शिमला: देश में ही बसा है यह इंग्लैंड, आम पर्यटकों की टॉप लिस्ट में शुमार है यह शहर

यदि आप देश में ही इंग्लैंड को महसूस करना चाहते हैं तो यहां मिलेगी उसी चमक-दमक की झलक।चलें शिमला के सफर पर...

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Thu, 24 May 2018 03:52 PM (IST) Updated:Fri, 25 May 2018 08:26 AM (IST)
शिमला: देश में ही बसा है यह इंग्लैंड, आम पर्यटकों की टॉप लिस्ट में शुमार है यह शहर
शिमला: देश में ही बसा है यह इंग्लैंड, आम पर्यटकों की टॉप लिस्ट में शुमार है यह शहर

[जागरण स्पेशल]। मैदानी इलाकों में सूरज का कहर जारी है। ऐसे में लोग जिस शहर का रुख करना चाहते हैं, उसमें हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला का नाम सबसे ऊपर है। यदि आप देश में ही इंग्लैंड को महसूस करना चाहते हैं तो यहां मिलेगी उसी चमकद मक की झलक। चलें शिमला के सफर पर...

यूं तो गर्मी के मौसम में तमाम लोग पहाड़ों का रुख करते हैं, लेकिन शिमला एक ऐसी जगह है, जहां हर मौसम का अपना ही लुत्फ है। बर्फबारी हो या मानसून की बारिश, यह हर रंग में अपनी खूबूसरती बिखेरता रहता है। बर्फ से ढकी पहाड़ियां, देवदार, चीड़ के जंगलों से युक्त इस प्रदूषण-मुक्त शहर की सैर भला कौन नहीं करना चाहेगा।

ब्रिटिशकाल की ग्रीष्मकालीन राजधानी रही शिमला में अंग्रेज अपने देश इंग्लैंड की झलक देखते थे। यही वजह है कि उन्होंने शिमला को इंग्लैंड की शक्ल देने की भरसक कोशिश की। यदि आप यहां जाएंगे तो पाएंगे कि यहां कई भवनों का निर्माण इंग्लैंड के भवनों की तर्ज पर किया गया है। यह शहर चंडीगढ़ से 114 किलोमीटर दूर उत्तर में लगभग 2,200 मीटर की ऊंचाई पर लघु हिमालय की पर्वत चोटियों पर स्थित है। बॉलीवुड का पसंदीदा और आम पर्यटकों की टॉप लिस्ट में शुमार है यह शहर।

श्यामला से शिमला तक
शिमला में माल रोड के पास वर्ष 1845 में निर्मित काली बाड़ी मंदिर देवी श्यामला को समर्पित है और शिमला का नाम उनके नाम पर ही रखा गया है। अंग्रेज शिमला का सही नाम नहीं बोल पाते थे, वह शिमला को ‘सिमला’ कहते थे। उनके जाने के बाद भी अंग्रेजी भाषा में शिमला को सिमला ही लिखा जाता था। बाद में इसे शिमला किया गया। सात चोटियों और 12 किलोमीटर लंबाई में अर्ध-चक्र आकार में बसे इस शहर को पूरे वर्ष ठंडी हवाएं बहने का वरदान मिला है।

सात चोटियों पर बसा शहर
शिमला लघु हिमालय की सात पर्वत चोटियों पर बसा है

जाखू हिल: जाखू हिल समुद्र तल से 8000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और रिज से एक से डेढ़ किमी. की दूरी पर स्थित है। यह शिमला की सबसे ऊंची चोटी है।

प्रोस्पेक्ट हिल: शिमला शहर के पश्चिमी भाग में 2155 मीटर की ऊंचाई पर मां कामना देवी मंदिर को समर्पित यह चोटी शिमला-बिलासपुर मार्ग पर बालूगंज से 15 मिनट की पैदल दूरी पर है। यह पिकनिक और ट्रैकिंग के लिए प्रसिद्ध है।

