कर्लापाट अभयारण्य में एक और हाथी की मौत: अभयारण्य में 20 दिन में जा चुकी है 7 हाथियों की जान

कर्लापाट अभयारण्य में आज एक और हाथी के बच्चे की मौत हो गई है। हाथी बच्चे का शव घुषुरीगुड़ा इलाके में पाया गया। इस हाथी के बच्चे को मिलाकर 20 दिन में कर्लापाट अभायराण्य में अब तक 7 हाथियों की हो चुकी है। पढ़ें पूरी खबर।

By Pooja SinghEdited By: Publish:Sun, 21 Feb 2021 03:56 PM (IST) Updated:Sun, 21 Feb 2021 03:56 PM (IST)
कर्लापाट अभयारण्य में एक और हाथी की मौत: अभयारण्य में 20 दिन में जा चुकी है 7 हाथियों की जान
कर्लापाट अभयारण्य में एक और हाथी की मौत: अभयारण्य में 20 दिन में जा चुकी है 7 हाथियों की जान

जासं, भुवनेश्वर। कर्लापाट अभयारण्य में आज एक और हाथी के बच्चे की मौत हो गई है। हाथी बच्चे का शव घुषुरीगुड़ा इलाके में पाया गया। इस हाथी के बच्चे को मिलाकर 20 दिन में कर्लापाट अभायराण्य में अब तक 7 हाथियों की हो चुकी है। अभयारण्य में लगातार हाथियों की मौत सेफ्टीसेमिया बीमारी के कारण होने की बात केन्द्रीय टीम ने स्पष्ट किया है। हालांकि किस प्रकार से यह बीमारी अभयारण्य इलाके में फैली है, उस पर कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मिल पायी है, फिलहाल उस पर जांच चल रही है। सेफ्टीसेमिया बीमारी से ही हाथियों की मौत होने की बात स्पष्ट होने के बाद अभयारण्य के आस-पास गावों के पशुओं को टीका दिया जा रहा है। इसके अलावा जलाशयों में ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव किया जा रहा है।

जानकारी के मुताबिक कर्लापाट अभयारण्य में हाथी मृत्यु को लेकर अनुध्यान करने के लिए 3 सदस्यीय केन्द्रीय टीम ने अभयारण्य का दौरा किया है।यह टीम शनिवार को दिन तमाम अभयारण्य में घूमकर अनुध्यान किए हैं। शाम को भवानीपाटना लौटने के बाद कालाहांडी के जिलाधीश के साथ टीम के सदस्यों ने इस संदर्भ में चर्चा की है। कालाहांडी जिलाधीश गभली पराग हर्षद की अध्यक्षता में चलई इस बैठक में केन्द्रीय टीम के डा. करिकालन माथेस, पीपी.पंडा, प्रोफेसर डाक्टर निरंजन साहू, आरीसीसीएफ सुदीप्त दास, दक्षिण वनखंड के अधिकारी टी.अशोक कुमार, अतिरिक्त निदेशक पशुपालन एवं पार्णी चिकित्सा विभाग प्रताप किशोर खमारी ने हाथियों की मौत को कैसे रोका जाए, उस पर मंथन किए।

चर्चा के बाद कोडनेटर नेशनल एलीफेंट सेंटर के डाक्टर पीपी.पंडा ने कहा है कि हाथियों की मौत के मौत का कारण है ह्यूमरेजिक सेफ्टीसेमिया या साहाण बीमारी। यह बीमारी किस प्रकार से अभयारण्य में फैली है, उस पर अधिक अनुध्यान किया जा रहा है। अनुध्यान के बाद यह भी स्पष्ट हो जाएगा कि आखिर यह बीमारी किस प्रकार से अभयारण्य में फैली जो हाथियों के मौत कारण बन गई है।

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