कचरा जलाने से नूर खो रहा ताजमहल
भारतीय और अमेरिकी शोधकर्ताओं ने मोहब्बत और प्रेम के प्रतीक ताजमहल के नूर खोने की वजहों का नया कारण ढूंढ़ने का दावा किया है।
वाशिंगटन, प्रेट्र। भारतीय और अमेरिकी शोधकर्ताओं ने मोहब्बत और प्रेम के प्रतीक ताजमहल के नूर खोने की वजहों का नया कारण ढूंढ़ने का दावा किया है। इसकी मदद से भविष्य में ताज की चमक को बचाने में मदद मिलने की संभावना बढ़ गई है। विशेषज्ञों के मुताबिक महानगर से निकले ठोस कचरे (एमएसडब्लू) को जलाने के कारण ताजमहल अपनी चमक खोता जा रहा है।
इसके पहले वाहनों से होने वाले प्रदूषण को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया गया था। कचरा जलाने से सिर्फ ताजमहल को ही नहीं आसपास रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। यूनिवर्सिटी ऑफ मिनेसोटा के अजय नागपुरे और जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के राज लाल ने नई विधि का इस्तेमाल कर इसका पता लगाया है। उनके मुताबिक ऐतिहासिक इमारत के पास ठोस कचरे को जलाने से हवा में हानिकारक पार्टीकुलेट मैटर (पीएम) की मात्रा बढ़ जाती है।
इससे ताजमहल को नुकसान पहुंच रहा है। उन्होंने इसके वैज्ञानिक साक्ष्य मिलने की भी बात कही है। वैज्ञानिकों ने बताया कि कचरा जलाने से ताजमहल की सतह पर प्रतिवर्ष 150 मिलिग्राम प्रति वर्ग मीटर (एमजी एम-2) पीएम-2.5 की परत जमा होती है। उपले जलाने से महज 12 एमजी एम-2 की परत बनती है। शोधकर्ताओं ने बताया कि इन दोनों के जलाने से स्थानीय निवासी के स्वास्थ्य पर भी बुरा बसर पड़ रहा है। इसके कारण लोगों की समय पूर्व मौत भी हो रही है।जॉर्जिया यूनिवर्सिटी के आर्मीस्टेड रसेल ने बताया कि कचरा जलाने पर आंख मूंद कर प्रतिबंध लगाना प्रभावी साबित नहीं होगा। इससे निपटने के लिए स्थानीय लोगों के साथ मिलकर नया रास्ता निकालना होगा।
पढ़ेंः गुयाना के प्राइम मिनिस्टर ने निहारा ताज और बताया प्रेम की पवित्र निशानी