इंदौर, जागरण आनलाइन डेस्क। World Heart Day 2022: यह एक आम धारणा है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं को हृदय रोग (Heart disease) या दिल का दौरा (Heart Attack) पड़ने की संभावना बहुत कम होती है। यह पूरी तरह से सच नहीं है। यह जरूर है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं को दिल की बीमारियां 10 साल बाद होती हैं।
इसके लिए कई कारण हैं। भारतीय महिलाएं पुरुषों की तुलना में अधिक शारीरिक श्रम करती हैं, इसलिए उन्हें जल्द ही इस समस्या का सामना नहीं करना पड़ता है। इसका मुख्य कारण यह भी है कि मासिक धर्म के दौरान एस्ट्रोजन हार्मोन का स्राव होता है। यह हार्मोन कम कोलेस्ट्रॉल को धमनियों में जमा होने देता है।
युवा भी हृदय रोग की चपेट में
वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ एवं एमडी मेडिसिन डॉ. एडी भटनागर के अनुसार मेनोपॉज के बाद यह हार्मोन बनना बंद हो जाता है। इसलिए पुरुषों की तुलना में महिलाओं को एक दशक बाद दिल की बीमारी हो जाती है। वर्तमान में युवा भी हृदय रोग की चपेट में आ रहे हैं। भारत में यह समस्या पिछले डेढ़ दशक में बढ़ी है और इसका मुख्य कारण शहरीकरण है।
डॉ. भटनागर ने कहा कि अक्सर लोग या तो दवा लेना शुरू कर देते हैं या बिना डॉक्टरी सलाह के अपनी दवाएं बंद कर देते हैं। ये दोनों स्थितियां स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। बीमारी पहले भी होती थी, लेकिन बढ़ती जागरूकता और सुविधाओं के कारण ऐसे मामले और भी सामने आ रहे हैं।
इसे नज़रअंदाज न करें
ऐसा देखा गया है कि हार्ट अटैक आने पर बाएं हाथ या पीठ में दर्द होता है। आमतौर पर छाती के बीच में दर्द होना हार्ट अटैक का लक्षण होता है, लेकिन ज्यादा ठंड होने पर, ज्यादा मेहनत करने से, खाने के दौरान या ज्यादा स्ट्रेस लेने से हाथ और पीठ में भी दर्द होने लगता है। कभी-कभी दर्द गर्दन और दाहिने हाथ की तरफ भी होता है, इसलिए इन लक्षणों की तुरंत जांच करवाएं।
महिलाओं को हृदय रोग का खतरा कम क्यों होता है?
- महिलाओं को एस्ट्रोजन हार्मोन के स्राव के कारण पुरुषों की तुलना में 10 साल बाद हृदय रोग हो जाता है। इसलिए आमतौर पर 55 साल से अधिक उम्र की महिलाओं को दिल से जुड़ी समस्याएं होती हैं। इसके अलावा महिलाएं अपेक्षाकृत अधिक श्रम करती हैं।
मेरी एंजियोप्लास्टी हुई थी और मुझे मधुमेह भी है क्या मैं अपनी दवा जारी रख सकता हूं?
- जिन्हें एक बार दिल का दौरा पड़ा है, उन्हें दूसरा दिल का दौरा पड़ने की संभावना अधिक होती है। ऐसे में उन्हें खून पतला करने वाली दवा लेनी पड़ती है। कुछ दवाएं कोलेस्ट्रॉल को जमा भी नहीं होने देती हैं और जरूरी भी होती हैं। चूंकि आपको भी मधुमेह है, इसलिए दवा को लेकर लापरवाही न करें और खाने में हरी सब्जियां, ताजे फल शामिल करें। घी-तेल से परहेज करें और क्षमता के अनुसार शारीरिक श्रम करें।
मैं 75 वर्ष का हूं मैं इकोस्प्रिन दवा ले रहा हूं, क्या मुझे यह दवा हमेशा लेनी है?
- इकोस्प्रिन दवा खून को पतला करने वाली दवा है। इस दवा को डाक्टरी सलाह के बाद ही लें क्योंकि खून का ज्यादा पतला होना या इस दवा के ज्यादा इस्तेमाल से भी ब्लीडिंग की समस्या हो सकती है।