आइएस से उसी के अंदाज में ले लिया बदला

उत्तरी इराक में कुर्दों और आइएस आतंकियों के बीच हुए खूनी संघर्ष में 60 से ज्यादा आतंकियों की मौत हो गई है। कुर्दिश अधाकारियों ने इसकी जानकारी दी। अधिकारियों के अनुसार, उत्तरी इराक के सुल्तान अब्दुल्लाह गांव में दर्जनों आतंकियों के शवों को पिकअप ट्रक के जरिए हटाया गया। गौरतलब

By Test2 test2Edited By: Publish:Tue, 24 Feb 2015 03:29 AM (IST) Updated:Tue, 24 Feb 2015 07:10 AM (IST)
आइएस से उसी के अंदाज में ले लिया बदला

उत्तरी इराक में कुर्दों और आइएस आतंकियों के बीच हुए खूनी संघर्ष में 60 से ज्यादा आतंकियों की मौत हो गई है। कुर्दिश अधाकारियों ने इसकी जानकारी दी। अधिकारियों के अनुसार, उत्तरी इराक के सुल्तान अब्दुल्लाह गांव में दर्जनों आतंकियों के शवों को पिकअप ट्रक के जरिए हटाया गया। गौरतलब है कि अमेरिकी अधिकारियों द्वारा मोसुल में 25,000 सैनिकों के आक्रमण की खबर के खुलासे के एक दिन बाद यह लड़ाई हुई है।

इस बीच, एक तथ्य यह भी सामने आ रहा है कि इस्लामिक स्टेट्स द्वारा यह कार्रवाई उस वीडियो के सामने आने के बाद की गई है जिसमें आइएस 21 कुर्द लड़ाकों को सलाखों में कैद करके शहर भर में घुमाता है और फिर उन्हें मार दिया जाता है। हालांकि उनकी मौत की पुष्टि नहीं हुई थी बावजूद इसके ये माना जा रहा था कि आइएस ने उन्हें मौत के घाट उतार दिया है।


हर हाल में हारेगा आतंक

इस्लामिक स्टेट आतंकियों ने पिछले साल जून में मोसुल पर कब्जा कर लिया था। तस्वीरों में कुर्दिश पशमेर्गा लड़ाकों को आतंकियों के शव उठाते हुए देखा जा सकता है। तस्वीरें सुल्तान अब्दुल्लाह गांव की हैं। कुर्दिश डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रवक्ता ने बताया कि हमसे हर हाल में आतंक हारेगा। आइएस आतंकियों ने पिछले तीन दिनों में दो बार पशमेर्गा फ्रंटलाइन पर हमले किए हैं। हर बार आतंकियों की हार हुई। पिछले तीन दिनों में 60 आतंकी मारे गए हैं। कुर्दिस्तान डेमोक्रेटिक पार्टी की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, पिछली रात हुए संघर्ष के बाद गांव में 50 शव बिखरे हुए हैं। पिछले साल जून में आतंकियों के हमले के बाद इराकी सैनिक मोसुल छोड़कर भाग निकले थे। मोसुल पर दोबारा कब्जे के लिए अमेरिकी सैनिक इराक की मदद कर रहे हैं। मोसुल की बाहरी सीमा पर करीब 1,000 से 2,000 आतंकियों का सामना 25,000 सैनिक कर रहे हैं।

जैसे को तैसा
आइएस ने हीलिंग द चेस्ट ऑफ दोज हू बिलीव टाइटल से 9 मिनट के वीडियो में 21 कुर्दिश बंधकों (जो नारंगी जंपसूट पहने हुए हैं) पिंजरों में बंद दिखाया था। हर पिंजरे के साथ भारी हथियारों से लैस दो से तीन नकाबपोश आतंकी भी सवार थे, जो आइएस का झंडा लहराते दिख रहे थे। बंधकों की परेड करने के बाद उन्हें पिंजरे सहित किसी अज्ञात जगह पर ले जाया जाता है, जहां एक आतंकी उनका इंटरव्यू लेता है। इसके बाद इन सभी को घुटने के बल बैठा दिया जाता है। गौरतलब है कि जिन पिकप गाडिय़ों में आइएस ने बंधकों की परेड कराई उसी प्रकार के पिकअप ट्रकों में कुर्दिश लड़ाकों ने भी आइएस आतंकियों की लाशों को डाल कर नुमाइश की। साथ ही, एक तस्वीर में तो बकायदा बुल्डोजर्स के जरिए आतंकियों की ढेर सारी लाशों को ठिकाने लगाया जा रहा है।

ऑपरेशन में रिहा हुआ स्वीडिश पत्रकार

वहीं, सीरिया में आइएस पर हुई कार्रवाई में संयुक्त सेना एक स्वीडिश पत्रकार को सकुशल रिहा करना में सफल हो गई है। 30 साल का जोकेइम मेदिन फ्रीलांस जर्नलिस्ट है और पिछले एक हफ्ते से आइएस की कैद में था। उसके साथ उसका कुर्दिश गाइड साबरी ओमर भी सकुशल रिहा करा लिया गया है।

फ्रांस ने तैनात किया एयरक्राफ्ट कैरियर

इराक-सीरिया में इंटेंस होते जंगी माहौल के बीच फ्रांस ने चाल्र्स डे गॉल नाम का अपना बड़ा जंगी एयरक्राफ्ट कैरियर जहाज इराक में लगाया है. इससे इस बात के भी संकेत मिल रहे हैं कि तेजी से अरेबियन कंट्रीज में हो रहे आईएस के विस्तार के लिए अब नाटो फोर्सेज बड़े पैमाने पर आइएस से दो-दो हाथ करने को तैयार हैं। गौरतलब है कि फ्रांस का ये वॉरशिप लंबी दूरी की मिसाइल्स को दागने में सक्षम है और इस शिप की तैनाती से अब इराक-सीरिया में कार्रवाई और ज्यादा जोर पकड़ेगी।

[साभार: आइ नेक्स्ट ]

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