समर हिल: यह शिमला से सात किलोमीटर की दूरी पर समुद्र तल से 1283 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। मैनोर्विल हवेली और हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय इसी पहाड़ी पर हैं।

ऑब्जर्वेटरी हिल: 7050 फीट की ऊंचाई पर स्थित इसी हिल पर 1884 में तत्कालीन वायसराय लॉर्ड डफरिन ने अपना आवास बनवाया था, जहां अब भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान बना दिया गया है।

इन्वेरार्म हिल : प्रदेश विधानसभा में चौड़ा मैदान से देवदार और बुरांस के पेड़ों के घने जंगल के बीच से सर्पीली सड़क वाली इस पहाड़ी पर शिमला दूरदर्शन केंद्र भी है। यहां स्थापित राज्य संग्रहालय संस्कृति के साथ-साथ पुरातत्व को भी समेटे हुए है।

बैंटोनी हिल : बैंटोनी हिल शिमला शहर के बीचोबीच स्थित है। इस हिल का नाम लॉर्ड बैंटोनी के नाम पर रखा गया है। बैंटोनी ने यहीं पर कैसल का निर्माण कराया था।

एलीसियम हिल : 7400 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह पहाड़ी लांगवुड, केलेस्टन और भराड़ी तक फैली हुई है। इस पर ऑकलैंड हाउस स्कूल स्थित है।

माल रोड पर करें खरीदारी
माल रोड शिमला की खूबसूरती की एक और पहचान है। कहते हैं अंग्रेजों के समय में माल रोड पर थूकने या कूड़ा फेंकने पर जुर्माना लगाया जाता था। यह व्यवस्था आज भी कायम है। फैशन के शौकीनों से लेकर घर में साज-सज्जा के लिए लकड़ी के सामान की खरीदारी के शौकीनों के लिए यह मुफीद जगह है। माल रोड पर सभी ब्रांड के शोरूम हैं। यहां वाहनों की आवाजाही प्रतिबंधित होने के कारण यहां आराम से खरीददारी का मजा ले सकते हैं।

मशहूर माल रोड पर हिमाचली टोपी और सदरी भी मिलती है। पर्यटक इन्हें शिमला की निशानी के तौर पर अपने साथ ले जाना नहीं भूलते। माल रोड से थोड़ा नीचे की ओर उतरें तो लोअर बाजार में खान-पान से लेकर लगभग हर चीज की दुकानें हैं। वहीं रिज के साथ सटे लक्कड़ बाजार में बेहतरीन नक्काशी के साथ लकड़ी से बनी तरह-तरह की कलाकृतियां मिल जाएंगी।

राजधानी का ताज
रिज मैदान पर स्थित ऐतिहासिक क्राइस्ट चर्च को राजधानी शिमला का ताज कहा जाता है। यह उत्तर भारत का दूसरा सबसे पुराना चर्च माना जाता है। 1857 में नियो गोथिक शैली में बना यह चर्च एंग्लीकेन ब्रिटिश कम्युनिटी के लिए बनाया गया था। इसे कर्नल जेटी बोयलियो ने 1844 में डिजाइन किया देश में था। चर्च में पांच बड़ी खिड़कियां हैं, जो बेशकीमती कांच से बनाई गई हैं।

भाप इंजन वाले ट्रेन की अनूठी सवारी
शिमला-कालका टॉय ट्रेन के अलावा यदि आप एक सदी पुराने भाप इंजन वाले ट्रेन की सवारी करना चाहते हैं तो यहां इसका लुत्फ ले सकते हैं। इसे पर्यटकों की मांग पर चलाया जाता है। भाप इंजन की यात्रा का लुत्फ लेने के लिए तकरीबन एक से डेढ़ लाख रुपये का खर्च आता है। इसमें भाप इंजन की बुकिंग के लिए 76 हजार 389 रुपये और बोगी के लिए 34 हजार 755 रुपये खर्च करने पड़ते हैं। इसमें प्रति सीट के अनुसार किराया नहीं वसूला जाता है।

