अार्मी के सर्विलांस से बचने के लिए अातंकवादी अपना रहे ये तकनीक

जम्मू कश्मीर में घुसपैठ करने वाले अातंकी अार्मी के सर्विलांस से बचने के लिए मोबाइल फोन में एक नई तकनीक का प्रयोग कर रहे हैं।

By Sanjeev TiwariEdited By: Publish:Sun, 05 Jun 2016 03:54 PM (IST) Updated:Sun, 05 Jun 2016 07:48 PM (IST)
अार्मी के सर्विलांस से बचने के लिए अातंकवादी अपना रहे ये तकनीक

नई दिल्ली (पीटीअाई)। जम्मू कश्मीर में अातंकवादी अार्मी के सर्विलांस से बचने के लिए अपने स्मार्ट फोन में नई तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं। जम्मू और कश्मीर में घुसपैठ करने वाले आतंकवादियों के मोबाइल फोन में ‘कैलकुलेटर’ की एक नई एप पाई गई है, जो कि उन्हें पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में बैठे आकाओं से बात करने में मदद करती है। यह एप आर्मी के टेक्निकल सर्विलांस की पकड़ में नहीं आती।

इस साल गुलाम कश्मीर से घुसपैठियों की संख्या बढ़ी है, जिससे सेना को पता चला कि आतंकवादी अपने साथ एक फोन रखते हैं जिसमें कोई मैसेज नहीं होता। आर्मी की सिग्नल यूनिट जो कि घुसपैठ कर रहे आतंकियों को ट्रेस करने के लिए मुख्य रूप से टेक्निकल इंटरसेप्ट जैसे वायरलेस और मोबाइल फोन का इस्तेमाल करती है, अब नेशनल टेक्निकल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन और अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर आतंकवादियों की इस प्रणाली का तोड़ ढूंढने में लगी है।

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इस तकनीक का पहली बार इस्तेमाल एक अमेरिकन कंपनी ने हरिकेन ‘कटरीना’ के वक्त किया था ताकि प्रभावित नागरिक एक-दूसरे के संपर्क में रह सकें। लश्कर-ए-तैयबा के कुछ आतंकियों से पूछताछ के दौरान एजेंसियों को यह पता चला कि आतंकी संगठन ने इस तकनीक को तोड़-मरोड़ कर एक एप्लिकेशन ‘कैलकुलेटर’ तैयार की है जो कि सिर्फ उन्हीं के लिए बताए गए ऑफ-एयर नेटवर्क से जुड़े स्मार्टफोंस पर डाउनलोड की जा सकती है। पिछले साल जम्मू और कश्मीर के बॉर्डर से 121 बार घुसपैठ की कोशिश हुई थी जिनमें से 33 सफल रहे थे। 2014 में 222 में से 65 घुसपैठिये भारत में घुसने में कामयाब हो गए थे।

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