UNGA: अहम मुद्दों पर ढीला पड़ा संयुक्त राष्ट्र, वैश्विक संगठन में व्यापक बदलाव की जरूरत
संयुक्त राष्ट्र में किसी भाषा को आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दिए जाने के लिए दो तिहाई बहुमत से पारित करना होता है। भारत का तर्क हिंदी विश्व में बोली जाने वाली दूसरी सबसे बड़ी भाषा है लिहाजा इसको स्वीकार करना ही चाहिए।
नई दिल्ली, जेएनएन। संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के दिन ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस वैश्विक संगठन में व्यापक बदलाव की जरूरत पर बल दिया है। इससे पहले पीएम मोदी सामाजिक आर्थिक परिषद में भी सुधार का मुद्दा उठा चुके हैं। वर्ष 2013 में तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह ने भी सुरक्षा परिषद में परिवर्तन की वकालत की थी। दरअसल, बदलाव की जरूरत लंबे समय से महसूस की जा रही है।
संयुक्त राष्ट्र क्यों : संयुक्त राष्ट्र की स्थापना 24 अक्टूबर, 1945 को हुई थी। इसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय कानून को सुविधाजनक बनाना, अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक विकास, सामाजिक प्रगति, मानवाधिकार व विश्व शांति था। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद इसकी स्थापना इसलिए की गई थी कि आगे फिर कभी विश्वयुद्ध की नौबत न आए। इसके सदस्य देशों की संख्या 193 है।
बदलाव की जरूरत : दुनिया में शांति व स्थिरता के मुद्दे पर स्थापित संयुक्त राष्ट्र इनसे जुड़ी प्रमुख चुनौतियों पर ही खरा नहीं उतर पा रहा है। आतंकवाद से लड़ाई में इसकी भूमिका उल्लेखनीय नहीं है। जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा जैसे बड़े मुद्दों को भी संयुक्त राष्ट्र से बाहर हल करने की कोशिश की जा रही है। कोरोना संक्रमण के इस दौर में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की भूमिका भी संदेह के दायरे में आ गई है। अमेरिका समेत कई देश डब्ल्यूएचओ पर पक्षपात का आरोप लगा चुके हैं।
सुरक्षा परिषद अहम मुद्दा : इसी साल जून में भारत 8वीं बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) का अस्थायी सदस्य चुना गया है। यूएनएससी में कुल 15 देश हैं। इनमें से अमेरिका, रूस, फ्रांस, ब्रिटेन और चीन स्थायी सदस्य हैं। संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियान में बड़ा योगदान देने वाला भारत यूएनएससी की स्थायी सदस्यता का प्रबल दावेदार है। अमेरिका, रूस, फ्रांस व ब्रिटेन परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता की दावेदारी का समर्थन करते हैं। हालांकि, चीन वीटो का इस्तेमाल कर देता है। वीटो का आशय होता है कि मुद्दे को आगे नहीं बढ़ाया जाएगा। भारत समेत अन्य देश ऐसे कई प्रावधानों में सुधार के लिए आवाज बुलंद कर रहे हैं।
शांति अभियानों में भारत बड़ा सहयोगी : संयुक्त राष्ट्र के 71 शांति अभियानों में से करीब 50 का संचालन भारत की मदद से किया जाता है। भारत के दो लाख से भी ज्यादा जवान शांति मिशन में योगदान दे रहे हैं। सदस्य देशों में शांति स्थापना के प्रयासों के दौरान अबतक 160 से ज्यादा भारतीय सैनिक, पुलिसकर्मी व आम लोग जान गंवा चुके हैं।