सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की बाबूसिंह कुशवाहा की याचिका

सुप्रीम कोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद कुशवाहा की गिरफ्तारी की आशंकाएं बढ़ गई हैं।

By Sachin BajpaiEdited By: Publish:Fri, 03 Mar 2017 10:19 PM (IST) Updated:Fri, 03 Mar 2017 10:38 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की बाबूसिंह कुशवाहा की याचिका
सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की बाबूसिंह कुशवाहा की याचिका

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । एनआरएचएम घोटाले में आरोपी यूपी के पूर्व मंत्री बाबूसिंह कुशवाहा की मुश्किलें बढ़ गयी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने एनआरएचएम के नये मामले को रद करने और गाजियाबाद की अदालत से जारी गैर जमानती वारंट पर रोक लगाने की बाबूसिंह कुशवाहा की मांग शुक्रवार को ठुकरा दी। कोर्ट ने कुशवाहा की विशेष अनुमति याचिका खारिज कर दी है। सुप्रीम कोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद कुशवाहा की गिरफ्तारी की आशंकाएं बढ़ गई हैं।

बाबू सिंह कुशवाहा ने गाजियाबाद की सीबीआइ अदालत से एनबीडब्लू जारी होने और चार्जशीट पर संज्ञान लेने के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने 11 नवंबर को कुशवाहा की याचिका खारिज कर दी थी। एनआरएचएम घोटाले के समय बाबूसिंह कुशवाहा यूपी में परिवार कल्याण मंत्री थे। उन पर एनआरएचएम के कई मामले चल रहे हैं। मौजूदा याचिका एक नये मामले से संबंधित थी। इससे पहले के मामलों में कुशवाहा चार साल जेल में रहने के बाद जमानत पर बाहर आये थे।

शुक्रवार को न्यायमूर्ति जे. चेलमेश्वर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कुशवाहा के वकील अभिषेक मनु सिंघवी की दलीलें ठुकराते हुए याचिका खारिज कर दी। कुशवाहा की ओर से मामला रद करने की मांग करते हुए कहा गया था कि आरोपित अपराध के समय वे लोकसेवक थे इसलिए उन पर मुकदमा चलाने से पहले सक्षम अथारिटी से पूर्व मंजूरी ली जानी चाहिये थी जो कि नहीं ली गयी।

सीबीआइ ने भ्रष्टाचार के इस मामले में बाबूसिंह कुशवाहा व अन्य लोगों के खिलाफ आइपीसी की धारा 120बी, 420 व भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम 1988 की धारा 13(2) और 13(1)(डी) के तहत आरोपपत्र दाखिल किया है। गाजियाबाद की विशेष अदालत ने आरोपपत्र पर संज्ञान लेते हुए बाबूसिंह कुशवाहा व अन्य के खिलाफ समन जारी किया था। बाद में बाबूसिंह के पेश न होने पर एनबीडब्लू जारी हुआ। बाबू सिंह ने इस मामले में आरोपपत्र पर संज्ञान लेने को यह कहते हुए चुनौती दी है कि उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए राज्य सरकार से पूर्व मंजूरी नहीं ली गई।

जबकि हाईकोर्ट में सीबीआइ ने उनकी दलील का विरोध करते हुए कहा था कि रिश्वत लेना आफीशियल ड्यूटी का हिस्सा नहीं होता इसलिए पूर्व मंजूरी की जरूरत नहीं है। वैसे भी अब वे लोकसेवक नहीं हैं इसलिए भी मंजूरी जरूरी नहीं है। हाईकोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा था कि उन्हें विशेष अदालत के संज्ञान लेने या समन जारी करने के गत 14 अक्टूबर के आदेश में दखल का कोई उचित कारण नजर नहीं आता।

हाईकोर्ट ने कहा था कि याचिकाकर्ता के पास आरोप तय होते समय ट्रायल कोर्ट में ये सारी कानूनी दलीलें रखने का विकल्प होगा और ट्रायल कोर्ट कानून के मुताबिक उन पर विचार करेगा। इस बीच गाजियाबाद की विशेष अदालत ने कुछ मामलों में कुशवाहा के खिलाफ धारा 82 में कुर्की की कार्यवाही का भी आदेश दे चुकी है।

chat bot
आपका साथी