एक बार फिर मेरा जिक्र आम हुआ है: मिल्खा

नई दिल्ली [रूपेश रंजन सिंह]। कहावत है इतिहास हमेशा विजेताओं को याद रखता है, लेकिन मिल्खा सिंह वह नाम है जिसने इस कहावत को झूठलाया है। रोम ओलंपिक में स्वर्ण के प्रबल दावेदार होने के बावजूद चौथे स्थान पर रहे मिल्खा को इतिहास ने नहीं भुलाया। उन्हें इस बात की खुशी है, लेकिन एक अरब से ज्यादा की आबादी वाले देश में केवल एक मिल्खा सिंह होन

By Edited By: Publish:Thu, 18 Jul 2013 09:45 PM (IST) Updated:Thu, 18 Jul 2013 09:51 PM (IST)
एक बार फिर मेरा जिक्र आम हुआ है: मिल्खा

नई दिल्ली [रूपेश रंजन सिंह]। कहावत है इतिहास हमेशा विजेताओं को याद रखता है, लेकिन मिल्खा सिंह वह नाम है जिसने इस कहावत को झूठलाया है। रोम ओलंपिक में स्वर्ण के प्रबल दावेदार होने के बावजूद चौथे स्थान पर रहे मिल्खा को इतिहास ने नहीं भुलाया। उन्हें इस बात की खुशी है, लेकिन एक अरब से ज्यादा की आबादी वाले देश में केवल एक मिल्खा सिंह होने का उन्हें दुख भी है। इसकी मुख्य वजह वह देश में खेलों के प्रशिक्षण के प्रति उदासीनता को मानते हैं। उनका मानना है कि देश में प्रतिभा की कमी नहीं है, उसे बस निखारने की जरूरत है।

गुरुवार को 'रेस्पेक्ट एएसआइसीएस स्कूल खेल चैंपियनशिप' जिसमें देश भर के 96 शहर के 2500 स्कूलों के 25000 बच्चे भाग लेंगे की शुरुआत के मौके पर उन्होंने कहा, 'अब समय आ गया है जबकि देश को एक नहीं बल्कि हजारों मिल्खा सिंह और पीटी ऊषा चाहिए। मिल्खा ने कहा कि जमैका में एक उसैन बोल्ट हुआ और आज दुनिया जमैका को उसैन बोल्ट के नाम से जानती है। हमें भी एक नहीं हजारों मिल्खा सिंह चाहिए। हमें एक नहीं हजारों पीटी ऊषा चाहिए। केवल टूर्नामेंट के आयोजन से देश में खेल का विकास नहीं होगा बल्कि इसमें अच्छा प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को आगे भी मौके दिए जाने चाहिए।'

अपनी जीवन पर बनी फिल्म 'भाग मिल्खा भाग' के बाद हरेक की जुबान पर अपना नाम देखकर मिल्खा ने कहा, 'मैं तारीफ करता हूं फिल्म से जुड़े सभी लोगों की, जिनकी वजह से एक बार फिर मेरा जिक्र आम हुआ है। फिल्म की हर तरफ तारीफ हो रही है। विदेशों से भी मुझे कई फोन आ रहे हैं। मेरी उम्र के लोगों के लिए मैं कोई अनजान शख्स नहीं था, लेकिन इस फिल्म ने मुझे आज की युवा पीढ़ी से भी जोड़ दिया।'

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