international women's day 2019: 'संस्कार’ की छांव में समृद्ध हो रही गृहस्थी
international womens day 2019 महिलाओं की मेहनत को देखते हुए हिंडालको की मदद से स्थानीय यूको बैंक में एक खाता खोला गया। साथ ही पापड़ बरी जैसी खाद्य सामग्री उत्पादित करने के लिए इन्हें बैंक से कर्ज दिया गया।
भुवनेश्वर, जेएनएन। वर्ष 2008 में शुरू एक छोटी सी मुहिम आज संस्कार नामक स्वयं सहायता समूह बनकर महिलाओं को न सिर्फ रोजगार मुहैया करा रही है बल्कि उनकी गृहस्थी की समृद्धि का आधार बन गई है। संस्था की महिलाएं क्षेत्र के 105 आंगनबाड़ी केंद्रों में छतुआ (स्वादिष्ट खाद्य) उपलब्ध करा साढे़ सात से आठ हजार रुपयेमासिक कमा रही हैं।
आदित्य बिरला ग्रुप की संस्था हिंडालको, हीराकुद की तरफ से 13 दिसंबर 2008 में बासंती एवं उसकी तरह अन्य महिलाओं को लेकर एक सामान्य कोष का गठन किया गया था। इस कोष में प्रत्येक से 100 रुपये जमा करने के लिए प्रेरित किया गया। इसी कोष से उन्हें एक-दूसरे को कर्ज देने के साथ अपने घर के लिए जरूरी कार्य में उपयोग हो रहा था। महिलाओं की मेहनत को देखते हुए हिंडालको की मदद से स्थानीय यूको बैंक में एक खाता खोला गया। साथ ही पापड़, बरी जैसी खाद्य सामग्री उत्पादित करने के लिए इन्हें बैंक से कर्ज दिया गया। इसका हिसाब-किताब संचालन की सुविधा हिंडालको की तरफ से दी गई। इसके बाद इस ग्रुप नें 2600 रुपये की पूंजी से अपना व्यवसाय शुरू किया और महिलाओं ने अपनी मेहनत से कारोबार को आगे बढ़ाया।
वर्तमान समय में 105 आंगनबाड़ी
केंद्र को यह ग्रुप 180 किलो छतुआ (स्वादिष्ट खाद्य) मुहैया कर रहा है। इससे प्रत्येक ग्रुप के प्रत्येक सदस्य की मासिक आय 7500 से 8000 रुपये हो रही है। इस आय ने समूह से जुड़ी महिलाओं के जीवन में उल्लेखनीय बदलाव लाने का काम किया है।
संस्कार नाम से स्वयं सहायक
गोष्ठी के जरिए स्थानीय इलाके की महिलाओं को विकास की मुख्य धारा में शामिल करने एवं आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई तरह के कार्यक्रम हाथ में लिए गए हैं। इलाके में महिलाओं के कल्याण के लिए हम निरंतर प्रयास
कर रहे हैं। इससे क्षेत्र की महिलाएं आत्मनिर्भर होने के साथ सम्मान के साथ अपना जीवनयापन कर रही हैं।
राजेश गुप्ता, प्रमुख हिंडालको हीराकुद क्लस्टर