केंद्र ने जजों की नियुक्ति संबंधी 20 फाइलें सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम को लौटाईं, सरकार ने जताई कई नामों पर आपत्ति

तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश एनवी रमणा की अध्यक्षता वाले कोलेजियम ने नवंबर 2021 में सौरभ कृपाल के नाम की सिफारिश दिल्ली हाई कोर्ट में जज नियुक्त करने के लिए की थी। सौरभ कृपाल पूर्व प्रधान न्यायाधीश बीएन कृपाल के बेटे हैं।

By Jagran NewsEdited By: Publish:Mon, 28 Nov 2022 10:33 PM (IST) Updated:Mon, 28 Nov 2022 10:33 PM (IST)
केंद्र ने जजों की नियुक्ति संबंधी 20 फाइलें सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम को लौटाईं, सरकार ने जताई कई नामों पर आपत्ति
केंद्र सरकार ने कहा- SC कोलेजियम से हाई कोर्टों में जजों की नियुक्ति से संबंधित फाइलों पर पुनर्विचार करे ।

नई दिल्ली, जेएनएन। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम से हाई कोर्टों में जजों की नियुक्ति से संबंधित 20 फाइलों पर पुनर्विचार करने को कहा है। सूत्रों ने सोमवार को बताया कि इनमें अधिवक्ता सौरभ कृपाल की फाइल भी शामिल है जो खुद को समलैंगिक बता चुके हैं।सूत्रों ने बताया, 'सिफारिश किए गए नामों पर केंद्र ने कड़ी आपत्ति जताई है और 25 नवंबर को फाइलें कोलेजियम को वापस कर दीं।' उन्होंने कहा कि इन 20 मामलों में से 11 नए मामले हैं, जबकि नौ मामलों को शीर्ष अदालत के कोलेजियम ने फिर भेजा था।

सौरभ कृपाल के नाम की हुई थी सिफारिश 

तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश एनवी रमणा की अध्यक्षता वाले कोलेजियम ने नवंबर, 2021 में सौरभ कृपाल के नाम की सिफारिश दिल्ली हाई कोर्ट में जज नियुक्त करने के लिए की थी। सौरभ कृपाल पूर्व प्रधान न्यायाधीश बीएन कृपाल के बेटे हैं। दिल्ली हाई कोर्ट कोलेजियम ने अक्टूबर, 2017 में कृपाल का नाम सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम को भेजा था। लेकिन शीर्ष अदालत ने उनके नाम पर विचार को तीन बार टाला। कृपाल ने हाल में कहा था कि उन्हें लगता है कि उनकी उपेक्षा का कारण उनका यौन रुझान है। जस्टिस रमणा के पूर्ववर्ती एसए बोबडे ने कथित रूप से सरकार से कहा था कि वह कृपाल के बारे में और अधिक जानकारी मुहैया कराए। 

जजों की नियुक्ति में देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराजगी

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोलेजियम द्वारा प्रस्तावित न्यायाधीशों की नियुक्ति पर विचार करने में केंद्र काफी देरी करता है। सोमवार को शीर्ष कोर्ट ने कोलेजियम की सिफारिश के बावजूद जजों की नियुक्ति में देरी के मसले पर सुनवाई करते हुए कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार इस तथ्य से नाखुश है कि राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) अधिनियम को मंजूरी नहीं मिली, लेकिन यह देश के कानून का पालन नहीं करने की वजह नहीं हो सकती है।

स्टिस एसके कौल और जस्टिस एएस ओका की पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करने के लिए समय सीमा निर्धारित की थी। पीठ ने कहा कि समय सीमा का पालन करना होगा।

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