कॉफी की चुस्की लेने रुके थे पीएम...
शिमला के पारंपरिक खाने में जहां जायके का कोई तोड़ नहीं है वहीं आपको फास्ट फूड भी मिल जाएगा। शिमला के सिड्डू और घी, इंड्रे, खोबली, चावल के आटे के पापड़, बड़े और पूड़े नॉनवेज में सूखा मीट, फ्राइड ट्राऊट मछली, पटांडे का जायका होटलों में परोसा जाता है। यहां प्रत्येक श्रेणी और स्वाद के लोगों के लिए व्यंजनों की भरमार है। माल रोड पर घूमते-घूमते थक जाएं और चाय या कॉफी की चुस्की लेने का मन करे तो स्कैंडल प्वाइंट से कुछ ही कदम की दूरी पर इंडियन काफी हाउस पहुंच जाएं। यह वही कॉफी हाउस है, जहां हिमाचल चुनाव दौरे के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कॉफी पीने रुके थे।

वहीं लक्कड़ बाजार में सीता राम के छोले भटूरे के स्वाद के कहने ही क्या। यहां जो एक बार आ जाए वह इस स्वाद के लिए बार-बार आता है। अगर ऐसा न होता तो अभिनेता अनुपम खेर यहां बार-बार न आते। दरअसल, मूल रूप से शिमला निवासी अनुपम खेर जब भी शिमला आते हैं तो यहां के छोले भटूरे खाना नहीं भूलते। 70 साल से भी इस दुकान का स्वाद फीका नहीं पड़ा है। दूसरी ओर लोअर बाजार में ज्ञान चंद की दुकान पर बनने वाली मेथी-पालक की टिक्की, बैंगन के पकौड़े और आलू दाल की सीख की महक माल रोड तक पहुंच जाती है। पचास साल पुरानी इस दुकान के पकवानों का स्वाद लाजवाब होता है।

राष्ट्रपति निवास छराबड़ा रिट्रीट
राष्ट्रपति इसमें गर्मियों में करीब एक से दो हफ्तों के लिए रहते हैं। इस दौरान उनका कोर सचिवालय भी यहां शिफ्ट हो जाता है। आजादी के बाद से वर्तमान भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान भवन को राष्ट्रपति निवास का दर्जा प्राप्त था, लेकिन 1962 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने जब उसे एडवांस्ड स्टडीज के लिए दे दिया तो छराबड़ा के रिट्रीट को राष्ट्रपति निवास बनाया गया। यह अपनी अनूठी शिल्पकला और सौंदर्य के लिए जाना जाता है। इस इमारत को 1850 में बनवाया गया। मशोबरा की पहाड़ी की चोटी पर स्थित इस भवन का अधिग्रहण वायसराय द्वारा 1895 में किया गया था। इसमें लकड़ियों पर महीन कलाकारी की गई है। इसमें 16 कमरे हैं। यह करीब 300 एकड़ के घने देवदार के जंगल से घिरा हुआ है। रिट्रीट मूल रूप से अभी भी शिमला की कोटी रियासत के राजा की प्रॉपर्टी है जिसे उन्होंने सदा के लिए भारत सरकार को लीज पर दे रखा है।

कभी था वायसराय लॉज
भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान कभी वायसराय लॉज था। यह संस्थान करीब 70 एकड़ में फैला हुआ है। इस ऐतिहासिक इमारत का निर्माण 1880 में शुरू होकर 1888 में पूरा हुआ। लॉर्ड डफरिन ने 23 जुलाई, 1888 से यहां रहना शुरू किया। आजादी के बाद यह राष्ट्रपति का ग्रीष्मकालीन निवास बना। यह रिज से करीब तीन किलोमीटर दूर चौड़ा मैदान में स्थित है।

कमाल की कारीगरी
ब्रिटिश आर्किटेक्ट हेनरी इरविन द्वारा वर्तमान भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान की इमारत डिजाइन की गई। यह एलिजाबेथन शैली में बनाई गई है। 1945 का शिमला सम्मेलन यहीं हुआ था।

