कोविड-19 के दीर्घकालीन समाधान की तैयारी कर रहा है भारत, लड़ाई को पूरी ताकत से तैयार

Covid-19 के खात्‍मे ही नहीं बल्कि भारत के दीर्घकालीन समाधान को भी निकालने की पूरी कोशिश कर रहा है।

By Kamal VermaEdited By: Publish:Sun, 10 May 2020 11:05 AM (IST) Updated:Sun, 10 May 2020 11:05 AM (IST)
कोविड-19 के दीर्घकालीन समाधान की तैयारी कर रहा है भारत, लड़ाई को पूरी ताकत से तैयार
कोविड-19 के दीर्घकालीन समाधान की तैयारी कर रहा है भारत, लड़ाई को पूरी ताकत से तैयार

नई दिल्‍ली। भारतीय विज्ञान प्रौद्योगिकी और नवाचार मंत्रालय का बॉयोटेक्नोलाजी विभाग शोध और दैनंदिन जीवन में विज्ञान के अनुप्रयोगों को बढ़ावा देने वाली नोडल एजेंसी है। देश में व्यापक पैमाने पर बॉयोटेक्नोलाजी के विकास और इस्तेमाल को गति देने वाली यह शीर्ष संस्था है। कोरोना संकट के समय देश के विभिन्न लैब और शोध संस्थाओं में कारगर इलाज की खोज का यह नेतृत्व कर रही है। संयोग से आज विश्व मातृ दिवस है। मां पालनहार, संरक्षक और सेवा करने वाली होती है। कोरोना के खिलाफ देश की जंग का नेतृत्व करने वाले बॉयोटेक्नोलाजी विभाग में पिछले तीस साल से विभिन्न पदों से होते हुए वर्तमान सचिव रेणू स्वरूप ने देश में बॉयोटेक्नोलाजी को एक नई दिशा दी है। कोरोना के खिलाफ भारत की तैयारियों, उठाए जाने वाले कदमों और भविष्य की चुनौतियों पर अरविंद चतुर्वेदी ने उनका इलेक्ट्रानिक साक्षात्कार किया। पेश है प्रमुख अंश:

कोविड-19 जैसी महामारी से लड़ने के लिए देश कितना तैयार है? 

हमारा देश इस बीमारी से लड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार है। सबसे महत्वपूर्ण है कि हमारे पास विभिन्न प्रकार के नैदानिक परीक्षणों, अस्पतालों तक पहुंच, विशेष वार्ड, आइसीयू, वेंटिलेटर और अन्य चिकित्सा आपूर्ति के माध्यम से निदान करने की क्षमता है। भारत ने आरंभ से ही इस संकट से निपटने के प्रयासों को जुटा लिया और कोविड-19 के लिए तैयारियों और प्रतिक्रिया उपायों के संदर्भ में ठोस प्रयास किए। डीबीटी कोविड के खिलाफ इस लड़ाई में राष्ट्र को मजबूती देने का लगातार काम कर रहा है। हम वैक्सीन (टीके) के विकास, निदान, चिकित्सा और परीक्षण के लिए विशेष रूप से अनुसंधान और विकास के प्रयासों को त्वरित करने के लिए काम कर रहे हैं। हम बीमारी के लिए तत्काल के साथ-साथ दीर्घकालीन समाधान की तैयारी कर रहे हैं।

दुनिया भर में करीब 90 टीकों पर काम किया जा रहा है। पहले से मौजूद दवाओं में भी संभावनाएं देखी जा रही हैं। भारत के विभिन्न शोध संस्थानों में कोविड-19 के खिलाफ इलाज हासिल करने के लिए क्या किया जा रहा है, और वे किस चरण में हैं?

इस संकट के समाधान के लिए डीबीटी, डीएसटी, सीएसआइआर संयुक्त प्रयास कर रहे हैं। वैक्सीन विकास के लिए भारत के प्रयास उन्नत चरण में हैं। मेरा विभाग, बॉयोटेक्नोलोजी विभाग, कोविड के खिलाफ इस लड़ाई में सबसे आगे है और हमने इस दिशा में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण प्रगति की है। डीबीटी अपने भागीदारी आमंत्रण के तहत कोविड-19 के लिए वैक्सीन, निदान, चिकित्सा, ड्रग्स के पुन: उपयोग और वेंटिलेटर, पीपीई के मास्क और अन्य चिकित्सा उपकरणों जैसी अन्य मध्यस्थताओं का समर्थन कर रहा है।

पहले चरण में, 16 प्रस्तावों केलिए पहले ही धन की सिफारिश की जा चुकी है। डीबीटी ने अपने राष्ट्रीय बॉयोफार्मा मिशन के तहत आंध्र प्रदेश के मेडटेक क्षेत्र में आरटी-पीसीआर किट, एंटीबॉडीज, पीपीई और वेंटिलेटर के उत्पादन की हमारी घरेलू विनिर्माण क्षमता को बढ़ाने के लिए कमांड रणनीति का समर्थन किया है। अपनी पहली हब पहल के माध्यम से डीबीटी बायरेक के साथ स्टार्टअप को विनियामक समर्थन की सुविधा देने के लिए काम कर रहा है।

