जनमत संग्रह में ग्रीस ने यूरोप को कहा 'ना'

एक हफ्ते से बैंक बंद हैं। सरकारी खजाना खाली है और जनता हताश और गुस्से में है। ऐसे में लगभग 25 फीसद मतगणना के परिणाम बता रहे हैं कि 60.4 फीसद नागरिकों ने बेलआउट पैकेज को 'ना' कहकर खारिज कर दिया है।

By Sachin kEdited By: Publish:Sun, 05 Jul 2015 03:08 AM (IST) Updated:Mon, 06 Jul 2015 02:17 PM (IST)
जनमत संग्रह में ग्रीस ने यूरोप को कहा 'ना'

एथेंस। ग्रीसवासियों ने दिवालिया होने की कगार पर खड़े अपने देश को कर्जदाताओं की ओर से मिल रहे बेलआउट पैकेज को 'ना' कह दिया है। जनमत संग्रह के लिए रविवार को हुए मतदान के शुरुआती नतीजों ने इसका संकेत दिया है।

पूरे यूरोप की एक मुद्रा यूरो का भविष्य इस 'ना' के परिणाम से संकटग्रस्त हो गया है। एक हफ्ते से बैंक बंद हैं। सरकारी खजाना खाली है और जनता हताश और गुस्से में है। ऐसे में लगभग 25 फीसद मतगणना के परिणाम बता रहे हैं कि 60.4 फीसद नागरिकों ने बेलआउट पैकेज को 'ना' कहकर खारिज कर दिया है।

अंतरराष्ट्रीय कर्जदाताओं ने बेलआउट का जो प्रस्ताव दिया था उसे स्वीकार करने या ठुकराने के लिए ग्रीसवासियों को 'हां' और 'ना' के जरिये अपनी राय देनी थी। हां से ग्रीस के प्रधानमंत्री एलेक्सिस सिप्रास की सरकार गिर जाती, जबकि यूरोपीय नेताओं का कहना है कि 'ना' से यह देश यूरोजोन से बाहर चला जाएगा। ग्रीस की एक करोड़ 10 लाख जनता ने अपनी राय दी थी।

इस प्रस्ताव को वामपंथी नेता सिप्रास आठ दिन पहले ही 'ना' कह कर खारिज कर चुके थे। सिप्रास इस साल जनवरी में मितव्ययिता खत्म कर देने वादे के जरिये ही सत्तारूढ़ हुए हैं। उन्होंने बेलआउट प्रस्ताव को अपमानजनक बताते हुए जनता से 'नहीं' के पक्ष में मतदान करने का आग्रह किया था। उनका कहना है कि जनमत के इस फैसले से उन्हें मजबूती के साथ कर्जदाताओं से मोलभाव करने और बेहतर पैकेज की मांग करने की शक्ति मिलेगी। सरकारी प्रवक्ता ने कहा है कि 48 घंटे के अंदर इस पर बातचीत शुरू होगी।

बहुत लोगों का मानना है कि चाहे जो हो ग्रीस को कर्ज से मुक्ति दिलाने का जल्दी कोई स्पष्ट समाधान नहीं निकलेगा। 'नहीं' के पक्ष में जनमत का परिणाम वैश्विक अर्थव्यवस्था और अटूट यूरोपीय संघ की परियोजना पर दूरगामी असर डालेगा। यूरोपीय संघ से अलग-थलग पड़कर ग्रीस का दिवालिया होना तय है।

कर्ज चुकाने में नाकाम है ग्रीस
ग्रीस गत 30 जून को ही अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष का 1.8 अरब डॉलर का कर्ज चुकाने में विफल हो चुका है। यूरोपीय आयोग और ट्रोइका (अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष, यूरोपियन सेंट्रल बैंक व यूरोपीय संघ) अपनी जीत के लिए ग्रीसवासियों का जनमत 'हां' में चाहते थे। इन्होंने बेलआउट पैकेज की शर्त में कम से कम खर्च करने यानी मितव्ययिता बरतने की भी शर्त रखी है।

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