डब्ल्यूएचओ ने बताया कोरोना महामारी के तेज प्रसार को रोकने का अचूक उपाय, आप भी जानें

पूरी दुनिया कोरोना महामारी से हलकान है। टीका लगाने के बाद भी बहुत लोग संक्रमित हो रहे हैं। इस वायरस को पूरी तरह से खत्म करने वाली अभी कोई दवा नहीं बनी है। ऐसे में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसकी रोकथाम के लिए एक उपाय सुझाया है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Sat, 10 Apr 2021 11:28 PM (IST) Updated:Sun, 11 Apr 2021 12:09 AM (IST)
डब्ल्यूएचओ ने बताया कोरोना महामारी के तेज प्रसार को रोकने का अचूक उपाय, आप भी जानें
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने महामारी की रोकथाम के लिए एक उपाय सुझाया है।

नई दिल्ली, पीटीआइ। पूरी दुनिया कोरोना महामारी से हलकान है। टीका लगाने के बाद भी बहुत लोग संक्रमित हो रहे हैं। इस वायरस को पूरी तरह से खत्म करने वाली अभी कोई दवा नहीं बनी है। ऐसे में विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization, WHO) का कहना है कि कोरोना से बचाव संबंधी नियमों का पालन कर और उचित व्यवहार अपनाना ही इस महामारी के प्रसार को रोकने का सबसे बेहतर तरीका है।

टेस्ट, ट्रेस, आइसोलेट और ट्रीट पर हो जोर 

डब्ल्यूएचओ की दक्षिण पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक डॉ. पूनम खेत्रपाल सिंह ने कहा कि कोविड उचित व्यवहारों को अपनाकर बहुत हद तक वायरस और उसके वैरिएंट को फैलने से रोका जा सकता है। उन्होंने टेस्ट, ट्रेस, आइसोलेट और ट्रीट यानी जांच, संक्रमितों के संपर्क में आए लोगों की पहचान, मरीजों को एकांत में रखना और उनका सही उपचार करने पर भी जोर दिया।

सीमित की जाए लोगों की आवाजाही 

एक सवाल पर डॉ. सिंह ने कहा कि शारीरिक दूरी और लोगों की आवाजाही को सीमित करने जैसे उपायों से भी कोरोना के प्रसार को रोकने में मदद मिलेगी। वहीं दूसरी ओर शीर्ष वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना के बदलते स्वरूप, चुनाव एवं अन्य सार्वजनिक कार्यक्रमों के चलते बड़ी आबादी का संक्रमण के खतरे की जद में आना और सावधानी बरतने में लापरवाही ही मामलों में तेज उछाल के लिए खासतौर पर जिम्मेदार है।

कोविड प्रोटोकॉल का हो पालन 

विषाणु विज्ञानी शाहिद जमील और टी जैकब जॉन ने कहा कि कोविड प्रोटोकॉल का पालन नहीं करना संक्रमण के बढ़ते मामलों के लिए जिम्मेदार है। हरियाणा में अशोका विश्वविद्यालय के त्रिवेदी जीव विज्ञान संस्थान के निदेशक जमील ने कहा कि कोरोना संक्रमण के मामलों में तेज बढ़ोतरी इस बात को दर्शाती है कि पहली लहर के बाद बड़ी संख्या में ऐसे लोग थे जिनके संक्रमित होने का जोखिम ज्‍यादा था। 

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