छत्‍तीसगढ़ में सातवां द्वार साधने पर ही कांग्रेस को मिलेगी सत्ता की चाबी

टिकट बंटवारे के बाद मचने वाली भगदड़ को रोकना ही सातवें द्वार को साधना होगा।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Mon, 17 Sep 2018 11:21 PM (IST) Updated:Tue, 18 Sep 2018 12:07 AM (IST)
छत्‍तीसगढ़ में सातवां द्वार साधने पर ही कांग्रेस को मिलेगी सत्ता की चाबी
छत्‍तीसगढ़ में सातवां द्वार साधने पर ही कांग्रेस को मिलेगी सत्ता की चाबी

मृगेंद्र पांडेय, रायपुर। छत्तीसगढ़ में 15 साल से वनवास काट रही कांग्रेस को सत्ता की चाबी सातवां द्वार साधने पर ही मिल सकती है। संगठन दुरूस्त करने, संकल्प दिलाने, आवेदन मंगाने के गणित में उलझाने, बागी नेताओं को वापस लाने, नेताओं को लगातार सक्रिय रखने, संगठन में पद देकर नेताओं को साधने के बाद अब सातवें द्वार पर संगठन के सामने सबसे बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। टिकट बंटवारे के बाद मचने वाली भगदड़ को रोकना ही सातवें द्वार को साधना होगा।

कांग्रेस ने टिकट के दावेदारों का नाम ब्लॉक स्तर से मंगाकर बड़ा दांव खेला है। दरअसल, कांग्रेस नेता तीन महीने तक टिकट की दावेदारी में लगे रहे इससे पार्टी को भगदड़ रोकने में मदद मिली। इस बीच, संगठन ने उन जनाधार वाले नेताओं को भी एक बार फिर अपने पाले में कर लिया, जो पार्टी छोड़कर चले गए थे। ऐसा करके कांग्रेस संगठन ने भाजपा के मुकाबले चुनावी मैदान के छह दरवाजे तो बराबरी से पार कर लिया।

कांग्रेस के आला नेताओं की मानें तो टिकट बंटवारे के लिए भले ही तीन महीने से कवायद चल रही हो, लेकिन आखिरी फैसला जिताऊ उम्मीदवार पर ही होगा। ऐसे में जातिगत से लेकर दागी और बागी समीकरण भी जीत के फार्मूले के आगे फेल हो जाएंगे। टिकट बंटवारे के बाद मचने वाली भगदड़ को रोकना प्रदेश संगठन के लिए सबसे बड़ी चुनौती मानी जा रही है। यही सातवां दरवाजा है जिसे कांग्रेस को पार करना है।

टिकट मिलने वाले विधायकों को मैदान में सक्रिय होने का निर्देश 
कांग्रेस के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो पार्टी आलाकमान ने उन सभी विधायकों को क्षेत्र में सक्रिय होने का निर्देश दे दिया, जिनका टिकट फाइनल हो गया है। बताया जा रहा है कि केंद्रीय संगठन की ओर से तैयारियों को लेकर फंड भी भेज दिया गया है। यही नहीं, पिछले चुनाव में हारे उन नेताओं को भी केंद्रीय संगठन ने हरी झंडी दे दी है, जो पिछले पांच साल सक्रिय थे और इस बार जीत दर्ज कर सकते हैं।

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