भारत-अ‍फ्रीका समिट: अल सीसी और हसन अल बशीर पर रहेगी दुनिया की नजर

सोमवार से शुरू हो रहे तीसरे भारत-अफ्रीका सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए आ रहे 40 देशों के राष्ट्राध्यक्षों में से दो देशों के राष्ट्राध्यक्षों पर देश-विदेश की मीडिया की नजर जमी है। ये राष्ट्राध्यक्ष सूडान के राष्ट्रपति उमर हसन अल-बशीर और मिस्र के राष्ट्रपति अब्दुल फतह अल-सीसी हैं। दोनों

By Kamal VermaEdited By: Publish:Mon, 26 Oct 2015 09:08 AM (IST) Updated:Mon, 26 Oct 2015 09:30 AM (IST)
भारत-अ‍फ्रीका समिट: अल सीसी और हसन अल बशीर पर रहेगी दुनिया की नजर

नई दिल्ली (जयप्रकाश रंजन)। सोमवार से शुरू हो रहे तीसरे भारत-अफ्रीका सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए आ रहे 40 देशों के राष्ट्राध्यक्षों में से दो देशों के राष्ट्राध्यक्षों पर देश-विदेश की मीडिया की नजर जमी है। ये राष्ट्राध्यक्ष सूडान के राष्ट्रपति उमर हसन अल-बशीर और मिस्र के राष्ट्रपति अब्दुल फतह अल-सीसी हैं। दोनों के इस सम्मेलन में शामिल होने को लेकर अंतिम समय तक उहापोह की स्थिति थी। इनकी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार को जबरदस्त कूटनीतिक पहल दिखानी पड़ी है।

दरअसल, कूटनीतिक और आर्थिक लिहाज से इन दोनों राष्ट्राध्यक्षों का शामिल होना भारत के लिए बेहद अहम है। सूडान के राष्ट्रपति उमर हसन अल-बशीर को इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट ने वर्ष 2009 में अंतरराष्ट्रीय अपराधी घोषित किया था। अल बशीर पर अपने देश के नागरिकों की सामूहिक हत्या करने का आरोप है। उनकी गिरफ्तारी के दो अंतरराष्ट्रीय नोटिस जारी हो चुके हैं। इसी वजह से वर्ष 2009 के बाद से बशीर ने अभी तक किसी दक्षिण-पूर्वी देश की यात्रा नहीं की है।

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अल बशीर के सम्मेलन में हिस्सा लेने की पुष्टि होने के बाद आइसीसी और मानवाधिकार संगठनों ने भारत से बशीर का स्वागत नहीं करने और उन्हें गिरफ्तार करने में मदद करने का आग्रह किया है। लेकिन भारत के विदेश मंत्रलय का कहना है कि चूंकि भारत आइसीसी के उस मामले में कोई पक्ष नहीं है इसलिए वह उसके फैसले को मानने के लिए बाध्य नहीं है।

सूत्रों के मुताबिक, सूडान की सरकार को भले ही अंतरराष्ट्रीय मंच पर ‘अछूत’ के तौर पर देखा जा रहा है फिर भी अपनी पेट्रोलियम संपदा की वजह से वह भारत के लिए एक आकर्षक निवेश स्थल है। भारत की सरकारी कंपनी ओएनजीसी पहले से ही वहां के पेट्रोलियम ब्लाक में भारी राशि निवेश कर चुकी है। निकट भविष्य में सूडान अपने कई पेट्रोलियम व स्वर्ण ब्लाकों की नीलामी करने वाला है। विदेशों में ऊर्जा स्रोत तलाश रहे भारतीय कंपनियों के लिए यह एक अच्छा मौका होगा।

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जब से सूडान पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगे हैं तब से भारत उसका एक बड़ा व्यापारिक साझीदार हो गया है। पिछले वित्त वर्ष में दोनो का द्विपक्षीय कारोबार 1.5 अरब डॉलर के करीब था। इस सम्मेलन में भाग लेने वाले दर्जनों राष्ट्राध्यक्षों में मिस्र के राष्ट्रपति अब्दुल फतह अल-सीसी का आना भारतीय कूटनीति की एक अहम जीत के तौर पर पेश किया जा रहा है। विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, अल-सीसी मंगलवार को भारत पहुंचेंगे, लेकिन इनके प्रवक्ता ने आज ही यह ऐलान कर दिया कि भारत अफ्रीका का सबसे बेहतरीन आर्थिक साझीदार है।

एक हफ्ते पहले तक अल सीसी के आने की स्थिति साफ नहीं थी। दरअसल, वर्ष 2013 में मिस्र के चर्चित जन आंदोलन के बाद अल-सीसी को वहां का राष्ट्रपति नियुक्त किया गया था। अब जा कर वहां शांति भी स्थापित होने लगी है और भारत नए सिरे से इस अहम अफ्रीकी देश के साथ अपने रिश्ते को आगे बढ़ाना चाहता है। ऐसे में मोदी सरकार हर कीमत पर उन्हें इस सम्मेलन में बुलाना चाहती थी।

माना जा रहा है कि अल-सीसी के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की द्विपक्षीय बैठक में भावी द्विपक्षीय रिश्तों की नई शुरुआत की जाएगी। मिस्र अफ्रीका में भारत का सबसे बड़ा कारोबारी साझीदार देश (4.76 अरब डॉलर) है। अगले पांच वर्षो में कारोबार 15 अरब डॉलर करने करने का लक्ष्य तय किया जाना है। दोनों नेताओं में मिस्न के स्वेज नहर में बने रहे नए संपर्क मार्ग में हिस्सेदारी को लेकर भी बातचीत होगी।

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