बम में जहरीले रसायनों का इस्तेमाल कर रहा तालिबान

पाकिस्तानी तालिबान बम बनाने में घातक रसायनों का इस्तेमाल कर रहा है और इस काम में उसने महारत भी हासिल कर ली है। यह खुलासा आत्मघाती हमलों में मारे गए लोगों के पोस्टमार्टम और घायलों की रिपोर्टो से हुआ है। डॉन अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, तालिबान के आत्मघाती हमलों में घायल हुए लोगों का इलाज क

By Edited By: Publish:Thu, 24 Oct 2013 05:03 PM (IST) Updated:Thu, 24 Oct 2013 05:05 PM (IST)
बम में जहरीले रसायनों का इस्तेमाल कर रहा तालिबान

इस्लामाबाद। पाकिस्तानी तालिबान बम बनाने में घातक रसायनों का इस्तेमाल कर रहा है और इस काम में उसने महारत भी हासिल कर ली है। यह खुलासा आत्मघाती हमलों में मारे गए लोगों के पोस्टमार्टम और घायलों की रिपोर्ट से हुआ है।

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डॉन अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, तालिबान के आत्मघाती हमलों में घायल हुए लोगों का इलाज कर रहे डॉक्टरों ने बताया कि विस्फोटकों में विषैले तत्व होने के कारण कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि लोगों के जख्म लंबे समय तक ठीक नहीं होते और उन पर एंटीबायोटिक भी असर नहीं करते हैं। इसकी वजह से संक्रमण का खतरा बना रहता है।

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अधिकारियों के हवाले से इस रिपोर्ट में बताया गया है कि तालिबान फास्फोरस का इस्तेमाल करते हैं जो सीधे मानव कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है। विस्फोट के दौरान कार्बन मोनोआक्साइड और कार्बन डाईऑक्साइड उत्पन्न होती है जिससे श्वसनतंत्र फेल जाता है। इससे बम की चपेट में आए लोग कोमा में जा सकते हैं या उनकी मौत हो सकती है।

फारेंसिक विशेषज्ञों ने कहा कि गोली या चाकू के गहरे जख्म ठीक हो सकते हैं लेकिन तालिबान के हमले में घायल व्यक्ति ठीक होने के बाद भी आजीवन रसायनों के प्रभाव से जूझता रहता है। उन्होंने बताया कि देश में बम बनाने का कच्चा माल मैग्नीशियम, पोटेशियम और सोडियम आसानी से मिल जाता है। तालिबान बम बनाने की तकनीक संबंधी बुकलेट को पश्तो, उर्दू और फारसी भाषा में वितरित भी करते हैं।

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