शहीद दिवस: बापू के सूत कातने के पीछे ये था राज

राष्‍ट्रपिता महात्मा गांधी की आज 67वीं पुण्यतिथि है। महात्‍मा गांधी की पुण्‍यतिथि को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। ऐसा सभी जानते हैं कि बापू सूत काता करते थे, लेकिन वो ऐसा क्‍यों करते थे?

By Jagran News NetworkEdited By: Publish:Fri, 30 Jan 2015 08:20 AM (IST) Updated:Fri, 30 Jan 2015 09:05 AM (IST)
शहीद दिवस: बापू के सूत कातने के पीछे ये था राज

नई दिल्ली। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की आज 67वीं पुण्यतिथि है। महात्मा गांधी की पुण्यतिथि को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। अहिंसा के सबसे प्रवर्तक महात्मा गांधी की हत्या 30 जनवरी 1948 की शाम को नई दिल्ली के बिड़ला भवन में गोली मारकर की गई थी। वे रोज शाम को प्रार्थना किया करते थे।

30 जनवरी 1948 की शाम को जब वे संध्याकालीन प्रार्थना के लिए जा रहे थे तभी नाथूराम गोडसे ने पहले उनके पैर छुए और फिर सामने से उन पर बैरेटा पिस्तौल से तीन गोलियां दाग दीं। महात्मा गांधी ने शांति और अहिंसा के रास्ते पर चलकर भारत को अंग्रेजों से मुक्ति दिलाई थी।

महात्मा गांधी ने दुनिया के सभी महाद्वीपों को प्रभावित किया है। महात्मा गांधी के विचारों ने एशिया के अलावा अफ्रीका, यूरोप और अमरीका को भी प्रभावित किया। इस तथ्य को अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपने भारत प्रवास के दौरान भी स्वीकारा। उन्होंने बार-बार कहा कि मैं दो महान व्यक्तियों से प्रभावित हूं-एक महात्मा गांधी और दूसरे अमरीका के डॉ. मार्टिन लूथर किंग जूनियर। डॉ. मार्टिन लूथर किंग जूनियर स्वयं भी महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित थे।

महात्मा गांधी के विचार से प्रभावित होकर नेल्सन मंडेला ने भी दक्षिण अफ्रीका के मूल निवासियों को वहां के गोरे शासकों की जंजीरों से मुक्त कराया था। उसी तरह अमेरिका के मार्टिन लूथर किंग ‘जूनियर ने गांधी की अहिंसक रणनीति को अपनाकर वहां के काले लोगों को नागरिकता के वे सब अधिकार दिलाये थे, जो उन्हें प्राप्त नहीं थे। यूरोप के अनेक देशों के अनेक चिंतकों ने यह महसूस किया है कि शांति और अहिंसा के रास्ते पर चलकर ही इंसान सुकून का जीवन जी सकता है।

अंबेडकर से नहीं थे महात्मा गांधी के मतभेद
ऐसा प्रचारित किया जाता है कि बापू और बाबा साहब भीमराव अंबेडकर में हमेशा मतभेद रहे, लेकिन वे निजी जीवन में कितनी आत्मीयता से मिलते थे इसे कम ही लोग जानते हैं।’ इन बातों के साथ ही राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी ने बापू के जीवन से जुड़े कई रोचक संस्मरणों से परदा उठाया। वह भारतीय नृत्य कला मंदिर में बापू की स्मृति में आयोजित डाक टिकट और चित्र प्रदर्शनी के मौके पर बोल रहे थे।

बापू ने क्यों शुरू किया सूत कातना
बिहार के चंपारण से जुड़ी एक घटना सुनाते हुए प्रपौत्र तुषार गांधी ने बताया कि जब बापू ने गांव में प्रार्थना सभा में महिलाओं की उपस्थिति कम देखी तो कस्तूरबा गांधी से कहा कि तुम महिलाओं से घर में जाकर बात करो और पता करने की कोशिश करो कि वे सभाओं में क्यों नहीं आती हैं?

उस वक्त ज्यादातर महिलाएं बा से अपने घर के दरवाजे के अंदर से बात करती थीं और उनका कहना था कि उनके घर में एक सेट ही कपड़ा होता है, इसलिए वे अपनी आबरू ढंकने के लिए घर के अंधेरे में ही रहती हैं। बापू को यह बात पता चली तो उन्होंने सूत कातने और खादी पहनने का अभियान चलाया और खुद भी अपने पहनने के कपड़े कम करने शुरू कर दिए।

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