यूएन में पाकिस्तान को भारत की दो टूक, कहा जैसा बोओगे वैसा ही काटोगे

सैयद अकबरुद्दीन ने कहा है कि पाकिस्‍तान को आतंकी संगठनों की मदद और आतकियों को सु‍रक्षित रास्‍ता देने से बचना चाहिए, उनके खात्‍मे के लिए काम करना चाहिए।

By Kamal VermaEdited By: Publish:Tue, 20 Dec 2016 09:07 AM (IST) Updated:Tue, 20 Dec 2016 07:00 PM (IST)
यूएन में पाकिस्तान को भारत की दो टूक, कहा जैसा बोओगे वैसा ही काटोगे

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत ने एक बार फिर पाकिस्तान को उसके आतंकी मंसूबे पर कड़ी लताड़ लगाई है। संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षा परिषद में अफगानिस्तान पर हो रही चर्चा के दौरान भारत के विशेष राजदूत सैयद अकबरूद्दीन ने आतंकियों के पनाहगार बने पाकिस्तान को यह नसीहत दी कि जैसा बोओगे वैसा ही काटोगे।

जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा, हक्कानी समूह जैसे आतंकी संगठनों को पाकिस्तान की तरफ से मिल रही मदद की तरफ इशारा करते हुए भारतीय राजदूत ने कहा कि जब तक पड़ोस से आतंकियों को मदद मिलना बंद नहीं होगा तब तक अफगानिस्तान की स्थिति नहीं सुधर सकती। संयुक्त राष्ट्र में हाल के दिनों में कई बार पाकिस्तान सरकार व सेना की तरफ से पड़ोसी देशों में आतंकियों को मदद देने की नीति पर भारत की तरफ से उन्हें फटकार लगाया जा चुका है।

अकबरूद्दीन ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस बात का फैसला करना होगा कि तालिबान व अल कायदा जैसे संगठनों को अफगानिस्तान के बाहर से समर्थन मिलना किस तरह से जारी है। पाकिस्तान का नाम लिये बगैर उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान के लिए सबसे बड़ी समस्या आज की तारीख में यह है कि वहां आतंक फैलाने वाले समूहों को पड़ोसी में पनाह मिला हुआ है। उन्होंने प्रसिद्ध कवि रूमी की एक पंक्ति का जिक्र करते हुए कहा कि, ''आप जैसा बोते हो वैसा ही काटते हो इसलिए अगर आपमें थोड़ी भी अकल है तो सिर्फ शांति के बीज बोइये।''

भारत का यह बयान तब आया है जब पाक समर्थित तालिबान के अफगानिस्तान में कमजोर पड़ने के कोई सबूत नहीं मिल रहे। शायद यह वजह है कि भारतीय राजदूत ने यह भी कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अफगानिस्तान में आतंक से लड़ने की अपनी रणनीति पर नए सिरे से विचार करने की जरुरत है।

सनद रहे कि अभी इस महीने के शुरुआत में ही अफगानिस्तान को लेकर अमृतसर मे हुई अंतरराष्ट्रीय बैठक में भारत व अफगानिस्तान ने संयुक्त तौर पर पाकिस्तान को इन्हीं मुद्दों पर घेरा था। पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति अशरफ घनी ने अपने भाषणों में पाकिस्तान की तरफ से अपने अपने देशों में आतंकियों को दिए जा रहे समर्थन का मुद्दा जोरदार तरीके से उठाया था।

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