मध्य प्रदेश में बसपा ने दावेदारों से मांगे बायोडाटा, नेताओं की भीड़ लगी
बसपा प्रदेश प्रभारी राजभर ने गठबंधन के सवाल पर कहा कि हमें पार्टी सुप्रीमो की ओर से अभी कोई संकेत नहीं है। इसलिए हमने सभी 230 विधानसभा सीटों के दावेदारों से बायोडाटा पेश करने को कहा है।
नईदुनिया, भोपाल। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने मध्य प्रदेश के संगठन को अपने बूते विधानसभा की चुनावी तैयारियों का फरमान जारी कर दिया है। इसके बाद बसपा ने टिकट के दावेदारों से बायोडाटा मांग लिए हैं। यही वजह है कि शनिवार को भोपाल के पार्टी कार्यालय में दिनभर नेताओं की भीड़ लगी रही। प्रदेश प्रभारी रामअचल राजभर बूथ स्तर से लेकर प्रदेश पदाधिकारियों से चर्चा करते रहे। गठबंधन के मुद्दे पर राजभर मौन हैं, वह कहते हैं हम सभी 230 सीटों के लिए कमर कस चुके हैं।
मध्य प्रदेश के सभी जिलों से बसपा के जिलाध्यक्ष, मंडल और बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं के अलावा प्रदेश पदाधिकारियों की दिनभर बैठकें चलती रहीं। पार्टी के प्रदेश पदाधिकारी, विधायक एवं पिछले चुनाव के पराजित प्रत्याशी भी भोपाल पहुंचे हैं।
बैठक को प्रदेश प्रभारी राजभर एवं प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप अहिरवार ने संबोधित किया। उन्होंने कहा कि विधानसभा एवं लोकसभा प्रभारियों को जवाबदारी सौंपी गई है। चुनाव के लिए क्षेत्रीय और जातिगत समीकरण के हिसाब से जमावट की जा रही है।
दैनिक जागरण के सहयोगी प्रकाशन 'नईदुनिया' से विशेष मुलाकात के दौरान बसपा प्रदेश प्रभारी राजभर ने गठबंधन के सवाल पर कहा कि हमें पार्टी सुप्रीमो की ओर से अभी कोई संकेत नहीं है। इसलिए हमने सभी 230 विधानसभा सीटों के दावेदारों से बायोडाटा पेश करने को कहा है। उन्होंने बताया कि पिछले चुनाव में जिन सीटों पर बसपा प्रत्याशी दूसरे-तीसरे स्थान पर रहे थे, उन सभी क्षेत्रों में विशेष तैयारी और रणनीति तैयार की गई है। ऐसी सीटों की संख्या 33 है। अन्य क्षेत्रों में भी जनाधार का आकलन कर तैयारी की जा रही है।
उप्र की तर्ज पर बनाएंगे जनाधार
एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि बसपा ने अपने बूते उप्र में सरकार बनाई थी। हम इसी तर्ज पर मप्र में भी अपना जनाधार तैयार करेंगे। इसमें सभी समाजों का सहयोग लेंगे। उप्र में 1989 के चुनाव में बसपा की महज 3 सीटें आई थीं। 1991 में 13 हुई, दो साल बाद 67 और 1997 में यह संख्या 78 हो गई। बिना कोई गठबंधन के बसपा अपना जनाधार बढ़ाते गई 2002 में 107 सीटें और 2007 में 206 सीटें जीतकर सरकार बना ली। इसके बाद बसपा विधायकों की संख्या 218 तक जा पहुंची।
एट्रोसिटी अध्यादेश चुनावी स्टंट
एट्रोसिटी एक्ट में संशोधन के विरोध में भारत बंद पर बसपा प्रभारी का कहना है कि अध्यादेश महज चुनावी स्टंट है। उन्होंने सवाल उठाया कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समाज की हितैषी है तो पदोन्नति में आरक्षण का अध्यादेश अब तक क्यों अटका पड़ा है।