डीबीटी के 6 स्वायत्त संस्थानों को परीक्षण और निदान के लिए परीक्षण केंद्र के रूप में अनुमोदित किया गया है। कोविड-19 नमूनों के परीक्षणों में वृद्धि के लिए हब और स्पोक मॉडल में 91 परीक्षण प्रयोगशालाओं के साथ 16 शहरी/ क्षेत्रीय समूहों की स्थापना की गई है और इन समूहों में अब तक 70,000 नमूनों का परीक्षण किया गया है। हाल ही में, डीबीटी ने कोविड-19 का कारण बनने वाले वायरस के विकास की प्रकृति को समझने के लिए पूरे भारत से प्राप्त 1000 सार्स-सीओवी-2 नमूनों से जीनोम अनुक्रमण के लिए एक परियोजना शुरू की है। यह अध्ययन वायरस में उभरते म्यूटेशन को और यह रोग के लक्षणों को किस प्रकार प्रभावित करेगा, यह समझने में मदद करेगा।

बायरेक में कोविड-19 के लिए स्टार्टअप्स को वित्तपोषित करने और कोविड समाधानों को तेज करने के प्रयासों के लिए सह-वित्तपोषण भागीदारों की खोज हेतु एक त्वरित समीक्षातंत्र (फास्ट ट्रैक रिव्यू मैकेनिज्म) की भी सुविधा प्रदान की गई है। बायरेक कोविड-19 अनुसंधान संघ (कंसोर्टियम) के लिए इंवेस्ट इंडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से सीएसआर निधि जुटाने की दिशा में भी काम कर रहा है। एक आभासी (वर्चुअल) भागीदारी मंच भी विकसित किया गया है जिसका उद्देश्य वैश्विक फार्मा  उद्योग को इकट्ठा करने और नई कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ समाधान लाने में मदद करना है।

कोरोना के खिलाफ वैक्सीन और दवाओं के वैश्विक विकास में भारतीय संस्थाओं और कंपनियों का कितना योगदान है? कौन-कौन सी कंपनियां और संगठन इसमें सक्रिय योगदान दे रहे हैं?

भारत वैश्विक स्तर पर वैक्सीन (टीकों) का सबसे बड़ा निर्माता है। वर्तमान में कम से कम 6 भारतीय कंपनियां नए कोरोना वायरस के लिए वैक्सीन (टीके) विकसित करने पर काम कर रही हैं। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया लिमिटेड, भारत बायोटेक, जाइडस कैडिला, बॉयोलॉजिकल ई, इंडियन इम्यूनोलॉजिकलस और मायनवैक्स वैक्सीन विकसित कर रहे हैं। डीबीटी ने हाल ही में, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया लिमिटेड को तीसरे चरण के लिए पुन: संयोजी बीसीजी वैक्सीन कैंडीडेट परीक्षण के लिए, कैडिला हेल्थकेयर को डीएनए वैक्सीन कैंडीडेट के लिए, भारत बॉयोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड को एक सुरक्षित निष्क्रिय रेबीज वेक्टर प्लेटफॉर्म के लिए जबकि जीनोवा बॉयोफार्मा लिमिटेड को एक एमआरएनए वैक्सीन कैंडीडेट परीक्षण के लिए वित्त पोषित किया है।

क्या कोविड-19 महामारी से देश के मेडिकल जगत में शोध अनुसंधान और विकास के साथ सरकारी और निजी निवेश में अप्रत्याशित परिवर्तन देखने को मिलेंगे? ये बदलाव कैसे और किन रूपों में होंगे?

सरकार इस संकट से निपटने के लिए सहायता के सभी संभावित तंत्रों को देख रही है। सौभाग्य से, डीबीटी में हमारे पास पहले से ही तंत्र मौजूद थे। हमने प्रयासों को तेज करने के लिए वित्तपोषण के रोचक मॉडलों का उपयोग किया है। राष्ट्रीय बॉयोफार्मा मिशन के तहत वैक्सीन के विकास, उपचार और निदान के लिए प्रमुखवित्तपोषण किया गया था। डीबीटी के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, बायरेक ने कोविड अनुसंधान संघ के लिए सीएसआर निधि जुटाने के लिए इंवेस्ट इंडिया के साथ साझेदारी की थी। हम अपनी त्वरित समीक्षा पहल के तहत उपयुक्त भागीदारों से अपने स्टार्ट-अप के लिए सह-वित्तपोषण की खोज भी करते हैं। कोविड-19 के लिए निदान किटों के निर्माण और चिकित्सा के विकास के लिए एक नेशनल बॉयोटेक इंडीजीनाइजेशन रिसोर्स कंसोर्टिया एन-बीआरआइसी को एक सार्वजनिक निजी भागीदारी मॉडल में भी विकसित किया जा रहा है। 

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