दिल्ली विस ने खारिज की केंद्र की अधिसूचना

दिल्ली में शासन के अधिकारों के बंटवारे को लेकर केंद्र सरकार द्वारा जारी की गई अधिसूचना को विधानसभा ने गैरकानूनी करार देते हुए सिरे से खारिज कर दिया। सदन ने कहा कि वह इस अधिसूचना को मानने के लिए बाध्य नहीं है। इस संबंध में विधानसभा में पास किए गए

By Sanjay BhardwajEdited By: Publish:Wed, 27 May 2015 09:28 AM (IST) Updated:Thu, 28 May 2015 12:53 AM (IST)
दिल्ली विस ने खारिज की केंद्र की अधिसूचना

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली में शासन के अधिकारों के बंटवारे को लेकर केंद्र सरकार द्वारा जारी की गई अधिसूचना को विधानसभा ने गैरकानूनी करार देते हुए सिरे से खारिज कर दिया। सदन ने कहा कि वह इस अधिसूचना को मानने के लिए बाध्य नहीं है। इस संबंध में विधानसभा में पास किए गए प्रस्ताव के अनुसार अधिसूचना को नकारते हुए अधिकारी पहले की तरह ही काम करते रहेंगे।

अरविंद केजरीवाल सरकार अधिकारियों के पीछे खड़ी दिखी और कहा कि इस पूरी लड़ाई में अधिकारियों को डरने की जरूरत नहीं है। वे पहले की तरह ही काम करें। अधिसूचना को खारिज करने के लिए लाए गए प्रस्ताव में तीन संशोधन भी किए गए जिनमें महत्वपूर्ण संशोधन में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के लिए सिविल सेवा का अलग से कैडर बनाने की बात कही गई है।

इससे पहले इस प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि उनकी सरकार को बखूबी पता है कि अधिकारी उस धुरी के बीच फंसे हुए हैं जिसके दोनों ओर कीलें निकली हुई हैं। उन्होंने कहा कि हम अधिकारियों को बचा भी रहे हैं और उनसे काम भी करा रहे हैं मगर उपराज्यपाल की ओर से ठीक नहीं किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि गत दिनों उनकी सरकार ने एक मामले में अधिकारी के खिलाफ जायज कार्रवाई की तो उपराज्यपाल की ओर से उसके बदले दिल्ली सरकार के दो अधिकारियों को बेवजह कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया। केंद्र की ओर से लगातार ऐसे हालात खड़े किए जा रहे हैं कि सरकार काम न कर सके। केंद्र की अधिसूचना भी इसी का हिस्सा है जिसे हम नहीं मानते हैं। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी अधिसूचना को खारिज करने का समर्थन किया जिसके बाद दिल्ली विधानसभा ने प्रस्ताव पास कर अधिसूचना निरस्त कर दी।

विपक्ष का वॉकआउट
विपक्ष के विधायक केंद्र की अधिसूचना के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव को असंवैधानिक करार देते हुए सदन से वॉकआउट कर गए।

यह था मामला
21 मई को केंद्र ने एक अधिसूचना जारी कर दिल्ली सरकार के अधिकार सीमित कर दिए थे जिसके तहत सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा अब केवल प्रदेश सरकार के अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ ही कार्रवाई कर सकेगी। इसे अधिकारों पर कुठाराघात मानते हुए सरकार ने मंगलवार से विधानसभा का दो दिवसीय आपात सत्र बुलाया था।

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