World Heart Day: धूम्रपान करने वाले किशोरों में हृदय संबंधी मौतों का खतरा अधिक, विशेषज्ञों ने दी चेतावनी

World Heart Day पिछले कुछ वर्षों में युवा और किशोरों के बीच हृदय संबंधी मौतों की एक बड़ी संख्या ने बीमारियों के इस समूह पर ध्यान केंद्रित किया है। डॉक्टरों और विशेषज्ञों का कहना है कि अब यह युवाओं को भी अपनी चपेट में ले रही है।

By AgencyEdited By: Publish:Thu, 29 Sep 2022 12:51 PM (IST) Updated:Thu, 29 Sep 2022 12:51 PM (IST)
World Heart Day: धूम्रपान करने वाले किशोरों में हृदय संबंधी मौतों का खतरा अधिक, विशेषज्ञों ने दी चेतावनी
धूम्रपान करने वाले किशोरों में हृदय संबंधी मौतों का खतरा अधिक (फाइल इमेज)

बेंगलुरू, एजेंसी। भारत की युवा आबादी दुनिया भर में हृदय संबंधी समस्याओं (Cardiovascular Problems) के कारण होने वाली सभी मौतों का लगभग पांचवां हिस्सा है। दुनिया भर में प्रति एक लाख लोगों पर 235 हृदय रोग और मौतें होती हैं, लेकिन भारत में यह संख्या 272 हैं जो बहुत अधिक है। विशेषज्ञों के अनुसार, एक और गंभीर समस्या यह है कि भारत में हृदय रोग पश्चिम की तुलना में बहुत कम उम्र में हो रहे हैं।

यह हृदय संबंधी समस्याएं पश्चिम के मांसाहारी लोगों की तुलना में शाकाहारियों में अधिक प्रचलित है। वर्तमान में, भारत में तीव्र कोरोनरी सिंड्रोम और एसटी एलिवेशन मायोकार्डियल इंफार्क्शन सबसे ज्यादा है। फोर्टिस के कार्डियक साइंसेज के चेयरमैन डॉ अजय कौल का कहना है कि यह दुनिया में सबसे ज्यादा है।

भारतीय आबादी में 50 प्रतिशत लोग शाकाहारी

भारतीय आबादी में अधिकांश रोगी लगभग 50 प्रतिशत शाकाहारी हैं। सूरज नरसीमन, मणिपाल अस्पताल सरजापुर के सलाहकार और इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट स्पेशलिस्ट कहते हैं 'आमतौर पर, धूम्रपान करने वाले या नशीली दवाओं के दुरुपयोग या दिल के दौरे से पीड़ित किशोरों में हृदय संबंधी मौतों का खतरा अधिक होता है।' पिछले सालों की रिपोर्ट्स के मुताबिक सीवीडी (cardiovascular diseases) को किशोरी की मौत के मुख्य कारणों में से एक माना जाता है।

युवाओं को इन चीजों को ध्यान में रखने की जरूरत

युवाओं को धूम्रपान छोड़ने की जरूरत है। अगर मधुमेह या उच्च रक्तचाप हो तो नियमित रूप से जांच करनी चाहिए। एक स्वस्थ जीवन शैली के लिए नियमित व्यायाम जरूरी। जंक फूड से बचने की जरूरत।

डॉ कौल बताते हैं कि शहरी भारतीयों का बॉडी मास इंडेक्स 20 बीएमआई है जोकि ग्रामीण प्रसार की तुलना में लगभग 24-25 अधिक है।

डॉ कौल बताते हैं कि एक औसत भारतीय अपने दैनिक भोजन में अधिक कार्बोहाइड्रेट, उच्च वसा, डेयरी उत्पाद, मक्खन, घी और पनीर का सेवन करता है, जिससे कोरोनरी धमनी रोग की घटनाओं में वृद्धि हुई है। भारतीय संस्कृति में तेल का पुन: उपयोग असामान्य नहीं है। खाना पकाने और इससे ट्रांस वसा की अधिक खपत होती है, जो बहुत खतरनाक भी है और कोरोनरी हृदय रोगों में वृद्धि का मुख्य कारण है।

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