अटलांटिक से बज रही खतरे की घंटी, हजार वर्षों में पड़ा सुस्‍त!

क्‍लाइमेट चेंज का महासागरीय करंट पर पड़ने वाले प्रभाव को समझना काफी मुश्किल काम है, जिसे पूरी तरह से समझा नहीं जा सकता है।

By Kamal VermaEdited By: Publish:Fri, 13 Apr 2018 06:00 PM (IST) Updated:Fri, 13 Apr 2018 06:03 PM (IST)
अटलांटिक से बज रही खतरे की घंटी, हजार वर्षों में पड़ा सुस्‍त!
अटलांटिक से बज रही खतरे की घंटी, हजार वर्षों में पड़ा सुस्‍त!

नई दिल्ली [स्‍पेशल डेस्क]। क्‍लाइमेट चेंज का असर अब अटलांटिक महासागर पर भी साफ दिखाई देने लगा है। यहां उत्तरी गोलार्ध से उच्च अक्षांश की ओर उठने वाली गरम हवाओं में बदलाव साफतौर पर देखा जा रहा है। वैज्ञानिकों में इस बदलाव को लेकर चिंता जताई है। वैज्ञानिकों की मानें तो Atlantic meridional overturning circulation या Amoc में 20वीं सदी के मध्‍य तक अटलांटिक में करीब 15 फीसद की कमी आई है। यह अपने आप में एक रिकार्ड है। इतना ही नहीं अटलांटिक में पानी के स्‍तर में हर सैकेंड करीब तीस लाख क्‍यूबिक मीटर की कमी आ रही है।

अटलांटिंक में बदलाव का असर यूरोप पर दिखाई दे रहा है। मौसम वैज्ञानी इसको अटलांटिक के तापमान में आ रहे बदलाव से ही जोड़कर देख रहे हैं। जानकारों की राय में यह बदलाव मछली के जरिए कमाई करने वालों के लिए अच्‍छा नहीं है। वहीं न्‍यू इंग्‍लैंड की अर्थव्‍यवस्‍था की ही यदि बात करें तो यह मछलियों पर ही टिकी हुई है। यह यहां का न सिर्फ एक प्रमुख व्‍यवसाय है बल्कि देश की अर्थव्‍यवस्‍था की रीढ़ भी है। इतना ही नहीं इस बदलाव की वजह से अमेरिका के मेन तट झींगा मछली की संख्‍या में काफी इजाफा हुआ है।

AMOC में आए बदलाव की वजह ग्रीनलैंड में बर्फ की च्‍ट्टानों का टूटना हो सकती है। इसकी एक दूसरी वजह क्‍लाइमेट चेंज को भी माना जा रहा है जिसकी वजह से विभिन्‍न क्षेत्रों में पानी की मात्रा में बदलाव हो रहा है। हालांकि जर्मनी के पोस्‍टडेम इंस्टिट्यूट फॉर क्‍लाइमेट इंपेक्‍ट रिसर्च के शोधकर्ता स्‍टीफन रेम्‍सफोर्ट का कहना है कि इस तरह के बदलाव की पहले से ही आशंका जताई जा रही थी। लेकिन ऐसा ही होगा इस बारे में कुछ स्‍पष्‍ट तौर पर नहीं कहा गया था। बहरहाल, वह इन बदलावों को बुरी खबर मानते हैं। उनका यह भी कहना है कि क्‍लाइमेट चेंज का महासागरीय करंट पर पड़ने वाले प्रभाव को समझना काफी मुश्किल काम है, जिसे पूरी तरह से समझा नहीं जा सकता है।

यह रिपोर्ट एक एक जर्नल में छपी है। शोधकर्ता जॉन रॉबसन के मुताबिक AMOC करीब 150 वर्षों से धीमा हो रहा है, अब भी ऐसा होना जारी है। हजार वर्षों की तुलना में बीते करीब सौ वर्षों में यह अपने निचले स्‍तर पर आ गया है। इस तरह से यहां पर दो रिसर्च सामने आ रही है। इन दोनों में कुछ भिन्‍नता है। दूसरी रिसर्च बता रही है कि 1850 के दौरान जब औद्यौगिक क्रांति आई थी उस वक्‍त इसमें बदलाव बेहद प्राकृतिक रूप से हुआ था। उस वक्‍त इसमें इंसान का हाथ नहीं था, लेकिन इसके बाद इंसानी दखल के चलते इसमें जो बदलाव हुआ वह प्राकृतिक नहीं था। वहीं पहली रिसर्च में यह बात सामने आई थी कि इसकी रफ्तार लगातार धीमी और धीमी होती चली गई। रॉबसन इस बदलाव का सही समय तो नहीं बता सके लेकिन उनका कहना है कि यह 1850 के आसपास का समय रहा होगा।

पाकिस्तान की राजनीति में नवाज शरीफ का चैप्टर क्लोज, कौन संभालेगा राजनीतिक विरासत
अब गहरे ब्रह्मांड में होगी दूसरी धरती की खोज, तारों पर भी मिलेगी और जानकारी
पल-भर में हजारों-लाखों लोगों को मौत की नींद सुला सकते हैं 'कैमिकल वैपंस'! 
रूस की मुश्किलें बढ़ा सकता है डबल एजेंट की बेटी यूलिया का अस्‍पताल से डिस्‍चार्ज होना
क्या संभव हो पाएगी भारत समेत दूसरे देशों में रह रहे तिब्ब्ती शरणार्थियों की वतन वापसी
'अमेरिका फर्स्ट' पॉलिसी से शुरू हुआ चीन और रूस के बीच 'ट्रेड वार', हैरत में दुनिया
समीना से पहले भी कई पाकिस्‍तानी गायिका हो चुकी हैं मर्दों के झूठे गुरूर का शिकार 

chat bot
आपका साथी