MTCR में भारत की कामयाबी पर भड़का चीन, भारतीयों को बताया पाखंडी

चीन अपनी नापाक चाल और बोल से भारत के लिए परेशानी खड़ा करता रहता है। वो भारत की कामयाबी से इस कदर चिढ़ता है कि भाषा पर से संयम भी खो देता है।

By Lalit RaiEdited By: Publish:Tue, 28 Jun 2016 01:04 PM (IST) Updated:Tue, 28 Jun 2016 02:29 PM (IST)
MTCR में भारत की कामयाबी पर भड़का चीन, भारतीयों को बताया पाखंडी

बीजिंग। चीन अपने आप को भारत का दोस्त कहता है, लेकिन हकीकत में उसकी सोच कुछ और होती है। एनएसजी में भारत की दावेदारी पर उसने गोलमोल जवाब दिया कि उसे किसी तरह की दिक्कत नहीं है। लेकिन नियम-कानून से इतर भारत का समर्थन वो कैसे कर सकता है। एनएसजी में दावेदारी न मिलने से निराश भारतीयों में उत्साह का संचार हुआ जब मिसाइल तकनीक नियंत्रण समूह का भारत पूर्ण सदस्य़ बन गया । लेकिन चीन की सरकारी न्यूज एजेंसी को ये सब अच्छा नहीं लगा। ग्लोबल टाइम्स ने एडिटोरियल में भारतीयों को स्वार्थी, पाखंडी और अनैतिक करार दिया।

ग्लोबल टाइम्स के संपादकीय में ये भी कहा गया है कि भारतीयों में राष्ट्रवाद की कमी है। वे पश्चिमी देशों के बीच भागकर खुद का नुकसान कर रहे हैं। एनएसजी पर मिली नाकामी पर भारतीय मीडिया और राजनेता चीन को कोस रहे हैं। लेकिन वे अपनी कमी पर ध्यान नहीं दे रहे हैं।

क्या भारत को चीन से सीखना चाहिए राष्ट्रवाद ?पेपर में कहा गया है कि ये बात समझ के बाहर है कि अमेरिका के पीछे भारत क्यों भाग रहा है। अमेरिकी ही पूरा विश्व नहीं है। अगर अमेरिका अब भारत की तरफदारी कर रहा है तो इसका अर्थ ये नही है कि पूरा विश्व भारत का समर्थन करेगा। हकीकत ये है कि भारत के प्रति अमेरिकी विदेश नीति सिर्फ और सिर्फ चीन को नियंत्रित करने की है। भारतीयों को राष्ट्रवाद को समझने और सीखने की जरुरत है।

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भारतीयों को खुद से व्यवहार को सीखने की जरुरत है। एक तरफ आप सुपर पावर बनने का सपना देखते हैं। तो ये समझना होगा कि सुपर पावर अपनी शर्तों पर नीतियों को प्रभावित करते हैं। चीन नियमों को तरजीह देता है। नियम ये है कि एनएसजी में दावेदारी के लिए एनपीटी पर हस्ताक्षर होने चाहिए। चीन ने सिर्फ नियमों का हवाला दिया था। इस मुद्दे पर भारत की तरफ से बेवजह की टिप्पणी की जा रही है।

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