छत्तीसगढ़ में कार्यकर्ताओं की उपेक्षा व टिकट बंटवारे में गड़बड़ी से हारी भाजपा

Chattishgarh में भाजपा के प्रदेश पदाधिकारियों की बैठक में जब विधानसभा चुनाव के हार के कारणों की चर्चा शुरू हुई तो संगठन के नेता फट पड़े।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Wed, 16 Jan 2019 08:51 PM (IST) Updated:Wed, 16 Jan 2019 08:51 PM (IST)
छत्तीसगढ़ में कार्यकर्ताओं की उपेक्षा व टिकट बंटवारे में गड़बड़ी से हारी भाजपा
छत्तीसगढ़ में कार्यकर्ताओं की उपेक्षा व टिकट बंटवारे में गड़बड़ी से हारी भाजपा

 राज्‍य ब्‍यूरो,  रायपुर। छत्तीसगढ़ में भाजपा के प्रदेश पदाधिकारियों की बैठक में जब विधानसभा चुनाव के हार के कारणों की चर्चा शुरू हुई तो संगठन के नेता फट पड़े। करीब तीन घंटे तक पदाधिकारियों ने चुन-चुन कर हार के कारणों को गिनाया।

अधिकांश पदाधिकारियों ने हार के सबसे बड़े कारण में टिकट वितरण में गड़बड़ी, कार्यकर्ताओं की उपेक्षा, अफसरों के सहारे चुनाव लड़ने की भूल और घोषणा पत्र के आकर्षक नहीं होने को गिनाया। जब पदाधिकारी हार के कारण गिना रहे थे तो हाल में सन्नाटा पसरा हुआ था और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, राष्ट्रीय सहसंगठन महामंत्री सौदान सिंह सहित सभी आला नेता चुपचाप सुन रहे थे।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष धरमलाल कौशिक ने स्वीकार किया कि कांग्रेस के घोषणा—पत्र के आगे हमारा घोषणा पत्र फीका था। पिछले तीन चुनाव में दमखम से काम करने वाले कार्यकर्ताओं ने इस चुनाव में मेहनत नहीं की। कार्यकर्ताओं की नाराजगी का सबसे बड़ा कारण उनकी बातों पर सुनवाई नहीं होना पाया गया। मीडिया से चर्चा में कौशिक ने कहा कि सबकी शिकायतों को सूचीबद्घ कर लिया गया है। जिले की बैठक में भी हार के कारणों की तलाश होगी।

पदाधिकारियों ने कहा है कि विकास की तमाम योजनाओं के बाद भी तीन चुनाव से वोट प्रतिशत गिरने के बारे में कभी विचार नहीं किया गया। विधायकों ने हर चुनाव में गुटबाजी के कारण हरवाने की शिकायत की। पार्टी के नेताओं ने हरवाने का काम किया, लेकिन एक नोटिस तक जारी नहीं हुआ। आनुषांगिक संगठनों की बातों को न तो संगठन, न सरकार ने सुना। प्रदेश के किसान, मजदूर और सरकारी कर्मचारी नाराज थे, लेकिन सरकार सिर्फ नियमों का हवाला दे रही थी।

हमारे कार्यकर्ताओं ने भी नहीं दिया वोट
प्रदेश किसान मोर्चा के अध्यक्ष पूनम चंद्राकर ने कहा कि जिन बूथों पर हमारे 15—20 कार्यकर्ता थे, वहां भी हमें चार वोट नहीं मिले। प्रदेश प्रवक्ता सच्चिदानंद उपासने ने कहा कि वरिष्ठ पदाधिकारियों का उपयोग नहीं किया गया। उन्होंने सवाल उठाया कि महापौर चुनाव के दौरान हार की समीक्षा क्यों नहीं की गई? विधायक, सांसद और पार्षद जीत जाते हैं और महापौर हार जाता है।

जीएसटी के कारण दूर हो गए व्यापारी
पूर्व विधायक श्रीचंद सुंदरानी ने कहा कि जीएसटी भी हार भी एक बड़ी वजह रही है। इससे व्यापारी वर्ग पार्टी से दूर हो गया, जो हमारा वोटबैंक था। परंपरागत बूथों में भी हम हारे हैं। सरकारी अधिकारी—कर्मचारियों ने भी भाजपा के खिलाफ मतदान किया। शराब पीने वाले और नहीं पीने वाले भी हमारे खिलाफ थे।

सौदान बोले-गलती हुई, जिलों में होगी समीक्षा 
राष्ट्रीय सहसंगठन महामंत्री सौदान सिंह ने पदाधिकारियों के गुस्से के बाद स्वीकार किया कि विधानसभा चुनाव में गलती हुई है। हार के कारणों की जो भी शिकायतें मिली हैं, उसकी जिला स्तर पर समीक्षा होगी। कार्यकर्ताओं से संवाद किया जाएगा।

रमन की चुटकी-संतुष्टि भरी मिली है हार
बैठक के दौरान सौदान सिंह ने गौरीशंकर अग्रवाल, राजेश मूणत, अजय चंद्राकर का नाम लेकर हार के कारणों के बारे में विचार व्यक्त करने को कहा। जब इनमें से कोई भी नेता बोलने को तैयार नहीं हुआ तो डॉ. रमन ने चुटकी ली-संतुष्टि भरी हार मिली है।

chat bot
आपका साथी