Odisha Matric Result: दसवीं में मां ने बेटे को पछाड़ा, साथ में परीक्षा दी पर झटके अधिक नंबर; मिसाल बनीं सुजाता

Odisha Matric Results ओडिशा की सुजाता नायक ने साबित कर दिया कि पढ़ने-लिखने की कोई उम्र नहीं होती। सुजाता ने पढ़ाई के साथ घर की जिम्मेदारी संभाली। उनका सफर आसान नहीं था। जानिए उन्होंने कैसे भरे अपने सपनों में रंग।

By Jagran NewsEdited By: Publish:Sat, 20 May 2023 03:05 PM (IST) Updated:Sat, 20 May 2023 03:08 PM (IST)
Odisha Matric Result: दसवीं में मां ने बेटे को पछाड़ा, साथ में परीक्षा दी पर झटके अधिक नंबर; मिसाल बनीं सुजाता
ओडिशा दसवीं बोर्ड में मां ने बेटे को पछाड़ा

संतोष कुमार पांडेय, अंगुल। कहते हैं कि अपने सपनों को जीने की कोई उम्र नहीं होती। बस जरुरत है ढृढ़ इच्छाशक्ति, मेहनत और लगन की। ऐसा ही कर दिखाया है कि ओडिशा की कंधमाल की एक मां ने।

47 साल की सुजाता नायक ने न सिर्फ मैट्रिक की परीक्षा पास की बल्कि अपने बेटे से भी अच्छे नंबर लाए। यह कहानी ओडिशा के कंधमाल की सुजाता नायक की है। सुजाता आज लोगों के लिए मिसाल बन गई है।

सुजाता ने ओडिशा माध्यमिक बोर्ड की मैट्रिक परीक्षा 2023 में बी 2 ग्रेड हासिल किया है। कंधमाल की दरिंगीबाड़ी इलाके के लाहौरा साही की रहने वाली सुजाता नायक ने 47 साल की उम्र में ठाना कि उन्हें अपना सपना पूरा करना है। उनका सपना मैट्रिक पास करना था।

जिसके बाद घर-परिवार की जिम्मेदारी के साथ सुजाता ने दसवीं की पढ़ाई शुरू की। चार बच्चों की मां और घर की जिम्मेदारी संभाल रही इस मां के लिए सबकुछ आसान नहीं था लेकिन वो लगन से पढ़ाई करती रहीं। उनका बेटा भी दसवीं में था। दोनों साथ दसवीं की तैयारी कर रहे थे।

सुजाता नायक अपने बेटे आयुष के साथ 10वीं कक्षा की वार्षिक परीक्षा में शामिल हुईं। दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने अपने बेटे आयुष से भी अच्छे ग्रेड हासिल किए।

मां-बेटे को मिले इतने अंक

सुजाता को मैट्रिक में बी2 ग्रेड मिला। उन्होंने परीक्षा में 600 में से 346 अंक प्राप्त किए, जबकि उनके बेटे ने डी ग्रेड के साथ परीक्षा उत्तीर्ण किया। जिसमें उसे 600 में से 258 अंक मिले हैं।

पारिवारिक कारणों से छूट गई थी पढ़ाई

सुजाता अपनी सफलता का पूरा श्रेय अपने परिवार खासकर पति को देती हैं। उनके पति राजमिस्त्री का काम करते हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, मिशन शक्ति की सदस्य सुजाता की पढ़ाई में खासी दिलचस्पी थी। हालांकि, पारिवारिक कारणों से वह इसे जारी नहीं रख सकीं।

सुजाता फिर से मैट्रिक पास करना चाहती थी, जिसके लिए उन्होंने दरिंगीबाड़ी के लाल बहादुर विद्यापीठ में एक ओपन स्कूल की छात्रा के रूप में दाखिला लेने की तैयारी की। चूंकि उनका बेटा आयुष भी 10वीं कक्षा में था, इसलिए उसके लिए वार्षिक परीक्षा की तैयारी करना और भी आसान हो गया था।

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