप्रभु को सोने के वेश में सजाया गया। भंडार मेकॉप व पालिया पुष्पालक सेवक की उपस्थिति में पहले इन आभूषणों की सफाई की गई इसके बाद इसे इन्हीं सेवकों द्वारा श्रीविग्रहों सजाया गया। महाप्रभु का वेश खत्म होने के पद्मफुल, मालती फुल आदि के हार पहनाए गए। इसके बाद तीनों विग्रहों की आरती की गई। रात 9 बजे के बाद इन आभूषण कों श्रीविग्रहों से उतारकर भंडार गृह में रखा जाएगा। 

महाप्रभु का आज सोना वेश सम्पन्न होने के साथ ही शुक्रवार शाम को रथ के ऊपर ही अधरपणा नीति सम्पन्न की जाएगी। प्रभु को अधरपणा भोग लगने के रथ में विराजमान 33 करोड़ देवी-देवता को प्रसाद समर्पित  किया जाता हैै। शुक्रवार को अधरपणा नीति सम्पन्न होने के बाद शनिवार को महाप्रभु का नीलाद्री बिजे किया जाएगा और महाप्रभु पुन: रत्न सिंहासन पर विराजमान हो जाएंगे।  

टेलीविजन के माध्यम से भक्‍तों ने किए प्रभु के अनुपम वेश के दर्शन 

गौरतलब है कि सुप्रीमकोर्ट के दिशा-निर्देश के कारण महाप्रभु के इस अनुपम वेश के लिए भी ना ही बाहर से भक्तों को श्रीक्षेत्र धाम में प्रवेश की अनुमति दी गई और ना ही पुरी में रहने वाले लोगों को बड़दांड में आने की अनुमति दी गई। प्रभु के इस अनुपम वेश का दूरदर्शन के साथ विभिन्न स्थानीय चैनलों पर सीधा प्रसारण किया और भक्त ने अपने घर से बैठकर टेलीविजन के माध्यम से प्रभु के इस अनुपम वेश का दर्शन किया। 

यहां उल्लेखनीय है कि हर साल रथयात्रा एवं बाहुड़ा यात्रा से भी ज्यादा सोना वेश के दिन भक्तों का जमावड़ा श्रीक्षेत्र धाम में होता था, मगर कोरोना संक्रमण के कारण इस बार भक्त विहीन रथयात्रा से लेकर बाहुड़ा यात्रा, सोनावेश सम्पन्न किए गए हैं और आगे की नीति भी बिना भक्तों के ही सम्पन्न की जाएगी।

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