विश्व की सबसे बड़ी अन्न भंडारण योजना को मंजूरी, अगले पांच वर्ष में 2,150 लाख टन क्षमता बढ़ाने का लक्ष्य

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने गुरुवार को कैबिनेट की बैठक के बाद बताया कि देश में अभी तक कुल 1450 लाख टन अन्न भंडारण की क्षमता है। अब सहकारिता क्षेत्र में सात सौ लाख टन भंडारण की अतिरिक्त क्षमता पर काम शुरू होगा।

By Jagran NewsEdited By: Publish:Wed, 31 May 2023 11:57 PM (IST) Updated:Wed, 31 May 2023 11:57 PM (IST)
विश्व की सबसे बड़ी अन्न भंडारण योजना को मंजूरी, अगले पांच वर्ष में 2,150 लाख टन क्षमता बढ़ाने का लक्ष्य
केंद्रीय मंत्री ने इसे सहकारी क्षेत्र में विश्व का सबसे बड़ा अन्न भंडारण कार्यक्रम बताया।

HighLights

  • योजना के जरिए पैक्सों को मजबूती मिलेगी।
  • योजना का उद्देश्य आयात पर निर्भरता कम करना और गांवों में रोजगार के अवसर बढ़ाना है।
  • इस योजना पर लगभग एक लाख करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। केंद्र सरकार ने सहकारिता क्षेत्र में विश्व की सबसे बड़ी अन्न भंडारण योजना को मंजूरी दे दी। इस पर लगभग एक लाख करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। प्रत्येक प्रखंड में दो हजार टन क्षमता के गोदाम बनाए जाएंगे।

देश में अभी तक कुल 1450 लाख टन अन्न भंडारण की क्षमता

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने गुरुवार को कैबिनेट की बैठक के बाद बताया कि देश में अभी तक कुल 1450 लाख टन अन्न भंडारण की क्षमता है। अब सहकारिता क्षेत्र में सात सौ लाख टन भंडारण की अतिरिक्त क्षमता पर काम शुरू होगा। अगले पांच वर्षों में भंडारण क्षमता को बढ़ाकर 2,150 लाख टन कर दिया जाएगा।

सबसे बड़ा अन्न भंडारण कार्यक्रम

केंद्रीय मंत्री ने इसे सहकारी क्षेत्र में विश्व का सबसे बड़ा अन्न भंडारण कार्यक्रम बताया। योजना के चार मुख्य उद्देश्य हैं। अन्न भंडारण सुविधाओं की कमी के चलते अनाज की बर्बादी पर नियंत्रण और किसानों को औने-पौने दामों पर फसल बेचने से रोकना है। इसके साथ ही आयात पर निर्भरता कम करना और गांवों में रोजगार के अवसर बढ़ाना है।

खाद्य सुरक्षा को मिलेगी मजबूती

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भंडारण क्षमता बढ़ाने से अनाज की परिवहन लागत कम होगी, जिससे खाद्य सुरक्षा की मजबूती आएगी। देश में प्रत्येक वर्ष लगभग 31 करोड़ टन से ज्यादा अनाज का उत्पादन होता है, किंतु वर्तमान भंडारण क्षमता के तहत गोदामों में कुल उपज का 47 प्रतिशत तक ही रखा जा सकता है। गोदामों के अभाव में एक रिपोर्ट के अनुसार कम से कम 12 से 14 प्रतिशत तक अन्न बर्बाद हो जाते हैं।

हफ्ते भर में शुरू हो जाएगा योजना पर काम

योजना पर शीघ्रता से काम के लिए सहकारिता मंत्री की अध्यक्षता में एक अंतर-मंत्रालयीय समिति (आईएमसी) का गठन किया जाएगा। समयबद्ध और एकरूपता के साथ क्रियान्वयन के लिए सहकारिता मंत्रालय देश के विभिन्न राज्यों एवं संघ शासित क्षेत्रों में कम से कम 10 चुने हुए जिलों में पायलट परियोजना चलाएगा। बाद में इसे सभी राज्यों में लागू किया जाएगा।

15 दिनों के भीतर जारी कर दिए जाएंगे कार्यान्वयन दिशा-निर्देश

योजना की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मंजूरी के सप्ताह भर के भीतर ही समन्वय समिति का गठन कर लिया जाएगा। 15 दिनों के भीतर कार्यान्वयन दिशा-निर्देश जारी कर दिए जाएंगे। डेढ़ महीने के भीतर पैक्स को भारत सरकार और राज्य सरकारों के साथ लिंक करने के लिए एक पोर्टल शुरू किया जाएगा। 45 दिनों के भीतर प्रस्ताव का कार्यान्वयन भी प्रारंभ हो जाएगा। पैक्सों को भी मिलेगी मजबूती

योजना के जरिए पैक्सों को मिलेगी मजबूती

देश में अभी लगभग एक लाख प्राथमिक कृषि क्रेडिट समितियां (पैक्स) हैं, जिनके 13 करोड़ से अधिक किसान सदस्य हैं। योजना के जरिए पैक्सों को मजबूती मिलेगी। पैक्सों के स्तर पर भंडारण गृह, कस्टम हायरिंग सेंटर्स, प्रसंस्करण इकाई आदि कई तरह की कृषि अवसंरचनाएं बनाई जाएंगी। इससे पैक्स बहुउद्देशीय बन सकेंगे। गोदामों के निर्माण से भंडारण की आधारभूत संरचनाओं की कमियों को दूर किया जा सकेगा। साथ ही पैक्सों को कई अन्य गतिविधियां करने के लिए भी सक्षम बनाया जाएगा।

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