रोप-वे से छह मिनट
में पहुंचें जाखू रोप-वे ट्रॉली के जरिये आप शिमला की खूबसूरती को ऊंचाई से निहार सकेंगे। रिज से जाखू जाने के लिए बने इस रोप-वे की ट्रॉली के केबिन पारदर्शी बनाए गए हैं, ताकि आप शहर की नायाब खूबसूरती का नजारा इत्मीनान से ले सकें। एक केबिन में एक साथ छह लोग बैठ सकते हैं। इसके जरिये छह मिनट में आप जाखू पहुंच सकते हैं।

वास्तुकला का अद्भुत नमूना
शहर की पहली पक्की इमारत! कैनेडी हाउस अंग्रेजों द्वारा बनवाई गई शिमला की पहली पक्की इमारत मानी जाती है। यह विधानसभा के ठीक विपरीत दिशा में स्थित है। दरअसल, जब लेफ्टनंट चार्ल्स कैनेडी शिमला आए तो उन्हें यहां का वातावरण इंग्लैंड की तरह लगने लगा। वर्ष 1822 में उन्होंने यहां कैनेडी हाउस का निर्माण करवाया। हालांकि कॉटेज को छोड़कर अन्य भवन आग का शिकार हो गए थे, जिनका बाद में पुनर्निर्माण किया गया।

गेयटी थियेटर का आकर्षण
रिज पर बने ऐतिहासिक गेयटी थियेटर जैसे दुनिया में केवल छह थियेटर ही हैं। वर्ष 1887 में ब्रिटिश आर्किटेक्ट हेनरी इरविन ने विक्टोरियन गोथिक शैली में इसे बनाया था। यह यू-शेप में बना है। पहले की तरह आज भी गेयटी थियेटर के स्टेज का पर्दा रस्सियों के जरिये ही खोला और बंद किया जाता है। पृथ्वीराज कपूर, बलराज साहनी, अनुपम खेर जैसी फिल्मी हस्तियां यहां होने वाले नाटकों में अभिनय कर चुकी हैं। ‘बदलते रिश्ते’ और ‘कुदरत’ फिल्म के सीन भी यहां फिल्माए जा चुके हैं। ‘गदर’-एक प्रेम कथा, का गीत ‘मैं निकला गड्डी लेके’ का फिल्मांकन भी यहीं किया गया है।

शिमला समझौते का साक्षी बार्न्स कोर्ट
सर एडवर्ड बान्र्स वर्ष 1832 में बार्न्स कोर्ट यानी छोटा शिमला के वर्तमान राजभवन में रहा करते थे। यह इमारत पहाड़ी वास्तुशैली में बनी है। पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो और भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बीच 3 जुलाई 1972 को शिमला समझौते पर यहीं हस्ताक्षर हुए थे। यह समझौता 1971 में दोनों देशों के बीच हुए युद्ध के बाद हुआ था। अब यह हिमाचल के राज्यपाल का निवास स्थान है। यहां भारत और पाकिस्तान के बीच शिमला समझौते के समय की कुर्सी और टेबल हैं, जिन्हें आज भी सहेजकर रखा गया है।

हरबर्ट हाउस ऐंड लॉ विला
माल रोड के समीप रेलवे बोर्ड बिल्डिंग है, जिसे हरबर्ट हाउस ऐंड लॉ विला के नाम से भी जाना जाता है। यह अपनी अनूठी वास्तुकला के लिए विख्यात है। यह इमारत 1896 में बनी थी।

शिमला में पैदा होने के साथ यहां की गलियों में बचपन और जवानी के दिन गुजारे हैं। आज मुंबई जाने के बाद भी पुराने दिन याद आते हैं। यहां का प्राकृतिक वातावरण अनूठा है, जो बार- बार आने के लिए विवश करता है। इसीलिए यहां रहने के लिए आशियाना लिया है।

-अनुपम खेर, अभिनेता

[इनपुट सहयोग: शिमला से यादवेन्द्र शर्मा, रविन्द्र शर्मा व मनोज शर्मा, फोटो: महेंद्र ठाकुर]

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