इतिहास में किया जाए लिपिबद्ध : शर्मा
साहित्य में कल्पना करना अच्छी बात है, मगर इतिहास में कल्पना को लेकर संकलन कर
भुवनेश्वर : साहित्य में कल्पना करना अच्छी बात है, मगर इतिहास में कल्पना को लेकर संकलन करना ठीक नहीं है। ब्रिटिश शासन के खिलाफ 1857 में सिपाही विद्रोह को भारत में पहले स्वतंत्रता संग्राम के तौर पर इतिहास में लिपिबद्ध किया गया है, भारत में स्वतंत्रता संग्राम की सच्चाई कुछ और है। सिपाही विद्रोह से पहले ब्रिटिश शासन के खिलाफ ओडिशा के वीर पाइकों ने 1817 में ही पहला संग्राम शुरू कर अंग्रेजों की नींद गायब कर दी थी। इस संग्राम में शामिल होकर अनेकों पाइक अपनी जन्मभूमि के लिए प्राण न्यौछावर किए थे। ऐसे में इतिहास के इस सच्चाई को किसी भी स्थिति छिपाकर नहीं रखा जा सकता है। राज्य सरकार ने पाइक संग्राम को देरी से ही सही पहले स्वतंत्रता संग्राम के तौर पर स्वीकार किया है, जो स्वागत योग्य है। ओडिशा स्वाभिमान संगठन राज्य सरकार के इस निर्णय का स्वागत करता है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास का पुन: संकलन कर ओडिशा के पाइक संग्राम को देश के पहले स्वतंत्रता संग्राम के तौर पर विधिवत ढंग से लिपिबद्ध करने के लिए केंद्र व राज्य सरकार कदम उठाने की मांग पाइक अभ्यास एवं परंपरा सुरक्षा के लिए काम करने वाले ओडिशा स्वाभिमान के अध्यक्ष मुरली मनोहर शर्मा ने की है।